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फिल्म एक नजर में : वेलकम बैक -ट्रांसपोर्टर रिफ्युल्ड

6 सितम्बर 2015

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फिल्म एक नजर में : ट्रांसपोर्टर रिफ्युल्ड ट्रांसपोर्टर सीरिज एक एक्शन पैक्ड मनोरंजन के लिए याद की जाती है , जिसमे एक ट्रांसपोर्टर की कहानी होती है जो गैरकानूनी ट्रांसपोर्टेशन का कार्य करता है , जिसके चलते वह बड़ी मुसीबतों में भी पड़ता है और उनसे बच भी निकलता है . ट्रांसपोर्टर की भूमिका में ‘जेसन स्टेथम ‘ हमेशा से तारीफ़ पाते आये और जमे है ! किन्तु फिल्म के चौथे संस्करण में वे नदारद है , अच्छा ही है क्योकि यह फिल्म इस सीरिज की सबसे कमजोर फिल्मो में गिनी जाएगी जिसमे ना ढंग की कहानी है , न ही दिलचस्प या हैरतंगेज एक्शन . फ्रैंक के पिताजी रिटायर हुए है ,और वे अपने बेटे के साथ रहना चाहते है ! फ्रैंक ट्रांसपोर्टर है और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है , इसी सिलसिले में कुछ लडकिया फ्रैंक को एक पार्सल डिलीवरी के लिए हायर करती है ! फ्रैंक राजी हो जाता है किन्तु इन लडकियों का मकसद कुछ और ही है , जिसके लिए वे फ्रैंक के पिता का अपहरण कर लेते है ! दरअसल वे लडकिया जिस्मफरोशी में लिप्त रह चुकी है और वे उन्हें मजबूर करनेवाले सरगनाओ से बदला लेना चाहते है उन्हें बर्बाद करके . जिसके लिए वे फ्रैंक का इस्तेमाल करना चाहते है , अब यहाँ से भागदौड़ शुरू होती है ! जो एक जबरदस्ती के क्लाईमैक्स के बाद खत्म हो जाती है . कहानी में वैसे कुछ नया तो नहीं होता इस सीरिज में , किन्तु प्रस्तुतिकरण नया अवश्य होता था ! किन्तु यह भाग हर मामले में निराश करके एक कमजोर फिल्म बन कर रह जाती है , जिसमे ट्रांसपोर्टर सीरिज वाली कोई बात ही नजर नहीं आती . एक्शन औसत दर्जे के है , जो आपको बॉलीवुड फिल्मो में भी आसानी से मिल जायेंगे ,फरैंक के रोल में ‘एड स्क्रीन ‘ सबसे कमजोर रहे है , उनमे फ्रैंक वाली कोई खूबी नजर नहीं आती . देखे जानेलायक कोई ख़ास बात नहीं है , नजरंदाज कर सकते है . डेढ़ स्टार . वेलकम बैक : बोलीवूड में सिक्वेल्स का चलन जबरदस्ती थोपा हुवा लगता है , जो केवल पिछली फिल्म के नाम को भुनाने के लिए ही प्रयुक्त होता है ! जिसमे न कहानी पर मेहनत की जाती है और न ही फिल्मांकन पर ! बस पुराने नाम में लपेट कर प्रस्तुत कर दिया जाता है . ऐसी फिल्मो में एक और नाम शामिल हो गया है ‘अनीस बज्मी ‘ ‘’वेलकम बैक ‘ का . बॉलीवुड के मंझे हुए एवं अनुभवी कलाकारों को अजीबोगरीब हरकते करते देखना अफसोसजनक है . कहानी शुरू होती है ,मजनू भाई ( अनिल कपूर ) एवं शेट्टी भाई ( नाना पाटेकर ) की चिंता से , जिन्हें अपनी शादी की चिंता है . वे अब शरीफ बन चुके है , मजनू शेट्टी भाई के इस फैसले के हमेशा से खिलाफ रहा है ! किन्तु शेट्टी भाई अब शराफत का चोला ओढ़ चूका है ,इसी समय उन्हें पता चलता है के शेट्टी भाई के पिता ने तीसरी शादी भी की थी और उस शादी से उनकी एक बेटी भी है ‘रंजना ‘ ( श्रुति हसन ) , अब उसकी शादी की जिम्मेदारी भी उदय और मजनू पर आ जाती है ! और वे उसके लिए शरीफ लड़का ढूंढने के लिए अपने समधी ‘डॉक्टर घुंगरू ‘ ( परेश रावल ) को पकड़ते है , दूसरी ओर घुंगरू को भी पता चलता है के उसकी पत्नी का एक बेटा ‘अजय ‘ ( जॉन अब्राहम ) पहली शादी से है , जो मुंबई में एक बहुत बड़ा गुंडा है ! तो वही रंजना और अज्जू भी एकदूसरे से प्यार करने लगते है , और वह अज्जू को शराफत का नाटक करने को कहती है . उदय और मजनू अजय को शरीफ समझकर अपनी बहन की शादी के लिए मान जाते है किन्तु उस्क्का राज खुलने पर बिदक जाते है ! इसी बिच प्रवेश करते है वांटेड भाई ( नसीरुद्दीन शाह ) जो अपने बेटे की शादी भी रंजना से ही करना चाहते है . इसके बाद होता है बॉलीवुड स्टाईल बेमतलब का कन्फ्यूजन , और बेसिरपैर की घटनाये जो साबित करती है मंझे हुए कलाकार भी एक्टिंग के नाम पर कुछ भी कर सकते है . फिल्म में केवल उदय और मजनू ही अच्छे लगते है ,किन्तु कुछ समय तक ही ! कुछ देर बाद उन दोनों की हरकते भी लाउड होने लगती है , उदय शेट्टी का बारबार ‘कंट्रोल ‘ कहना भी अति लगने लगता है . कहानी के नाम पर भेडचाल है , ओवर एक्टिंग में सभी एकदूसरे से आगे है , इसलिए किसी विशेष का उल्लेख आवश्यक नहीं . गीत संगीत चलताऊ है ,जो कर्कश लगते है ! एक गाने में अनु मालिक की आवाज भी सुनने को मिलती है , जिसे सुनकर वाकई सरदर्द होने लगता है , वे म्यूजिक कम्पोजर ही ठीक है . सभी एक्टर्स अपने हाल पर छोड़ दिए गए प्रतीत होता है , मानो जिसे जैसे एक्टिंग करनी है करो . क्लाईमैक्स की भागदौड़ अब आउटडेटेड हो चुकी है , किन्तु फिर भी न जाने क्यों कॉमेडी फिल्मो के नाम पर ऐसी बेवकुफिया अब भी झेली जा रही है . कुल मिलाकर यह एक औसत फिल्म है , देखे या न देखे कोई फर्क नहीं पड़ता . डेढ़ स्टार देवेन पाण्डेय - See more at: http://deven-d.blogspot.in/2015/09/blog-post.html#sthash.uWqhwlCO.dpuf
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फिल्म एक नजर में : वेलकम बैक -ट्रांसपोर्टर रिफ्युल्ड

6 सितम्बर 2015
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फिल्म एक नजर में : ट्रांसपोर्टर रिफ्युल्डट्रांसपोर्टर सीरिज एक एक्शन पैक्ड मनोरंजन के लिए याद की जाती है ,जिसमे एक ट्रांसपोर्टर की कहानी होती है जो गैरकानूनी ट्रांसपोर्टेशन का कार्य करता है ,जिसके चलते वह बड़ी मुसीबतों में भी पड़ता है और उनसे बच भी निकलता है .ट्रांसपोर्टर की भूमिका में ‘जेसन स्टेथम ‘

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फिल्म एक नजर में : घायल वंस अगेन .

7 फरवरी 2016
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काफी समय से सनी देओल की कोई सफल फिल्म नहीं आई थी ! जो आई भी उनका नाम तक किसी को याद नहीं ,जैसे कंगना रानावत और सनी की ‘आई लव एन वाय ‘’ जो काफी अरसे से डिब्बा बंद थी और जिसने बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं माँगा .आलम यह था के सनी को फिल्मे मिलना ही बंद हो गयी और यह बात खुद सनी ने स्वीकारी ,और एक दमदार कल

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फिल्म एक नजर में : डेडपूल

12 फरवरी 2016
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फिल्म एक नजर में : डेडपूलसनम तेरी कसम ,सनम रे ,फितूर ,लवशुदा ,डाईरेक्ट इश्क ,जैसी केवल प्यार मोहब्बत और टिपिकल बोलीवूड मसाला फिल्मो के ट्रेलर्स ,फिल्म रिलीज ने काफी कन्फ्यूज कर रखा है ! कौन सी रिलीज हुयी है और कौन सी होने वाली है कुछ पता नहीं चल रहा ! सब एक ही जैसी नजर आती है और मोहब्बत प्यार का ओवर

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नीरजा : फिल्म समीक्षा

21 फरवरी 2016
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बॉलीवुड के मिजाज आजकल बदले बदले से है , जहा कुछ फूहड़ और अर्थहीन फिल्मो ने गंद मचा रखी है ( और दर्शको ने उन फिल्मो को पानी पिला कर जवाब भी दे दिया के अब वे गंदगी से उब चुके है )वही कुछ फिल्मे राहत का कार्य करती है ,हाल ही में सत्यघटनाओ एवं रियल हीरोज पर फिल्म बनाने के चलन ने जोर पकड़ा है जो के एक अच्छ

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लंडन हैज फॉलेन ( फिल्म समीक्षा )

6 मार्च 2016
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फिल्म एक नजर में : लंडन हैज फॉलेन .कुछ अरसे पहले दो फिल्मे एक ही विषय पर आई थी , ओलंपियसहैज फॉलेन ,और रोलेंड एम्मरिक की ‘’व्हाईट हाउस डाउन ‘’ जिनमे अमरीका एवं  व्हाईट हाउस पर हुवा हमला केंद्र में था ,दोनों में से ओलम्पियस हैज फॉलेन शानदार बनी थी , उसी की अगली कड़ी है ‘’लंडन हैज फॉलेन’’कहानी : अमरीकी

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फिल्म एक नजर में : बैटमैन वर्सेज सुपरमैन : डौन ऑफ़ जस्टिस .

26 मार्च 2016
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भारत कॉमिकस अभी भी बच्चो की चीज मानी जाती है ,जबकि पाश्चात्य देशो में यह काफी उपर उठ चुकी है और वहा यह संस्कृति का हिस्सा है l कॉमिक्स चरित्रों की लोकप्रियता ही है के हर साल अच्छी खासी तादाद में सुपरहीरो फिल्मे सिल्वर स्क्रीन पर दस्तक देती है और सफलता के परचम लहराती है ,( अफ़सोस बॉलिवूड को अभी भी प्य

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फिल्म एक नजर में : दी जंगल बुक

10 अप्रैल 2016
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मोगली की कहानी से शायद ही कोई अनजान हो,नब्बे के दशक का यह चरित्र जिसनेदूरदर्शन पर प्रसारित होकर उस पीढ़ी इ हर बच्चे के बचपन कभी न भुल सकनेवाला तोहफादिया था !आज की पीढ़ी उस क्रेज को समझ ही नहीं सकती जब ढेरो केबल चैनल के बजाय केवल एकचैनल हुवा करता था l  विडिओ गेम्स ,मोबाईल्सऔर सैकड़ो प्रोग्राम्स के अम्बा

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फिल्म एक नजर में : नदिया के पार ( १९८२ )

28 अप्रैल 2016
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 ‘’केशव प्रसाद मिश्र ‘’ के उपन्यास ‘कोहबर की शर्त ‘ पर आधारित फिल्म ‘नदिया के पार ‘ जो १९८२ में रिलीज हुयी और काफी सराही गयी और सफलता के कीर्तिमान भी रचे ! फिल्म सभी तरह के लोगो को पसंद आई और सभी के ...दिल को छुवा ,इसी कहानी को आधार बनाकर बाद में ‘राजश्री प्रोडक्शंन ‘ ने ‘हम आपके है कौन ‘ जैसी भव्य

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मोबाईल ले लो ,टैबलेट ले लो !

28 अप्रैल 2016
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कल्पना कीजिये !!! जिस तरह से आज घर घर सब्जी वाले या फेरीवाले अपना सामान बेचते है !यदि ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमें लैप्टॉप ,मोबाईल ,कम्प्यूटर भी घर पे मिलेंगेवह भी भाव ताव के साथ ! आपकी पसंद होगी के आपको कौन सा गैजेट कौन से भाव में

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फिल्म एक नजर में : सिविल वॉर : कैप्टन अमेरिका .

9 मई 2016
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यह साल पूरी तरह से सुपरहीरोज के नाम ही रहा , डीसी मार्वल के दो बड़े बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट्स इसी साल रिलीज हुए जिनमे डीसी और मार्वल यूनिवर्स के प्रमुख सुपरहीरोज के टकराव को केन्द्रित किया गया lडीसी की बैटमैन वर्सेज सुपरमैन से जैसी उम्मीद थी वैसी नहीं निकली किन्तु सिविल वॉर उम्मीदों पर बिलकुल खरी उतर

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पुस्तक समीक्षा : ‘’जस्ट लाइक दैट ‘’

13 जुलाई 2016
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लेखक : मिथिलेश गुप्ता lप्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स lमिथिलेश गुप्ता से मेरी जान पहचान फेसबुक से ही हुयी है ,मै काफी अरसे से इन्हें जानता हु ,लेकिन मुलाक़ात हाल ही में मुंबई में इनकी पुस्तक के लांच के दरम्यान ही हुयी lउनसे मिलकर ऐसा ही नहीं के मै उनसे पहली दफा मिल रहा हु ,वे आसपास के ही पहचान के व्यक्ति

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पुस्तक समीक्षा : ‘’जस्ट लाइक दैट ‘’

13 जुलाई 2016
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लेखक : मिथिलेश गुप्ता lप्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स lमिथिलेश गुप्ता से मेरी जान पहचान फेसबुक से ही हुयी है ,मै काफी अरसे से इन्हें जानता हु ,लेकिन मुलाक़ात हाल ही में मुंबई में इनकी पुस्तक के लांच के दरम्यान ही हुयी lउनसे मिलकर ऐसा ही नहीं के मै उनसे पहली दफा मिल रहा हु ,वे आसपास के ही पहचान के व्यक्ति

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पुस्तक समीक्षा : कमीना

26 जुलाई 2016
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लेखक : शुभानन्दप्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स lअस्सी और नब्बे के दशक में पल्प फिक्शन का काफी बोलबाला हुवा करता था ,तब मनोरंजन के साधन कमतर होने कारण पल्प फिक्शन का बाजार ख़ासा मुनाफे का था lहर बार नए नए लेखक उभरते ,नए नए पात्र बनते, कुछ पात्र अच्छे होते ,कुछ बुरे तो कुछ ग्रे शेड लिए हुए lइन्हें पल्प फिक्

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दी बुक ऑफ़ एली : आज के संदर्भ में

30 जुलाई 2016
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दी बुक ऑफ़ एली ( 2010 )फिल्म का कांसेप्ट काफी अनुठा है ! फिल्म की कहानी परमाणु हमलो से तबाह हो चुकी ऐसी धरती की है ,जो आज हर चीज को मोहताज है ,उस युद्ध को बीस साल बीत चुके है ! एक पूरी पीढ़ी और युग उस समय के साथ नष्ट हो गयी ,अब बचे है सर नयी पीढ़ी जिसने युद्ध के पहले की दुनिया नहीं देखि ! वह हर उस चीज

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अबोध मेहमान !

31 जुलाई 2016
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जब इस प्रथम बार हथेली पर उठायादिनांक १६ मई २०१४ को मुझे यह मिला। किसी पेड़ से गिर गया था । कव्वे परेशान कर रहे थे। मेरे छोटे भाई इसे बचाकर घर ले आये । उन पेड़ो के झुरमुट में इसका घर तलाशना संभव नहीं था ! बहुत ही छोटा सा था जो की अभी उड़ना भी नहीं जानता था ,और बहुत डरा हुवा भी ,इसलिए इसे खुले में रखना भ

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‘जय हो पंखो वाली मईया ‘

4 अगस्त 2016
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कल से ही देख रहा हु ! कुछ दिनों पहले ही हमारे गोदाम में एक खम्बे पर एक कबूतरी ने अंडे दिए थेजो अब बच्चो में परिवर्तित हो चुके है ! चूँकि वे एक बंद गोदाम में जन्मे है इसलिए बाहरी वातावरण की तुलना में उन्हें उड़ने का अभ्यस्त होने में जरुरत से ज्यादा समय लगना है ,बच्चे माँ की आधी बराबरी इतने बड़े तो हो ह

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कार्टूनिस्ट प्राण ! कॉमिक्स जगत के एक युग का अंत

6 अगस्त 2016
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कार्टूनिस्ट प्राण15 अगस्त को  कार्टूनिस्ट प्राण साहब का जन्मदिन है  l उन्हें इस दुनिया से गए 2 साल हो गए 5 अगस्त 2014 को उन्होंने कॉमिक्स जगत के साथ ही इस स्थायी शरीर को विदा कह दिया l'चाचा चौधरी ' बिल्लू ,पिंकी ,के रचयिता कार्टूनिस्ट'प्राण ' नहीं रहे l 75 साल की उम्र में उनके निधन से कॉमिक जगत को अ

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पुस्तक समीक्षा : तारकनाथ तांत्रिक : अंधेर नगरी

7 अगस्त 2016
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इस मूल पात्र का असल नाम ‘’तारानाथ तांत्रिक ‘’ है अंग्रेजी वर्जन में और बांग्ला साहित्य में lयह चरित्र अब पब्लिक डोमेन है , भारतीय कॉमिक्स जगत में यदि उल्लेखनीय प्रायोगिक लेखन की चर्चा की जाए तो ‘’शामिक दासगुप्ता ‘’ का नाम अनेक विवादों एवं बयानों के बावजूद अग्रणी होगा इसमें कोई शक नहीं है lअब तक भारत

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यादो का घर !

10 अगस्त 2016
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मोबाइल पर नेट ऑन करते ही 'व्हाट्सएप ' पर एक मैसेज आया I''राहुल पाण्डेय ' तु चंद दिनों के दोस्तों को बर्थ डे विश कर रहा है Iलेकिन बचपन के दोस्त का जन्मदिन याद नहीं ''पहले तो मै चिंहुक गया के कौन है ये ? फिर देखा तो मेरे बचपन का सहपाठी था Iमैंने समझाया 'अरे भाई मै किसी के जन्मदिन याद थोड़े ही रखता हु ,

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पुस्तक समीक्षा : खुनी जंग ( कारवां )

21 अगस्त 2016
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कुछ अरसे पहले याली ड्रीम्स क्रिएशन की होरर ग्राफिक नॉवेल ‘’कारवाँ ‘’ रिलीज हुयी थी जिसे काफी चर्चा मिली थी , उसकी सफलता से प्रेरित होकर उसका हिंदी रूपांतरण भी किया गया ,जो मेरे व्यग्तिगत विचार से अंग्रेजी से भी बेहतर बनी थी l चूँकि मैंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों पढ़ी हुयी है तो तुलनात्मक रूप से यदि कह

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ममता की दिवार

26 अगस्त 2016
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कही जा रहे थे ! बस में थे , लगातार बरसात के चलते काफी जगह यातायातमें दिक्कत हो रही थी !ट्रैफिक चरम पर था ,साँझ का समय था ! अचानक बस की खिड़की से देखते हुएसमीप ही आकर रुकी स्कुल बस पर नजर पड़ी ,स्कुल बस के स्टॉप पर बहुत सी महिलाओंका झुण्ड अपने बच्चो की प्रतीक्षा कर रहा था !स्कूल बस से बच्चो के उतरते ही

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दी सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ़ एरियरीटी : फिल्म समीक्षा ( एनिमेशन )

30 अगस्त 2016
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वैसे तो मुझे एनिमेशन फिल्मे देखना कुछ ख़ास पसंद नहीं है , इसके बावजूद मैंने अब तक ढेर सारी एनिमेशन फिल्मे देखि है ! जिनमे से सिर्फ गिनी चुनी फिल्मे ही उल्लेखनीय है !यह फिल्म भी उन्ही यादगार और प्यारी फिल्मो में से एक है , मैंने किसी के आग्रह पर यह फिल्म देखि थी ,वैसे मै बहुत कम फिल्मे अंग्रेजी में दे

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पुस्तक समीक्षा : रक्षक ( ग्राफिक नॉवेल )

31 अगस्त 2016
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भाषा : इंग्लिशपब्लिकेशन : याली ड्रीम्स क्रिएशन .याली ड्रीम्स क्रिएशन्स के परिचय पर इससे पहले के रिव्युज में काफी कुछ लिख चूका हु ,तो इस बार बिना किसी औपचारिकता के मुख्य मुद्दे पर आते है lयाली ने भूतकाल में कई अलग-अलग जेनर पर काम किया है किन्तु इसके बावजूद एक ग्राफिक नावेल या कॉमिक्स पब्लिकेशन को विव

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