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गन्तन्त्र दिवस की ्सुभकामनाये

28 जनवरी 2015

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सोचता हूँ क्या दे पाउँगा जो मैंने पाया है इस देश से क्या मैं कभी चुका पाउँगा जो मैंने पाया है इस देश से || फेलाना है मुझे देश सम्मान की भावना शायद इस तरह नज़र मिला पाऊं इस देश से || खोया है हर नागरीक जाने किस होड़ मैं दिलाना है याद उसे इस देश की || मौका है गडतंत्र दिवस मिल के सुंदरता बढ़ाना है इस देश की ||
राजू

राजू

आपका सोचना बिलकुल जायज है। क्योंकि हमने जो कुछ भी पाया हैं इसी समाज से पाया है इस लिए हमारा फर्ज बनता हैं कि यहां से जाने के पूर्व उसकी कीमत चुकाते जाएँ।

4 मई 2015

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