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तीन बच्चे

30 अगस्त 2015

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तीन बच्चे नवगांव की सीमा पर एक तालाब है और उसके पास धोबियों की बस्ती। कपडे धोने के काम में तालाब का प्रयोग होता है। तालाब के पास रेल की पटरी है। रेल गाड़ियों की आवाजावी रात दिन होती है। सवारी गाड़ियां दिन में चार और रात को दो आती हैं, बाकी कुछ मालगाड़ियां आती जाती हैं। गर्मियों के दिन थे। सुबह कुछ धोबी बात कर रहे थे कि नवगांव से पचास किलोमीटर पहले एक रेलगाड़ी पटरी से उतर गई है। बहुत नुकसान हुआ है। जैसे ही यह खबर फैली, लोगों का एक समूह दुर्घटना स्थल पर पहुंच गया। बड़े बूढ़ों के साथ कुछ बच्चे भी साथ हो लिए। बच्चों में आठ वर्ष का चिंटू भी था। बचाव के लिए प्रशासन और पुलिस भी पहुंच गई थी। चिंटू सब देख सुन रहा था कि कैसे रेलगाड़ी पटरी से उतरी और बहुत लोंगों को चोटे लगी। अम्बुलेंस में जख्मियों को अस्पताल ले जाया जा रहा था। दोपहर बाद सब नवगांव वापिस आ गए। चर्चा का विषय रेल दुर्घटना था। चिंटू बड़े ध्यान से सब की बातें सुन रहा था। उसके कान में यह बाद पड़ गई कि रेल पटरी पर बड़े बड़े पत्थर पड़े हुए थे, जिस कारण तेजी से आती रेलगाड़ी पटरी से उतर गई। अगले दिन तालाब में धोबी कपडे धो रहे थे। कुछ बच्चे तालाब में नहा रहे थे। छोटे बच्चों के पास कुछ काम नहीं था। नहाने के बाद वे अपने मां बाप का हाथ बटाने लगे। कपडे धोने के बाद सूखने के लिए फैला कर रख दिए। कपडे सूखने की इंतज़ार में धोबी पेड़ों के नीचे आराम करने लगे। चिंटू के पास दो बच्चे जो लगभग पांच साल की उम्र के थे, आकर बैठ गए। एक बच्चे का नाम बबलू और दूसरे का नाम बिल्लू था। दोनों ने चिंटू से रेलगाड़ी दुर्घटना के बारे में पूछा। अपने से छोटे बच्चों के लिए वही स्याना था। उसे गर्व हुआ कि आखिर किसी ने तो उससे पूछा तो सही। बड़ों के आगे तो छोटा बच्चा था। वह खड़ा हो कर रेल दुर्घटना के विषय में बताने लगा। "देखो जब हम लोग वहां पहुंचे तो क्या देखा कि रेलगाड़ी के तीन डिब्बे पटरी से उतर कर नीचे खेतों में गिरे पड़े थे। हमने डिब्बों में से लोगों को निकाला। उनको चोटें लगी हुई थी। सबको अस्पताल लेकर जा रहे थे। लोग रौ रहे थे। कुछ लोग तो लोगों का सामान उठा कर भाग गए।" बबलू और बिल्लू ने दांतों तले उंगली दबा कर पूछा "पुलिस ने चोरों को पकड़ा नहीं?" "ये पुलिस वाले बड़े चालू होते है। खुद सामान उठवाया, फिर उनसे ले लेगें। पुलिस के हाथ बड़े लंबे होते हैं।" छोटे बच्चों बबलू और बिल्लू को कुछ समझ नहीं आ रहा था, वे तो चिंटू की बातें सुनते रहे। उनको यह सुनना था कि गाड़ी कैसे पलटी। "बेटों, पटरी पर बड़े बड़े पत्थर पड़े थे, रेलगाड़ी तेजी से आई और पत्थर से टकरा कर गिर गई।" बबलू और बिल्लू ने कहा कि अगर वे भी पटरी पर पत्थर रख दे तो गाड़ी पलट जायेगी। इतना सुनते ही चिंटू ने कहा "शाबाश तुम हो तो पिद्दी, पर दिमाग बड़ों का रखते हो। चलो हम भी पटरी पर पत्थर रखते हैं। बड़ा मज़ा आएगा।" तीनो बच्चे चिंटू, बबलू और बिल्लू तालाब के दूसरी ओर रेल पटरी पर पहुंचे। वहां पहुंच कर सोचने लगे कि रेल पटरी पर क्या रखा जाये। छोटे छोटे पत्थर कंकर के सिया वहां और कुछ नहीं मिला। तीनो सोचने लगे फिर चिंटू ने कहा, हम रेल की पटरी पर ये पत्थर रख देते हैं। तीनो बच्चों ने छोटे छोटे पत्थर और कंकर रेल की पटरी पर रखने शुरू किये और दस मिनट में बहुत सारे पत्थर और कंकर रख दिए और निकट बैठ कर रेल आगमन का इंतज़ार करने लगे। कुछ कबूतर एक वृक्ष पर बैठे थे, कुछ वृक्ष के चबूतरे पर रखा दाना चुग रहे थे। चिंटू ने एक कबूतर पकड़ लिया, उसके पैर सुतली से बांध कर रेल की पटरी से बांध दिया। "देख बबलू और बिल्लू रेल आएगी तो यह कबूतर भी मर जायेगा। इसके ऊपर से पहिया निकलेगा और फट से कबूतर का चूरमा बन जायेगा।" चिंटू की बात सुन कर दोनों बबलू और बिल्लू खिलखिला कर हंसने लगे। तभी रेल पटरी से बंधे कबूतर को देख एक बिल्ली उसका शिकार करने आ गयी। इससे पहले बिल्ली कबूतर को दबोचती, चिंटू ने बिल्ली को पकड़ लिया और उसे भी रेल पटरी के साथ बांध दिया। दोनों आमने सामने बंधे हुए थे। एक और कबूतर और ठीक सामने बिल्ली। बिल्ली की ललचाई नज़र कबूतर पर थी। बेबस कबूतर पंजे पर सुतली को ढीली करने के लिए फड़फड़ा रहा था तो दूसरी और बिल्ली भी बंधे पैरों को छुड़ाने के लिए हिलडुल रही थी। थोड़ी देर बाद दूर से रेलगाड़ी की सीटी की आवाज़ सुनाई दी। चिंटू बोला "बबलू, बिल्लू खड़े हो जाओ। रेलगाड़ी आने वाली है। हम पीछे हट कर तमाशा देखते हैं।" तीनो बच्चे पीछे हो गए। रेलगाड़ी नज़दीक आ रही थी। तभी कबूतर बंधे पैर छुड़ाने में सफल हो गया और उड़ गया। बिल्ली भी पैरों के बंधन ढीले कर चुकी थी। फुर्ती से वह भी निकल भागी। रेलगाड़ी आई और पटरी पर रखे छोटे छोटे पत्थरों और कंकरों को तितर बितर करते हुए तेज गति से आगे निकल गयी। तीनों बच्चे उधास हो गए कि कबूतर उड़ गया, बिल्ली भी भाग गयी और रेलगाड़ी भी नहीं पलटी। तीनों अपने घर जाने के लिए चल पड़े। रास्ते में चिंटू ने बबलू और बिल्लू से कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि लोग झूठ बोल रहे थे कि पत्थर से रेल पलटी। यहां तो कुछ नहीं हुआ। बच्चों को रेल के न पलटने का अफ़सोस उतना नहीं था, जितना कबूतर के उड़ जाने और बिल्ली के भाग जाने पर था।
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साथी

29 जनवरी 2015
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कुछ वीरान सी हो गई ज़िन्दगी साथी के चले जाने के बाद। अब तो दीवारे ही हो गई साथी साथी के चले जाने के बाद। बार बार याद आता है चेहरा साथी का साथी के चले जाने के बाद। वो हसीन मुस्कुराता चेहरा साथी का वो दिल को लुभाता चेहरा साथी का वो हर पल प्यार करता चेहरा साथी का वो हर पल प्यार मांगता चेहरा साथ

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वक्त

30 जनवरी 2015
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धडी की सुईयां चल रही हैं, पर वक़्त थम सा रहा है। कुछ ख़ुशी का पल आ गया है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ गम का पल छा गया है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ नाराज़ सी वो हो गई है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ हंस कर नज़रें मिलने लगी हैं, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है।

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उम्मीद

4 फरवरी 2015
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किसी पर उम्मीद छोड कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है अपने पर उम्मीद रख कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है अपनी उम्मीद पर हौसला रख कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है

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ख्वाब

7 फरवरी 2015
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मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, हॅँसना चाहता हूं, खुल कर हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, इक छोटे से बच्चे की किलकारी जैसी हॅँसी हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, रोते हुए छोटे बच्चों को हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, उदास होठों प

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यूंही

8 फरवरी 2015
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बस यूंही गुज़र रहा है दिन सोचते सोचते बस यूंही गुज़र रही है ज़िन्दगी सोचते सोचते बस एक ठंडी हवा का मस्त झोंका आया सोचते सोचते बस एक गरम हवा बदन पस्त कर गई सोचते सोचते बस रिश्ते बनते टूटते रहे सोचते सोचते बस कुछ हंसी के लम्हे आ गए सोचते सोचते बस कुछ गम से समय बीत गया सोचते सोचते बस कुछ उदा

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दिल

13 फरवरी 2015
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इस दिल को संभाल कर रखिये हर बात पर मचल जाता है। नादान है यह दिल हर बात पर रूठ जाता है। बात ना मानो इस दिल की जोर से धड़कने लग जाता है। जब कहते है इसको नादान भाग कर कोपभवन चला जाता है। जब मानते हैं इसकी बात खुश होकर हंसता जाता है। जब मुस्कुरा कर मिलते हैं दो हसीन चेहरे दिल दिल से मिल जाता ह

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रौशन

16 फरवरी 2015
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करें दिल हम रौशन भुला दें हम दिलों के अंतर गिले शिकवों में क्या रखा है करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन न समझे किसी को छोटा बड़ा सब हैं प्यार के काबिल करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन क्या कोई गरीब अमीर दिल है सबका एक सा करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन एक सा सबका धड़कता है दि

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बस एक बार

23 फरवरी 2015
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बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन के अल्हड दिन बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन की किलकारी हंसी बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन में आसमान छूते छोटे छोटे हाथ बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन की मस्तियां नादानियां बस एक बार मुड़ कर देंखे वो छोटे हाथों का कबूतर बिल्लियों के पीछे भागना बस एक बार फिर मु

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कायाकल्प

11 मार्च 2015
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कायाकल्प मेज पर फाइलों का पुलिंदा पड़ा है, पर दिलीप को कोई जल्दी नहीं है कि फाइलों को निबटाया जाए। सरकारी विभाग, बिना दक्षिणा के फ़ाइल का पट नहीं खुलता। दिलीप का सिद्धान्त है कि मंदिर जाते है तो बिना प्रसाद, चढ़ावे के भगवान से भी विनती नहीं करते तो सरकारी कर्मचारी कौन भगवान से कम हैं। पूरे देश के ज

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अम्मा

15 अप्रैल 2015
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रात के डेढ़ बज़ रहे थे। कोठी का गेट चौकीदार ने खोला। रवि और रीना कार से उतरे। मेन गेट चाबी से खोल रहे थे, अम्मा सीढ़ियां उतर कर भागी भागी आई। अम्मा को आते देख कर रवि ने कहा "अम्मा क्या बात है सोई नहीं।" "कार का हॉर्न सुन कर नींद खुल गई। सोचा, कुछ ज़रुरत हो आपको।" रीना ने हंसते हुए कहा "अम्मा, आपको कह

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तीन बच्चे

30 अगस्त 2015
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तीन बच्चेनवगांव की सीमा पर एक तालाब है और उसके पास धोबियों की बस्ती। कपडे धोने के काम में तालाब का प्रयोग होता है। तालाब के पास रेल की पटरी है। रेल गाड़ियों की आवाजावी रात दिन होती है। सवारी गाड़ियां दिन में चार और रात को दो आती हैं, बाकी कुछ मालगाड़ियां आती जाती हैं। गर्मियों के दिन थे। सुबह कुछ धोबी

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