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बहुमुखी प्रतिभा के धनी, हास्य-व्यंग्यकार एवं हरफ़नमौला रचनाकार : डॉ० अशोक चक्रधर

8 फरवरी 2016

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टेलीफ़िल्म-धारावाहिक-वृतचित्र लेखक-निर्देशक, नाटककर्मी, अभिनेता, फिल्म निर्माता, मीडियाकर्मी, कवि, लेखक एवं उत्कृष्ट हास्य-व्यंग्यकार इतने सारे बहुआयामी गुणों वाले मूर्धन्य साहित्कार एवं विद्वान का नाम है डॉ॰ अशोक चक्रधर| अशोक चक्रधर जी का जन्म ८ फ़रवरी, सन १९५१ में बुलंदशहर जिले के प्रसिद्ध खु्र्जा शहर (उत्तर प्रदेश) के अहीरपाड़ा मौहल्ले में हुआ था। इनके पिताजी डॉ॰ राधेश्याम 'प्रगल्भअध्यापक, कवि, बाल साहित्यकार और संपादक थे, जिन्होंने 'बालमेला' पत्रिका का संपादन भी किया। जबकी इनकी माता श्रीमती कुसुम प्रगल्भ गृहणी थीं। बचपन से ही विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में चक्रधर जी बढ़-चढ़ कर भाग लिया करते थे 


बचपन से ही उन्हें अपने कवि पिता का साहित्यिक मार्गदर्शन और उनके कवि-मित्रों की गोष्ठियों के माध्यम से कविता लेखन की अनौपचारिक शिक्षा भी प्राप्त हुई| सन १९६० में अशोक चक्रधर जी ने तत्कालीन रक्षामंत्री 'कृष्णा मेननको अपनी पहली कविता सुनाई थी। जबकि सन १९६२ में प्रसिद्ध कवि श्री सोहन लाल द्विवेदी की अध्यक्षता में अपने पिता द्वारा आयोजित एक कवि सम्मेलन में अशोक चक्रधर जी ने अपने मंचीय जीवन की पहली कविता पढ़कर पं.सोहनलाल द्विवेदी जी का आशीर्वाद भी प्राप्त किया। 


साहित्यिक अभिरुचि के साथ-साथ अपनी पढ़ाई के प्रति भी अशोक चक्रधर जी काफ़ी सतर्क रहे। सन् १९७० में उन्होंने बी. ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। 1968 में वे मथुरा में आकाशवाणी केन्द्र में ऑडिशंड आर्टिस्ट के रूप में भी चुने गए। जबकि 1972 में उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में एम. लिट्. में भी प्रवेश लिया। इसी बीच 1972 में उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में प्रध्यापक पद पर नियुक्त भी किया गया| दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में श्री अशोक चक्रधर जी के दिनों में अनेक गुणात्मक परिवर्तन हुए। इस दौरान उनकी पहली पुस्तक मैकमिलन से 'मुक्तिबोध की काव्य प्रक्रिया' 1975 में प्रकाशित हुई। जोधपुर विश्वविद्यालय ने इस पुस्तक को युवा लेखन द्वारा लिखी गई वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का पुरस्कार भी दिया। बाद में 1975 में उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्राध्यापक के पद पर भी कार्य प्रारंभ किया, जहाँ वे २००८ तक कार्यरत रहे। उन्होंने प्रौढ़ एवं नवसाक्षरों के लिए विपुल लेखन, नाटक, अनुवाद, कई चर्चित धारावाहिकों, वृत्त चित्रों का लेखन निर्देशन करने के अलावा कंप्यूटर में हिंदी के प्रयोग को लेकर भी महत्वपूर्ण कार्य किया है।


गौरतलब है कि श्री अशोक चक्रधर जी जननाट्य मंच के संस्थापक सदस्य भी हैं। इस कड़ी में इनका नाटक ‘बंदरिया चली ससुराल’ नाटक का नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा द्वारा मंचन हो चुका है। चक्रधर जी ने श्री रंजीत कपूर के नाटक 'आदर्श हिन्दू होटल' एवं 'शॉर्टकट' के लिए गीत लेखन का भी कार्य किया| ज्ञातव्य है कि श्री अशोक चक्रधर जी ने हिन्दी के विकास में कम्प्यूटर की भूमिका विषयक शताधिक पावर-पाइंट प्रस्तुतियां भी की हैं और वे हिन्दी सलाहकार समिति, ऊर्जा मंत्रालय- भारत सरकार तथा हिमाचल कला संस्कृति और भाषा अकादमी-हिमाचल प्रदेश सरकार, शिमला के भूतपूर्व सदस्य भी रह चुके हैं| साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए श्री चक्रधर जी विश्व-भ्रमण भी करते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण श्री अशोक चक्रधर जी हास्य-कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक हैं| अपने उत्कृष्ट योगदान हेतु 2014 में भारत सरकार द्वारा डॉ० अशोक चक्रधर जी को प्रतिष्ठित पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया


एक नज़र डॉ० अशोक चक्रधर जी के कृतित्व एवं पुरस्कारों पर :


कविता संग्रह- बूढ़े बच्चे, सो तो है, भोले भाले, तमाशा, चुटपुटकुले, हंसो और मर जाओ, देश धन्या पंच कन्या, ए जी सुनिए, इसलिये बौड़म जी इसलिये, खिड़कियाँ, बोल-गप्पे, जाने क्या टपके, चुनी चुनाई, सोची समझी, जो करे सो जोकर, मसलाराम इत्यादि


महत्वपूर्ण दूरदर्शन कार्यक्रम- नई सुबह की ओर, रेनबो फैण्टेसी, कृति में चमत्कृत, हिन्दी धागा प्रेम का, अपना उत्सव, भारत महोत्सव।


अभिनय- डीडी-1 के धारावाहिक बोल बसंतो तथा सोनी एंटरटेनमेंट चैनल (भारत) के धारावाहिक छोटी सी आशा में अभिनय


फिल्म निर्माण- जीत गई छन्नो, मास्टर दीपचंद (प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, भारत सरकार), झूमे बाला झूमे बाली (दिल्ली दूरदर्शन केन्द्र), गुलाबड़ी (दिल्ली महानिदेशालय), हाय मुसद्दी, तीन नजारे (ई टी एंड टी, भारत सरकार) बिटिया (एन एफ डी सी, भारत सरकार)


वृतचित / लेखन-निर्देशन- विकास की लकीरे (सैण्डिट, नई दिल्ली), पंगु गिरि लंघै, गोरा हट जा (फ़िल्म्स डिवीज़न, भारत सरकार), हर बच्चा हो कक्षा पाँच (दूरदर्शन निदेशालय, भारत सरकार), इस ओर है छतेरा (जामिया मिलिया इस्लामिया)।


धारावाहिक लेखन / प्रस्तुति- कहकहे, पर्दा उठता है (दिल्ली दूरदर्शन केन्द्र), वंश (आर.के. फ़िल्म्स, मुम्बई), अलबेला सुरमेला, फुलझड़ी ऐक्सप्रैस (सी. पी. सी. दूरदर्शन केन्द्र, नई दिल्ली), बात इसलिये बताई (एन. डी. टी. वी), पोल टॉप टैन, न्यूजी काउंट डाउन (ज़ी इंडिया), चुनाव चालीसा (सहारा समय), वाह वाह (सब टीवी), चुनाव चकल्लस, बजय व्यंग्य (सहारा राष्ट्रीय), चले आओ चक्रधर चमन में (दूरदर्शन)। वृत्तचित्र लेखन- बहू भी बेटी होती है (फ़िल्म्स डिवीज़न, भारत सरकार), जंगल की लय ताल, साड़ियों में लिपटी सदियाँ, साथ-साथ चलें, ये है चारा, ग्रामोदय, ज्ञान का उजाला, वत्सी नाव, रयूमेटिक हृदय होग, घैंघा पाडुराना, एड्रमौंटी टापू, छोटा नागपुर जल और थल, लोकोत्सव, नगर विकास (सैण्डिट, नई दिल्ली)।


पुरस्कार:

मुक्तिबोध की काव्यप्रक्रिया - वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक (किसी युवा लेखक द्वारा रचित), जोधपुर वि.वि., राजस्थान, 'ठिठोली पुरस्कार', दिल्ली, 'हास्य-रत्न' उपाधि 'काका हाथरसी हास्य पुरस्कार', आकाशवाणी पुरस्कार 'प्रौढ़ बच्चे' सर्वश्रेष्ठ आकाशवाणी रूपक लेखन-निर्देशन पुरस्कार, दिल्ली, 'टी.ओ.वाई.पी. अवार्ड', (टैन आउटस्टैंडिंग यंग परसन ऑफ इंडिया), जेसीज़ क्लब, बम्बई, 'समाज रत्न' उपाधि साथी संगठन, दिल्ली, 'पं.जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय एकता अवार्ड', गीतांजलि, लखनऊ, 'मनहर पुरस्कार', साहित्य कला मंच, बम्बई, धारावाहिक 'ढाई आखर' लेखन-निर्देशन के लिए भूतपूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह द्वारा सम्मानित, 'बाल साहित्य पुरस्कार', हिन्दी अकादमी, दिल्ली, 'पंगु गिरि लंघै' सर्वश्रेष्ठ विकलांग आधारित फ़िल्म, लेखन-निर्देशन-निर्माण, राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव, भारत सरकार, 'कैरियर अवार्ड', विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, 'आल राउण्ड पर्सनैलिटी', दिल्ली, 'आउटस्टैंडिंग परसन अवार्ड' रोटरी क्लब, दिल्ली, 'टेपा पुरस्कार', उज्जैन, 'राष्ट्रीय सद्भाव कवि' सम्मान, जागृति मंच, दिल्ली, 'राष्ट्रभाषा समृद्धि सम्मान', साई दास कला अकादमी, दिल्ली, 'कीर्तिमान पुरस्कार', मैहर, 'ये हैं ब्रज के गौरव' सम्मान, मथुरा, राष्ट्रपति डॉ॰ शंकरदयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रपति भवन में काव्य पाठ के लिए सम्मानित, 'रोज़ अवार्ड' रोज़ फाइन आर्ट्स क्लब, दिल्ली, 'काका हाथरसी सम्मान', हिन्दी अकादमी, दिल्ली, 'हिन्दी उर्दू साहित्य अवार्ड', लखनऊ, राज्यपाल, उ.प्र. द्वारा सम्मानित, 'दिल्ली के गौरव' सम्मान, दिल्ली सरकार,'राष्ट्रीय पर्यावरण सेवा सम्मान', षष्ठम्‌ विश्व पर्यावरण महासम्मेलन, दिल्ली, 'सुमन सम्मान', भारती परिषद एवं निराला शिक्षा निधि उन्नाव, उत्तर प्रदेश, 'सद्भावना पुरस्कार', आल इंडिया ज्ञानी ज़ैल सिंह मैमोरियल सोसाइटी, दिल्ली, भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ शंकरदयाल शर्मा द्वारा प्रदत्त, 'चौपाल सम्मान', मद्रास, 'काव्य-गौरव पुरस्कार', सागर, मध्य प्रदेश, 'डॉ॰ मंशाउर्रहमान मंशा सम्मान', नागपुर, 'राजभाषा सम्मान', भारतीय स्टेट बैंक, प्रधान कार्यालय, भोपाल (म.प्र.) तथा 2014 में भारत सरकार द्वारा पदमश्री इत्यादि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित|

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रचनाएँ
Achakradhar
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डरते झिझकतेसहमते सकुचातेहम अपने होनेवालेससुर जी के पासआए,बहुत कुछ कहनाचाहते थेपर कुछ बोल ही नहीं पाए। वे धीरज बँधातेहुए बोले-बोलो!अरे, मुँह तो खोलो। हमने कहा-जी. . . जी जी ऐसा है वे बोले-कैसा है? हमने कहा-जी. . .जी ह़महम आपकी लड़की काहाथ माँगने आएहैं। वे बोलेअच्छा!हाथ माँगने आएहैं!मुझे उम्मीद नहींथी

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दो हज़ार सोलहकर सके तो इतना कर दे,ये जो खाइयां-सी खुद गई हैं न दिलों मेंनफ़रत और पराएपन की, इन्हें भर देऔर दे सके तोशासकों में इसके लिए फ़िकर दे,और फ़िकर भी जमकर देभ्रष्टाचारियों को डर दे,और डर भी भयंकर दे।संप्रदायवादियों को टक्कर दे,और टक्कर भी खुलकर देबेघरबारों को घर दे,और घरों में जगर-मगर देज़रूर

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