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एअर कंडीशन नेता ( हास्य कविता )

26 अक्टूबर 2015

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वंदन कर भारत माता का, गणतंत्र राज्य की बोलो जय ।

काका का दर्शन प्राप्त करो, सब पाप-ताप हो जाए क्षय ॥

मैं अपनी त्याग-तपस्या से जनगण को मार्ग दिखाता हूँ ।

है कमी अन्न की इसीलिए चमचम-रसगुल्ले खाता हूँ ॥

गीता से ज्ञान मिला मुझको, मँज गया आत्मा का दर्पण ।

निर्लिप्त और निष्कामी हूँ, सब कर्म किए प्रभु के अर्पण ॥

आत्मोन्नति के अनुभूत योग, कुछ तुमको आज बतऊँगा ।

हूँ सत्य-अहिंसा का स्वरूप, जग में प्रकाश फैलाऊँगा ॥

आई स्वराज की बेला तब, ‘सेवा-व्रत’ हमने धार लिया ।

दुश्मन भी कहने लगे दोस्त! मैदान आपने मार लिया ॥

जब अंतःकरण हुआ जाग्रत, उसने हमको यों समझाया ।

आँधी के आम झाड़ मूरख क्षणभंगुर है नश्वर काया ॥

गृहणी ने भृकुटी तान कहा-कुछ अपना भी उद्धार करो ।

है सदाचार क अर्थ यही तुम सदा एक के चार करो ॥

गुरु भ्रष्टदेव ने सदाचार का गूढ़ भेद यह बतलाया ।

जो मूल शब्द था सदाचोर, वह सदाचार अब कहलाया ॥

गुरुमंत्र मिला आई अक्कल उपदेश देश को देता मैं ।

है सारी जनता थर्ड क्लास, एअरकंडीशन नेता मैं ॥

जनता के संकट दूर करूँ, इच्छा होती, मन भी चलता ।

पर भ्रमण और उद्घाटन-भाषण से अवकाश नहीं मिलता ॥

आटा महँगा, भाटे महँगे, महँगाई से मत घबराओ ।

राशन से पेट न भर पाओ, तो गाजर शकरकन्द खाओ ॥

ऋषियों की वाणी याद करो, उन तथ्यों पर विश्वास करो ।

यदि आत्मशुद्धि करना चाहो, उपवास करो, उपवास करो ॥

दर्शन-वेदांत बताते हैं, यह जीवन-जगत अनित्या है ।

इसलिए दूध, घी, तेल, चून, चीनी, चावल, सब मिथ्या है ॥

रिश्वत अथवा उपहार-भेंट मैं नहीं किसी से लेता हूँ ।

यदि भूले भटके ले भी लूँ तो कृष्णार्पण कर देता हूँ ॥

ले भाँति-भाँति की औषधियाँ, शासक-नेता आगे आए ।

भारत से भ्रष्टाचार अभी तक दूर नहीं वे कर पाए ॥

अब केवल एक इलाज शेष, मेरा यह नुस्खा नोट करो ।

जब खोट करो, मत ओट करो, सब कुछ डंके की चोट करो

-काका हाथरसी

गिरिजा नन्द झा

गिरिजा नन्द झा

अब केवल एक इलाज शेष, मेरा यह नुस्खा नोट करो । जब खोट करो, मत ओट करो, सब कुछ डंके की चोट करो ॥

27 अक्टूबर 2015

वर्तिका

वर्तिका

क्या खूब कहा है सुधांशु जी!

27 अक्टूबर 2015

वर्तिका

वर्तिका

धन्यवाद विजय जी!

27 अक्टूबर 2015

सुधांशु तिवारी

सुधांशु तिवारी

लोकतन्त्र की विडम्बना है और कुछ नहीं जाने किस किस को सलाम सोंप दिया है, आज तक ठीक से समझ में यह आया नहीं जाने किस बात का इनाम सोंप दिया है| जो हैं तानाशाही वाली सोच के गुलाम उन्हें आज सारे हिन्द का निजाम सोंप दिया है, जिन्हें बैठना था पान की दुकान पर उन्हें देश का चलाने वाले काम सोंप दिया है||

26 अक्टूबर 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

नेताओं पर अच्छा व्यंग्कारी है आपकी यह रचना

26 अक्टूबर 2015

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रचनाएँ
manranjan
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इस आयाम के अंतर्गत आप मनोरंजन जगत से सम्बंधित खबरें पढ़ सकते हैं.
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हँसी की फुहार!

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चुल्लूभर पानी(हास्य-व्यंग) -काका हाथरसी

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हंसी के रसगुल्ले !

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फादर ने बनवा दिये तीन कोट¸ छै पैंट¸लल्लू मेरा बन गया कालिज स्टूडैंट।कालिज स्टूडैंट¸ हुए होस्टल में भरती¸दिन भर बिस्कुट चरें¸ शाम को खायें इमरती।कहें काका कविराय¸ बुद्धि पर डाली चादर¸मौज कर रहे पुत्र¸ हडि्डयां घिसते फादर।पढ़ना–लिखना व्यर्थ हैं¸ दिन भर खेलो खेल¸होते रहु दो साल तक फस्र्ट इयर में फेल।फस

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रहने को घर नहीं है (हास्य-व्यंग्य)

15 अक्टूबर 2015
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17 अक्टूबर 2015
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ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे क्या हँसता है!!देख सामने तेरा आगत मुँह लटकाए खड़ा हुआ है .अब हँसता है फिर रोयेगा ,शहनाई के स्वर में जब बच्चे चीखेंगे.चिंताओं का मुकुट शीश पर धरा रहेगा.खर्चों की घोडियाँ कहेंगी आ अब चढ़ ले.तब तुझको यह पता लगेगा,उस मंगनी का क्या मतलब था,उस शादी का क्या सुयोग था.अरे उतावले!!किसी

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एअर कंडीशन नेता ( हास्य कविता )

26 अक्टूबर 2015
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हंसी एक्सप्रेस

27 अक्टूबर 2015
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हँसते-हँसते हो जाओगे लोटपोट!

5 नवम्बर 2015
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टीचर: सच ओर वहम में क्या फ़र्क़ है ?स्टूडेंट: आप जो हमें पढ़ा रही हैं वो सच है, लेकिन हम सब पढ़ रहे हैं ये आपका वहम है…….लड़की –बादल गरजे तोतेरी याद आती हैसावन आने सेतेरी याद आती हैबारिश की बुंदों मेंतेरी याद आती हैलड़का-पता है पता है तेरी छतरी मेरे पास पड़ी है लौटा दुंगा, मर मत….बंटू को सड़क पे 100

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मुस्कुराते रहो!

18 नवम्बर 2015
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पंखा पुराण (हास्य कविता)

23 नवम्बर 2015
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24 नवम्बर 2015
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अभी तो मैं जवान हूँ ज़िन्दगी़ में मिल गया कुरसियों का प्यार है अब तो पाँच साल तक बहार ही बहार है कब्र में है पाँव पर फिर भी पहलवान हूँ अभी तो मैं जवान हूँ। जब लाद चलेगा बंजारा

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जब उसने मुझे भइया कहा ( हास्य कविता)

27 नवम्बर 2015
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मैंने ना जाने कितने सपने बुने सपने बुने फिर वे धुने किन्तु दिल का इकलौता अरमाँ आसुओं में बहा जब उसने मुझे देखते ही भइया कहा। होटल में गया वेटर को बुलवाया बिरयानी और न जाने क्या क्या मंगवाया किन्तु मेरा दिल वहाँ भी रोता ही रहा बिल चुकता करने के बाद  जब चिट पर लिख कर आय

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कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया

2 दिसम्बर 2015
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कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया,तुम बलदाऊ के भाई यहाँ हैं दाउद के भैया।।दूध दही की जगह पेप्सी, लिम्का कोकाकोलाचक्र सुदर्शन छोड़ के हाथों में लेना हथगोलाकाली नाग नचैया। कलयुग में अब. . .।।गोबर को धन कहने वाले गोबर्धन क्या जानेंरास रचाते पुलिस पकड़ कर ले जाएगी थानेलेन देन क

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