अपने सभी पाठकों से मेरी एक नम्र विनती है की किन्ही तकनिकी कारणों की वजह से पहले यहाँ जो मैंने इन्टरनेट के माध्यम से साईं चालीसा शेयर की थी वो नही दिखाई दे रही थी इस वजह से मैंने पुनः साईं चालीसा यहाँ शेयर की है जो की इन्टरनेट के माध्यम से ही ली है मैंने नहीं लिखी माफ़ी चाहती हूँ सभी से की आपकेपहले के कमेंट्स मुझे यहाँ से मिटाने पड़े ।
पुष्पा पी. परजिया
03 नवम्बर 2015बहुत बहुत धन्यवाद सह सादर प्रणाम आचार्य जी । जी नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा । आपकी बात का जवाब इसी चालीसाके ५५ भाग में ही है