shabd-logo

सरदार पटेल

31 अक्टूबर 2015

192 बार देखा गया 192

प्रवीण कुमार शर्मा की अन्य किताबें

9
रचनाएँ
halkifulkibaatein
0.0
इस आयाम के मध्यम से, मैं आपके के साथ मनोरंजक एवं रोचक समाचार, जोक्स वग़ैरह शेयर करना चाहूँगी|
1

मच्छर चालीसा!

10 सितम्बर 2015
0
6
4

ओम जय! मच्छर देवा,स्वामी जय! मच्छर देवा,रात को सोने ना दो तुम,काट-काट करते हो बेहाल तुम,खून पियों सबका,ओम जय! मच्छर देवा!मलेरिया एवं डेंगू के तुम हो दाता,किसी का निद्रा-सुख तुम्हे ना भाता,राग सुनाते हो ऐसा,ओम जय! मच्छर देवा!

2

एअर कंडीशन नेता ( हास्य कविता )

27 अक्टूबर 2015
0
4
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

3

ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे क्या हँसता है! ( हास्य कविता )

27 अक्टूबर 2015
0
0
0

ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे क्या हँसता है!!देख सामने तेरा आगत मुँह लटकाए खड़ा हुआ है .अब हँसता है फिर रोयेगा ,शहनाई के स्वर में जब बच्चे चीखेंगे.चिंताओं का मुकुट शीश पर धरा रहेगा.खर्चों की घोडियाँ कहेंगी आ अब चढ़ ले.तब तुझको यह पता लगेगा,उस मंगनी का क्या मतलब था,उस शादी का क्या सुयोग था.अरे उतावले!!किसी

4

हंसी एक्सप्रेस

27 अक्टूबर 2015
0
9
2

<!--[if !mso]><style>v\:* {behavior:url(#default#VML);}o\:* {behavior:url(#default#VML);}w\:* {behavior:url(#default#VML);}.shape {behavior:url(#default#VML);}</style><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatti

5

सरदार पटेल

31 अक्टूबर 2015
0
0
0

6

हँसते-हँसते हो जाओगे लोटपोट!

5 नवम्बर 2015
0
18
1

टीचर: सच ओर वहम में क्या फ़र्क़ है ?स्टूडेंट: आप जो हमें पढ़ा रही हैं वो सच है, लेकिन हम सब पढ़ रहे हैं ये आपका वहम है…….लड़की –बादल गरजे तोतेरी याद आती हैसावन आने सेतेरी याद आती हैबारिश की बुंदों मेंतेरी याद आती हैलड़का-पता है पता है तेरी छतरी मेरे पास पड़ी है लौटा दुंगा, मर मत….बंटू को सड़क पे 100

7

मुस्कुराते रहो!

18 नवम्बर 2015
0
9
1

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

8

पंखा पुराण (हास्य कविता)

23 नवम्बर 2015
0
3
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

9

जब उसने मुझे भइया कहा ( हास्य कविता)

27 नवम्बर 2015
0
10
4

मैंने ना जाने कितने सपने बुने सपने बुने फिर वे धुने किन्तु दिल का इकलौता अरमाँ आसुओं में बहा जब उसने मुझे देखते ही भइया कहा। होटल में गया वेटर को बुलवाया बिरयानी और न जाने क्या क्या मंगवाया किन्तु मेरा दिल वहाँ भी रोता ही रहा बिल चुकता करने के बाद  जब चिट पर लिख कर आय

---

किताब पढ़िए