दिल्ली की नामचीन जेएनयू में आतंकवादी अफज़ल गुरु की फांसी पर वहां के कुछ छात्रों द्वारा देश के विरुद्ध बयानबाज़ी पर हुई गिरफ्तारी के नाम पर कुछ कतिथ धर्म-निरपेक्ष और सहिष्णु बुद्धिजीवी वर्ग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बता रहे हैं | क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोह को बर्दाश्त करना संविधान का अपमान नहीं है ? आखिर ऐसे तत्वों पर कब लगेगी लगाम ??? देश हित सर्वोपरि है, इस बात के मद्देनज़र इनके लिए क्या कठोर से कठोर सजा का कानून नहीं होना चाहिए ???