shabd-logo

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015

1480 बार देखा गया 1480
featured imageमेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहता खुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहता सबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा है तौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा है पाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहता मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहता तुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आते नैनों का ये नीर भी तुम इस भाषा में ही बहाते दूर देश में रहकर भी भाषा का भाष है रहता मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहता अंग्रेजी अनिवार्य हुई है समझो इसे तपस्या पर सोचो कब आई तुमको हिंदी में समस्या है कंचन निज भाष मन विकट तपन को सहता मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहता विश्व तुम्हारा हितग्राही है चलो क़दम मिलाकर किन्तु भाष मिल जाएँ तो रख दो विश्व हिलाकर पहल मेरी पहचान हमारी खुद से फिर हूँ कहता मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहता (मेरी इस कविता का यह १० वां हिंदी दिवस है, संलग्न जेपेग में कैलीग्राफी भी देखें )

रीतेश खरे की अन्य किताबें

1

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
0
65
17

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

2

एक मुक्तक, मुक्तता के पर्व के नाम...

15 अगस्त 2015
0
1
2

कौन कहता हैआज का दिन ड्रायभीगा है तिरंगालहू शहीद है बहायमेरी रूहमेरी जिंदजय हिंद!!! जय ६९वाँ स्वतंत्रता पर्व, ६८ की हुई आज़ादी

3

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
0
0
0

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

4

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
0
0
0

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

5

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

20 अक्टूबर 2015
0
1
1

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

6

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
0
0
0

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

7

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
0
0
0

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

8

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

3 नवम्बर 2015
0
4
1

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

9

हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
0
49
0

मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

10

माँ का यक़ीन

24 मई 2016
0
2
1

ख़ुश हो जाती है मेरी माँजब उसको wish करता हूँ happy mother's dayक्योंकि भागती हुई ज़िंदगी की दौड़ मेंबेमंज़िल सी किसी रेस की होड़ मेंउसके बच्चे को फ़ुर्सत कहाँ के पूछ ले कैसी हो माँकमाल की बात है कि वो बखूब समझती है येउसे शिकवा भी नहीं बिछे हुए फासलों सेभले ही उड़ गया वो दूर अपने घोंसले सेभूला तो न होगा वो

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए