मैंने अपने दामन में
चंद कांटे भी सजाए
है
जब भी कोई लगी फांस
कांटो से ही निजात
पाई है .
31 अक्टूबर 2015
मैंने अपने दामन में
चंद कांटे भी सजाए
है
जब भी कोई लगी फांस
कांटो से ही निजात
पाई है .
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लफ़्ज़ों और रंगो से अपने अहसासों को बिखेर देती हूँ . मैं अर्चना हर बूँद में अक्स अपना देख लेती हूँ ।D
धन्यवाद योगिता जी
3 नवम्बर 2015
सुन्दर
2 नवम्बर 2015
ओम प्रकाश जी ।..bahut धन्यवाद
2 नवम्बर 2015
मैंने अपने दामन में चंद कांटे भी सजाए है.......... अति सुन्दर अभिव्यक्ति !
2 नवम्बर 2015