सबकी बात न माना कर
खुद को भी पहचाना कर I
दुनिया से लड़ना है तो
अपनी ओर निशाना कर I
या तो मुझसे आकर मिल
या मुझको दीवाना कर I
बारिश में औरों पर भी
अपनी छतरी ताना कर I
बाहर दिल की बात न ला
दिल को भी तहखाना कर I
शहरों में हलचल ही रख
मत इनको वीराना कर I
-डॉ. कुँअर 'बेचैन'