आपकी जिंदगी की पाठशाला में ऐसा कोई भी श्यामपट् नही है, जिस पर आपके जीवनयापन के उद्देश्य लिखें हो या ऐसा कोई मिशन या टारगेट नहीं लिखा होता, जिसके क्रमगत जीवन गुजारकर सुखी, संतोष, खुशी प्राप्त कर सके।व्यक्ति को स्वयं समझना चाहिए कि वह इस दुनिया में क्यों आया है? उसे किस तरह से जीवन व्यतीत करना है।हमें उस काले पुते पट्ट पर अपनी जीवन रेखा खींचनी है।और इस जीवन रेखा के द्वारा पता लगाना है कि भगवान ने मुझे इस दुनियांमें किन कामों को करने के लिए भेजा है।
हमें अपना जीवन स्वयं बनाना है।स्वयं लक्ष्य निर्धारण कर खुद का मार्ग प्रशस्त करता है।जैसा हम सोचेंगे, वैसा ही हमारा जीवन होता है।कोई दूसरा आकर तुम्हारे जीवन में दखलंदाजी नहीं कर सकता है। और न ही मूल्यांकन करके अच्छा या बुरा, गलत या सही नहीं कह सकता है।हमे अपने जीवन में अपनी मनपसंद चीजों को स्थान देकर पूर्ति करना चाहिए।गलती से अगर नापसंद चीजें पहले से भरी हुई है तो उन्हें कचरा पेटी में डालकर सफाई कर देनी चाहिए।क्योंकि जो चीजें भला नहीं कर सकती, उन्हें अपने श्यामपट् पर स्थान नहीं देना चाहिए।
यह सच है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य स्वयं ही निर्धारित करना होता है । इस रंगमंच पर अपना रोल समझना होता है और उसी के अनुसार हमें निर्माण करना होता है ! बहुत अच्छा लेख !