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बनिए आवाज़ के जादूगर

23 अक्टूबर 2015

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अगर आपका उच्चारण शुद्ध है, स्वराघात अच्छा है, अंग्रेज़ी-हिन्दी का सम्यक ज्ञान है और आपको लगता है कि आपकी आवाज़ को लोग सुनना चाहेंगे तो अपनी आवाज़ के बल पर ‘voice-over’ के क्षेत्र में आप करीयर बना सकते हैं I

आपने फ़िल्मों में डबिंग की बात सुनी होगी I गाँधी, जुरासिक पार्क, टाईटेनिक आदि तमाम फ़िल्मों में डबिंग आर्टिस्ट्स ने जान डाल दी I भारत में तमिल, मलयालम और तेलगू फ़िल्मों की डबिंग सबसे ज़्यादा होती है I इन डब-फ़िल्मों में सबसे ज़्यादा काम ‘voice-over’ का होता है I

‘Voice-Over’ का मतलब है किसी विज़ुअल को उसी के अनुरूप आवाज़ देना I वीडियो देखकर दृश्य और पात्र की ज़रुरत के मुताबिक आवाज़ का उतार-चढ़ाव समझना होता है I फिल्में, टीवी. सीरियल, विज्ञापन, डाक्यूमेंट्री आदि में डबिंग आर्टिस्ट्स की बहुत ज़रुरत होती है I

अब आप जानना चाहेंगे कि voice-over आर्टिस्ट बनने के लिए शैक्षिक योग्यता क्या होनी चाहिए ? आपको बता दें, इस क्षेत्र में प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज़्यादा फ़ोकस किया जाता है I आवाज़, उच्चारण और अन्दाज़ उम्दा हो तो 12वीं पास भी चलेगा I यहाँ आपको यह ज़रूर बताना चाहेंगे कि समय-समय पर आकाशवाणी केन्द्र भी आकस्मिक उद्घोषकों के पैनल बनाया करते हैं जिसके लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक होती है I स्वर-परीक्षा, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार से गुजरने के बाद आकाशवाणी का ‘वाणी सर्टिफिकेट कोर्स’ करना होता है I इसके बाद प्रसारण के दौरान भी क़रीब एक हफ़्ते का प्रशिक्षण दिया जाता है I इतनी परीक्षाओं से गुजरने के बाद यदि आपकी प्रस्तुति प्रसारण योग्य समझी जाती है तो आकाशवाणी की ज़रुरत के अनुसार आपको एक महीने में अधिकतम 6 असाइनमेंट का कार्य दिया जा सकता है I एक असाइनमेंट के लिए सामान्यतया 1300 रुपए का शुल्क प्रदान किया जाता है I इस प्रकार आकाशवाणी के स्थानीय केंद्र से जुड़कर आवाज़ की दुनिया में क़दम रखा जा सकता है I

‘Voice-Over’ आर्टिस्ट को ऑडियो पोस्ट प्रोडक्शन हाउसेज़ में काम करने का अवसर मिल जाता है I पोस्ट प्रोडक्शन में ऑडियो-विज़ुअल इनपुट्स, करैक्टर के हिसाब से फिट किये जाते हैं I इसे ग्राफ़िक, आर्काइव्ज फुटेज आदि के माध्यम से तैयार किया जाता है I टीवी सीरियल, कार्टून फिल्म्स, एजुकेशनल कंटेंट, पाठ्यक्रम में सम्मिलित किताबों आदि को वोइस-ओवर के ज़रिए विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत किया जाता है I क़ाबिलियत के हिसाब से इस क्षेत्र में पैसा भी अच्छा है I एक वोइस-ओवर आर्टिस्ट अपनी आवाज़ की गुणवत्ता के आधार पर 1500 रूपए से लेकर 15,000 रुपए प्रति एपिसोड तक कमा सकता है I जबकि फ़िल्मों में डबिंग आर्टिस्ट 50 हज़ार से 75 हज़ार रुपए तक कमा लेते हैं ।


कुछ प्रमुख संस्थान हैं, जहाँ से डबिंग आर्टिस्ट हेतु प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है :


आरके फ़िल्म एंड मीडिया एकेडमी, नई दिल्ली I

एशियन एकेडेमी ऑव फ़िल्म एंड टेलीविज़न, नोएडा I

ज़ेवियर इंस्टीट्यूट ऑव कम्युनिकेशन, मुंबई I

आईसोमेस बीजीए फिल्म्स, नोएडा I          


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...और युसुफ़ बन गए दिलीप कुमार

3 सितम्बर 2015
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बहुत से सिने-प्रेमी ये बात जानते होंगे कि ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का वास्तविक नाम है युसुफ़ खान I लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि जनाब युसुफ़ ख़ान को दिलीप कुमार का नाम किसने दिया I 28 फ़रवरी, 1913 को खुर्जा उत्तर प्रदेश में जन्मे हिंदी के प्रसिद्ध कवि, लेखक और संपादक पंडित नरेंद्र शर्मा उन्नीसवीं सदी

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लिखने वाले ख़ूब जानते हैं कि कितने ही क्षण ऐसे आते हैं जब लिखे बिना रहा नहीं जाता...निर्झर सरिता सा बहता कल-कल प्रवाह फिर रोके नहीं रुकता ! मीमांसा-अभिवेगों से रंगा मन, लिखने का अमल-अभिमाद, व्यक्ति को भीड़ में भी अकेला कर देता है, उसे तब तक चैन नहीं मिलता जब तक उसकी क़लम अपना अंतर्वेग काग़ज़ के पन्नों पर

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ओ साथी गुनगुनाता चल...

18 सितम्बर 2015
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‘सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन’, ‘अखियों के झरोखों से मैंने देखा जो साँवरे’, ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’, ‘जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना’, ‘तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले’, ‘गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल’, ‘सुनयना आज इन नज़ारों को तुम देखो’ जैसे असंख्य गीत, संगीत प्रेमियों के दिलों की धड़कन हैं; और,

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18 सितम्बर 2015
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सचिन देव बर्मन हिन्दी और बांग्ला फिल्मों के ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का स्पर्श था, वहीं वह पाश्चात्य संगीत का भी बेहतरीन मिश्रण करते थे । सचिन देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 को त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ था । प्यार से लोग उन्हें एस डी बर्मन बुलाते

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जाने वो कैसे लोग थे जिनके...

10 अक्टूबर 2015
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बनिए आवाज़ के जादूगर

23 अक्टूबर 2015
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गीत, हमारे मनमीत

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कितने ही गीत हमारे मनमीत होते हैं ! कितनी ही बार हमारे मन में एक नयी उमंग, एक नयी तरंग जगाते हैं, जैसे थाम के उंगली हौले से हमें लिए जाते हैं, न जाने कौन से उजालों की ओर ! एक ऐसा ही गीत है फिल्म 'गाइड' का जिसके बोल हैं....'आज फिर जीने की तमन्ना है' I ऐसे नग्मात सुनकर ऐसा लगता है मानो ये उम्र और समय

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कमाल के फ़नकार थे-कमाल अमरोही

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ग्लैमरस भूमिकाओं की मल्लिका थीं अभिनेत्री परवीन बाबी

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हॉलीवुड फिल्म 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की है। जॉन फेवरू की रडयार्ड किपलिंग की किताब पर बेस्ड इस फिल्म का दर्शकों को काफी समय से इंतजार था। फिल्म के हिंदी वर्जन को प्रियंका चोपड़ा और इमरान खान जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी आवाज दी है। 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन

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ज़बरदस्त अभिनय की मल्लिका : रोहिणी हट्टंगड़ी

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11 अप्रैल 1951 को पुणे में जन्मी हिंदी फ़िल्म जगत की ज़बरदस्त अभिनेत्री ने अपने करीअर की शुरुआत मराठी रंगमंच से की थी। बचपन से ही उनकी आत्मा थिएटर में बसी थी और वो सिर्फ एक कलाकार बनना चाहती थीं। उन्होंने फ़िल्मों के बारे में सोचा ही नहीं था इसी लिए उनके FTTI उनके होम टाउन में होने के बावजूद उन्होंने 1

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फ़िज़ाओं में गूंजता है आज भी इकतारा: गीतकार वर्मा मलिक

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'एकतारा बोले, तुन-तुन, क्या कहे ये तुमसे सुन-सुन' गीत लिखने वाले गीतकार वर्मा मलिक जन्मे थे 13 अप्रैल, 1925 को फीरोजपुर (अब पाकिस्तान) में। शुरूआती दिनों में उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भी भाग लिया और अनेक देशभक्ति गीत लिखे। वह बहुत ही सुन्दर भजन लिखते थे और अपने कार्य का आरम्भ किसी भजन

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कुछ तो है...

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जी ! आज जाने-माने फिल्म और टीवी कलाकार शिवाजी साटम का जन्मदिन है। 21 अप्रैल, 1950 को जन्मे शिवाजी साटम, अभिनय के क्षेत्र में आने से पहले बैंक-कैशियर थे। थिएटर करने का शौक़ उन्हें फिल्म और टीवी तक खींच लाया। उन्होंने तमाम फिल्मों में बेहतरीन रोल किये लेकिन ख़ास पहचान बनी मशहूर धारावाहिक सीआईडी के एक अह

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