आज के समय में, चमकदार त्वचा, सुंदर नाक-नक्श, स्वस्थ एवं संतुलित, सुडौल आकार ही सुंदरता का मानदंड हैं। परन्तु बाह्य सुंदरता ही सुंदरता की परिभाषा नहीं हैं वरन परोपकारिता और उदारता से भरा हुआ दिल ही आत्मा का सौंदर्य है। भीतरी सुंदरता इंसान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। अच्छी सोच और सकारात्मक विचार उसमें चार चाँद लगा देते हैं। प्रेम आपके आंतरिक सौंदर्य को बढ़ाता हैं । यदि आप दूसरो की पीड़ा अथवा भावनाएं महसूस करते हैं तो आप निश्चित ही आंतरिक रूप से सुन्दर हैं।
सेंट ऑगस्टाइन ने कहा हैं की, "चूँकि आप के भीतर प्यार बढ़ता है, इसलिए सौंदर्य बढ़ता है क्योंकि प्यार आत्मा का सौंदर्य है।"
हालांकि वर्तमान समय में, सुंदरता के सारे मानदंड ही बदल गए हैं, लोग सुन्दर दिखने के लिए नजाने कितने पैसे पानी की तरह बहा देते हैं परन्तु ये ध्यान नहीं देते की आपके भीतर का सौंदर्य ही असली सौंदर्य हैं। दुनिया के अलग-अलग देशो में सुंदरता के अजीबोगरीब मानदंड हैं। कई बार तो सुंदरता प्राप्त करने के लिए लोगो को नजाने कितनी पीड़ा सहनी पड़ती है परन्तु व्यक्ति फिर भी सुंदरता प्राप्त करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। व्यक्ति ये ध्यान नहीं देता है कि उसका अच्छा व्यवहार, श्रेष्ठ कर्म, अच्छे गुण ही उसकी असली पहचान हैं। आंतरिक गुणों के विकास से उसकी ख्याति जन्म जन्मान्तर तक लोगों के बीच अमिट रहेगी ।