मैं एक धर्म गुरु हूं
मुझ से बढ़ा धर्म गुरु न हुआ न होगा
मैं एक भक्त हूं
मुझ से बढ़ा भक्त न कोई हुआ न होगा
मैं एक स्वतंत्रता सेनानी हूं
मुझ से बढ़ा स्वतंत्रता सेनानी न हुआ न होगा
मैं एक क्रांतिकारी हूं
मुझ से बढ़ा क्रांतिकारी न हुआ न होगा
मैं एक इतिहासकार हूं
मुझ से बढ़ा इतिहासकार न हुआ न होगा
मैं एक साहित्यकार हूं
मुझ से बढ़ा साहित्यकार न हुआ न होगा
मैं एक खोजी हूं
मुझ से बढ़ा खोजी न कोई हुआ न होगा
मैं एक योजनाकार हूं
मुझ जैसा योजनाकार न कोई हुआ न होगा
मैं एक राजनीतिज्ञ हूं
मुझ से बढ़ा राजनीतिज्ञ न हुआ न होगा
मैं एक अध्यापक हूं
मुझ जैसा अध्यापक न कोई हुआ न होगा
मैं एक कलाकार हूं
मुझ जैसा कलाकार न कोई हुआ न होगा
मैं एक जनसेवक हूं
मुझ जैसा जनसेवक न हुआ न होगा
मन हो तो अपनाऊं, मन हो तो किसी का मजाक उड़ाऊं
जब न बने बात तो मुर्दे को बांग लगाऊं
और जिंदा विरोधियों पर डांग बरसाऊं
शब्दार्थ : - बांग = जोर से आवाज देना डांग = लाठी
विजय कुमार शर्मा की अन्य किताबें
मैं राजनीति शास्त्र एवं हिंदी में एम.ए हुं, अपने विभाग में यूनियन का अध्यक्ष रह चुका हुं, जिला इंटक बठिंडा का वरिष्ठ उप प्रधान रह चुका हुं, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, बठिंडा एवं भुवनेश्वर का सदस्य-सचिव रह चुका हुँ, वर्तमान में अखिल भारतीय कर्मचारी भविष्य निधि राजभाषा संघ का सलाहकार हूँ, आयकर विभाग में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत रह चुका हुँ, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर हिंदी मामलों से संबंधित विशेषज्ञ पेनलों एवं हिंदी संगोष्टियों का हिस्सा रह चुका हुं, अलग-अलग नाम से विभागीय और नराकास की 12 से भी अधिक पत्रिकाओं का संपादक रह चुका हुँ, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से राजभाषा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात जुलाई, 2019 से बतौर परामर्शदाता कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में तैनात हूँ, 05 वर्ष तक श्री साईं कॉन्वेंट स्कूल, अमृतसर के प्रधानाचार्य का पद संभाला और कुछ समय तक एनडीएमसी, दिल्ली के सोशल एजुकेशन विभाग के कौशल विकास अनुभाग का कार्य भी देखा। मनसुख होटल और करतार होटल अमृतसर का प्रबंधक रह चुका हूँ , भाषाकेसरीओएल के नाम से मेरा यूट्यूब चैनल है और स्वयं की ओर से लिखित पुस्तकों का लेखक भी हूँ ।D