भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश भी है जहां सभी धर्म ; सम्प्रदाय ;समुदाय के लोगो को भी सहज ही स्वीकार किया जाता है और स्थान भी दिया जाता है ।. धार्मिक आजादी भी दी जाती है ।. रही बात साईं की ।.....तो उसने कोई भी कार्य ऐसा नहीं किया जो राष्ट्र या समाज हित मैं मना जाए ।. साईं का पूरा जीवन रहन -सहन; वाक्शैली; पक्षपात;खाना - पीना ;हिन्दू मान्यताओ - त्योहार- परम्पराओ से विरोध करना; हर समय अल्ला - अल्ला करना आदि कार्य उसके मुला होने और हिन्दू विरोधी होने का सबूत देती हैं ;; जो साईं चरित्र मैं स्पष्ट लिखी हैं ……। आस्था के आधार पर और देवी देवताओ के नाम पर भारत मैं ज्यादा से ज्यादा व्यापार ही तो होता है हिन्दुओ को धार्मिक आस्था के नाम पर आतंकवादी और देशद्रोही तो नहीं बनाया जाता …।. हिन्दू धर्म स्थलों से रुपया पैसा सोना चांदी ही तो निकलता है हथियार गोला बारूद तो नहीं ।. हिन्दुओ की धार्मिक आस्था के कारण हिन्दू धर्म स्थलों पर चढ़ावा आना तो चलो समझ मैं आता है किन्तु महत्त्व पूर्ण बात ये है की हिन्दुओ की अज्ञान युक्त धार्मिक आस्था के कारण मुल्लो के धर्म स्थल भी जिन हिन्दुओ के चढ़ावे से चल रहे हैं वो हिन्दुओ की धार्मिक आस्था को व्यापार का नाम देते हैं और कुछ हिन्दुओ को ये अति सुन्दर लगता है