shabd-logo

आज का विचार (६)

31 अगस्त 2015

312 बार देखा गया 312
featured image “विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषधि है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों में हमें दृढ़ करेंगे, दोष और त्रुटियों से हमें बचाएंगे, हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे तब हमें उत्साहित करेंगे I"
7
रचनाएँ
thought
0.0
इस आयाम के अंतर्गत आप विभिन्न लेखकों के सुन्दर विचार पढ़ सकते हैं ई
1

आज का विचार (१)

26 अगस्त 2015
0
10
2

"बड़ा आदमी वह कहलाता है जिससे मिलने के बाद कोई स्वयं को छोटा न महसूस करे।"

2

आज का विचार (२)

27 अगस्त 2015
1
1
1

"सफल व्यक्ति अपने फ़ैसले से दुनिया बदल देते हैं और असफल व्यक्ति दुनिया के डर से अपने फ़ैसले बदल लेते हैं ।"

3

आज का विचार (३)

28 अगस्त 2015
0
4
0

“आप जैसे चित्र देखते हैं, जैसा संगीत सुनते हैं, जैसी किताबें पढ़ते हैं और जैसे लोगों की संगति करते हैं...एक दिन वैसे ही बन जाते हैं। सच मानिए, अच्छे चित्र देखेंगे तो आपकी छवि भी सुन्दर हो जाएगी, अच्छा संगीत सुनेंगे तो आपका मन सुन्दर होगा, अच्छी किताबें आपके मस्तिष्क को सुंदरता प्रदान करेंगी और अच्छे

4

आज का विचार (४)

28 अगस्त 2015
0
3
0

“बच्चे ने परीक्षा में कितने अंक प्राप्त किये, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितनी कि यह बात कि उसकी समझ कितनी अच्छी है। आखिर अच्छे और बुरे अंकों का भान हमें अन्य बच्चों के अंकों से तुलना करने पर ही तो होता है; ज़रा सोचिए, यदि आपका बच्चा आपके द्वारा प्रदत्त सुख-सुविधाओं की तुलना किसी अन्य बच्चे को उपलब्ध

5

आज का विचार (५)

28 अगस्त 2015
0
3
0

“सावधान रहिए ! जीवन में आपकी प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है I”

6

आज का विचार (६)

31 अगस्त 2015
0
4
0

“विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषधि है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों में हमें दृढ़ करेंगे, दोष और त्रुटियों से हमें बचाएंगे, हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे तब हमें उत्

7

शांति मंत्र

8 मार्च 2019
0
1
1

सह नाववतु।सह नौ भुनक्तु।सह वीर्यं करवावहै।तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥असतो मा सद्गमय।तमसो मा ज्योतिर्गमय।मृत्योर्माऽमृतं गमय।ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष शान्ति:पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म

---

किताब पढ़िए