shabd-logo

बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए

2 फरवरी 2015

358 बार देखा गया 358

एक बहुत बड़ा विशाल पेड़ था। उस पर बहुत से हंस रहते थे। उनमें एक बहुत सयाना हंस था। वह बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी था। सब उसका आदर करते 'ताऊ' कहकर बुलाते थे। एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा,  "देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुँह में ले जाएगी।"  एक युवा हंस हँसते हुए बोला,  "ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुँह में ले जाएगी?"  


सयाने हंस ने समझाया,  "आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही हैं। धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएँगे।"  दूसरे हंस को यक़ीन न आया,  "एक छोटी सी बेल कैसे सीढ़ी बन जाएगी?"  तीसरा हंस बोला,  "ताऊ, तू तो एक छोटी-सी बेल को खींच कर ज्यादा ही लम्बा कर रहा है।" 


किसी ने कहा, "यह ताऊ अपनी अक्ल का रोब डालने के लिए अर्थहीन कहानी गढ़ रहा है।"  इस प्रकार किसी भी हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया। इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल कहां थी! समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखों तक पहुंच गई। बेल का तना मोटा होना शुरु हुआ और सचमुच ही पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गई जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था। सबको ताऊ की बात की सच्चाई नजर आने लगी पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी।


एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिआ उधर आ निकला। पेड़ पर बनी सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढकर जाल बिछाया और चला गया। साँझ को सारे हंस लौट आए पेड़ पर उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए। जब वे जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था।  


एक हंस ने हिम्मत करके कहा,  "ताऊ, हम मूर्ख हैं लेकिन अब हमसे मुँह मत फेरो।'  दूसरा हंस बोला,  "इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे।"  सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया,  "मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकाल कर जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पड़े रहना जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना।"  सुबह बहेलिया आया। हंसो ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड़ गए। बहेलिया अवाक् होकर देखता रह गया। 


 सीखः बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए।

हरेन्द्र यादव की अन्य किताबें

1

जैविक_कृषि || अमृत पानी बनाने की विधि || - १६ किलो ताजा देशी गाय का गोबर - १६ किलो देशी गाय का मूत्र (पुराना भी चलेगा) - १६ किलो पानी - ४०० ग्राम गुड़ - २०० ग्राम तालाब किनारे की गीली मिट्टी इनको मिलाकर पाँच दिन तक एक पात्र मे रखना | छटवें दिन १६० किलो पानी में घोल बनाकर फसल में देना | यह एक एकड़ जमीन का घोल है | तीन माह में तीन बार देना | यह घोल फसल में टानिक का काम करेगा | जमीन जीवाणुओं से भरीपूरी हो जायेगी |

29 जनवरी 2015
0
2
0

जैविक_कृषि || अमृत पानी बनाने की विधि || - १६ किलो ताजा देशी गाय का गोबर - १६ किलो देशी गाय का मूत्र (पुराना भी चलेगा) - १६ किलो पानी - ४०० ग्राम गुड़ - २०० ग्राम तालाब किनारे की गीली मिट्टी इनको मिलाकर पाँच दिन तक एक पात्र मे रखना | छटवें दिन १६० किलो पानी में घोल बनाकर फसल में देना | यह एक एकड़ जमीन का घोल है | तीन माह में तीन बार देना | यह घोल फसल में टानिक का काम करेगा | जमीन जीवाणुओं से भरीपूरी हो जायेगी |

2

जैविक_कृषि अमृत पानी बनाने की विधि

29 जनवरी 2015
0
1
0

जैविक_कृषि  || अमृत पानी बनाने की विधि || -१६ किलो ताजा देशी गाय का गोबर - १६ किलो देशी गाय का मूत्र (पुराना भी चलेगा) - १६ किलो पानी - ४०० ग्राम गुड़ - २०० ग्राम तालाब किनारे की गीली मिट्टी इनको मिलाकर पाँच दिन तक एक पात्र मे रखना | छटवें दिन १६० किलो पानी में घोल बनाकर फसल में देना | यह एक एकड़ जम

3

प्राचीन समय की कहानी

30 जनवरी 2015
0
0
0
4

महाभारत के पश्चात

31 जनवरी 2015
0
0
0
5

बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए

2 फरवरी 2015
0
0
0

एक बहुत बड़ा विशाल पेड़ था। उस पर बहुत से हंस रहते थे। उनमें एक बहुत सयाना हंस था। वह बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी था। सब उसका आदर करते 'ताऊ' कहकर बुलाते थे। एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा,  "देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह ब

6

विमान का अविष्कार सबसे पहले कहाँ हुआ था, जानिए

10 फरवरी 2015
0
3
1

सबसे पहला हवाई जहाज भारत मे बनाया गया था ! ________________________________________ अगर आज किसी को पूछा जाये के सबसे पहला हवाई जाहाज किसने बनाया? तो ले देके हम सब एक नाम लेते है Write Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह अविष्कार| हम बचपन से यह पढ़ते आये है के 17 दिसंबरसन 1903 को अमेरिका के कै

7

बिजली की खोज सबसे पहले कहाँ हुई

11 फरवरी 2015
0
4
0

बिजली की खोज सर्वप्रथम किसने की महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ॠषि थे। इन्हें सप्तर्षियों में से एक माना जाता है। ये वशिष्ठ मुनि (राजा दशरथ के राजकुल गुरु) के बड़े भाई थे। वेदों से लेकर पुराणों में इनकी महानता की अनेक बार चर्चा की गई है, इन्होने अगस्त्य संहिता नामक ग्रन्थ की रचना की जिसमे इन्होँने हर प्रक

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए