सच के बाज़ार में महगाईं बहुत हैं
झूठ के शॉपिंग मॉल में आशनाई बहुत हैं
पहले चीनी थोड़ी थी बच्चे ज्यादा थे
आज घर में बच्चे नहीं हैं मिठाई बहुत हैं
जिनमे रखते थे घड़ियां और चश्मे सम्हाल के
कमबख्त आज उन डिब्बों में दवाई बहुत हैं
समीर कुमार शुक्ल
9 जनवरी 2016
सच के बाज़ार में महगाईं बहुत हैं
झूठ के शॉपिंग मॉल में आशनाई बहुत हैं
पहले चीनी थोड़ी थी बच्चे ज्यादा थे
आज घर में बच्चे नहीं हैं मिठाई बहुत हैं
जिनमे रखते थे घड़ियां और चश्मे सम्हाल के
कमबख्त आज उन डिब्बों में दवाई बहुत हैं
समीर कुमार शुक्ल
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अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आते,अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आतेD