shabd-logo

माटी का चितेरा

6 अक्टूबर 2015

408 बार देखा गया 408
featured image

बचपन में अपनी उम्र के तमाम बच्चों की तरह वो भी दीवारों पर चाक और पेन्सिल से आड़ी-तिरछी लकीरें खींच दिया करते थे, सब की तरह उन्हें भी डांट पड़ा करती थी; लेकिन किसे मालूम था कि आगे चलकर नन्हें हाथों से उकेरी वही लकीरें सुन्दर कृतियों में तब्दील हो जाएंगी I उम्र के साथ अभिव्यक्ति के माध्यम भी बदलते गए i कभी कागज़, तो कभी कैनवस, कभी मिटटी तो कभी पत्थर I आज, थर्माकोल, सिरेमिक, लकड़ी, मिट्टी, प्लास्टर ऑव पेरिस या फिर कोई और अनुपयोगी चीज़ें, रचना करनी है तो फिर माध्यम कुछ भी हो...रचना होकर रहेगी I उनके द्वारा काफ़ी बड़े आकार में थर्माकोल पर बनी गणेश प्रतिमाएँ देखकर वुड-आर्ट-वर्क का भ्रम होता है, क्योंकि थर्माकोल पर उस तरह की नक्काशी कल्पना से परे है I मिट्टी, पत्थर और प्लास्टर ऑव पेरिस से बने स्कल्पचर्स भी देखकर यूं लगता है जैसे कुछ बोलना चाहते हों ! 

कानपुर में पले-बढ़े रवि शर्मा कला के क्षेत्र में बचपन से ही प्रतिभावान रहे I अनेकानेक प्रतियोगिताएं जीतीं, और अपनी कृतियों को अनेक प्रदर्शनियों के माध्यम से जनमानस के समक्ष प्रस्तुत कर वाहवाही हासिल की । पेन्टिंग्स, म्यूरल्स, स्कल्पचर्स, लाइट-मारबल, स्केचेज़ और ग्राफिटी आर्ट में रची आपकी सिरजना बहुत सराही जाती हैं I कला की बारीकियां सीखने के लिए आपने औपचारिक शिक्षा ग्रहण की I वर्ष 2008 में एमबीए करने के बाद आप पूर्ण रूप से कला के प्रति समर्पित हैं । आपका मानना है कि जिस प्रकार संगीत की औपचारिक शिक्षा हो न हो, कुछ न कुछ गुनगुनाते रहना ज़रूरी है, इसी प्रकार जीवन में ड्राइंग एंड पेंटिंग का भी जीवन में रंग भरते रहना ज़रूरी है I उनकी यह कला घर-घर पंहुचे, इस उद्देश्य से भविष्य में वह एक बड़े ‘ड्राइंग एंड पेंटिंग’ स्कूल की कल्पना करते हैं जहाँ कला के प्रति समर्पित कोई भी व्यक्ति आकर सीखे और यह कला-कान्ति आगे बढ़ा सके I    

उषा यादव

उषा यादव

अति सुन्दर कृति ! इसके रचनाकार 'रवि शर्मा'को बहुत-बहुत बधाई ! 'तरुवर' आपका बहुत अच्छा आयाम है, इस पर ऐसी ही प्रतिभाओं के बारे में लिखते रहिये, धन्यवाद !

5 नवम्बर 2015

20
रचनाएँ
lifesketch
0.0
इस आयाम के अंतर्गत आप विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े जाने-माने व्यक्तियों की संक्षिप्त जीवनी की झलक पा सकते हैं ।
1

बाल-श्रमिकों का मसीहा

1 अक्टूबर 2015
0
6
4

‘अपने लिए जिए तो क्या जिए...ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए’...कितने ही लोगों ने सुना होगा ये गीत और आगे बढ़ गए होंगे जबकि कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी हुए जिनके लिए ये गीत प्रेरणा बन गया और उन्होंने इसे अपने जीवन में उतार दिया । ऐसा ही एक नाम है ‘कैलाश सत्यार्थी’ । भारत के मध्य प्रदेश (विदिशा) में 11 जनवरी 1954 क

2

शिल्प-जगत का आकाश-दर्पण

1 अक्टूबर 2015
0
6
2

कला और कलाकार किसी एक देश के नहीं होते बल्कि सम्पूर्ण विश्व के होते हैं । कला, देश की सीमाओं के बन्धन में नहीं बंधती । कलाकार नील गगन में उन्मुक्त उड़ान भरते विहगों के सदृश होते हैं उनके लिए पूरी धरती और आकाश एक होते हैं ।मशहूर बुत-तराश अनीश कपूर ने वर्ष 2006 में अपनी एक कृति, एक विशाल आकाश दर्पण के

3

नन्हीं 'पाखी' की उड़ान...

5 अक्टूबर 2015
0
4
1

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

4

माटी का चितेरा

6 अक्टूबर 2015
0
5
1

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

5

सारी बस्ती क़दमों में है...

4 नवम्बर 2015
0
6
9

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

6

महान वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद्र राय

5 नवम्बर 2015
0
7
4

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

7

बच्चों तुम तक़दीर हो...

14 नवम्बर 2015
0
6
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

8

लक्ष्य

17 नवम्बर 2015
0
4
3

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

9

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

18 नवम्बर 2015
0
17
7

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

10

कामयाबी के साथ, दुर्गा रघुनाथ

21 नवम्बर 2015
0
6
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

11

मानवता की अनूठी मिसाल : रोटी बैंक

31 दिसम्बर 2015
0
4
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

12

दृष्टिहीनों का दीपक- लुई ब्रेल

4 जनवरी 2016
0
4
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

13

गणतंत्र दिवस, समर्पण का दिन

25 जनवरी 2016
0
0
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

14

जब तान छिड़ी मैं बोल उठा : हरिशंकर परसाई

28 जनवरी 2016
0
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

15

हौसलों से उड़ान होती है...

1 फरवरी 2016
0
2
2

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

16

ज्योति कलश छलके

11 फरवरी 2016
0
4
2

'ज्योति कलश छलके', 'सत्यम शिवम सुंदरम' और 'तुम आशा विश्वास हमारे' जैसे अनेक कालजयी गीतों के रचनाकार, साहित्य और गीतलेखन के गुरु द्रोणाचार्य और विविध भारती के पितामह, भले ही पार्थिव शरीर त्यागकर वृजन् में विलीन हो गए हों, लेकिन हमारी यादों से कभी विलग नहीं होंगे। २८ फरवरी १९१३ को उत्तर प्रदेश के खुर्

17

प्रेरक है भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन

2 अप्रैल 2016
0
5
2

बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में 2 अप्रैल 1942 को जन्मे डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह गणित के असंख्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत और देश का गौरव हैं। उन्होंने बिहार में ही रहकर मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह बचपन से ही पढाई में बहुत तेज़ थे। कहा जाता है कि पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के द

18

ख़ुद सक्षम बन दूसरों को सिखा रही मुक़ाबला करना

9 अप्रैल 2016
0
5
0

अपराध की घटनाएं अखबारों में पढ़कर व टीवी में देखकर निन्दी ही नहीं बल्कि उसके परिवार का हर सदस्य डर जाता था। निन्दी झुग्गी बस्तियों की तरह तंग जिंदगी जीते हुए हर दिन नरक सा अनुभव करती थी। टॉयलेट जाते समय कभी बस्ती के युवक उसको अपशब्द कहते तो कभी स्कूल जाते समय मनचले उस पर फब्तियां कसते। निन्दी मन मसो

19

थोड़ी सीख पटना के भाई गुरमीत सिंह से...

12 अप्रैल 2016
0
7
0

पटना के सरदार गुरमीत सिंह मौजूदा कपड़ों की अपनी पुश्तैनी दुकान संभालते हैं।लेकिन रात होते ही वे 90 साल पुराने और 1760 बेड वाले सरकारी पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के मरीज़ों के लिए मसीहा बन जाते हैं। बीते 20 साल से गुरमीत सिंह हर रात लावारिस मरीज़ों को देखने के लिए पहुंचते हैं। वे उनके लिए भोजन और

20

छिपा हुआ सत्य

26 अप्रैल 2016
0
1
0

कितना अद्भुत, कितना सत्य !यह घटना भूमध्यसागर के सिसली द्वीप की है। अपराह्न के समय, सड़क पर अपने काम-धंधों में व्यस्त लोगों तथा व्यापारियों का जमघट लगा था। अचानक एक ज़ोर की आवाज़ सुनाई दी, 'मिल गया, मिल गया।' एक नंगा आदमी सड़क के बीचो-बीच दौ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए