18 सितम्बर 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
और इस प्रकार हिन्दी कविता असीमित क्षेत्रों और विषयों को स्पर्श करती चली आ रही है।...............और वर्तमान में कविता को एक हथियार के रूप में प्रयोग करना चाहते है ..........कला कार ....जो आने वाले कल को आकार दे कला के माध्यम से ...............कविता के माध्यम से समस्या और समाधान दोनों दिखलाये जाये ..............सुर ताल बनाई जाये .....
19 सितम्बर 2015
धन्यवाद अवधेश जी !
19 सितम्बर 2015
बहुत ही सुन्दर आलेख !
19 सितम्बर 2015