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शादी

2 मार्च 2016

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पर्वत की घाटी को वादी कहते हैं |

खद्दर के कपड़े को खादी कहते हैं ||

जश्न मनाते हम जिस गुलामी का ,

उस उम्र-कैद को शादी कहते हैं ||
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दुर्गेश नन्दन भारतीय की अन्य किताबें

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शादी

2 मार्च 2016
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@@@@@@@@@@@@@पर्वत की घाटी को वादी कहते हैं |खद्दर के कपड़े को खादी कहते हैं ||जश्न मनाते हम जिस गुलामी का ,उस उम्र-कैद को शादी कहते हैं ||@@@@@@@@@@@@@

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सबसे बड़ा बेईमान

13 मई 2016
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@@@@@@ सबसे बड़ा बेईमान @@@@@@******************************************************एक निकृष्ट व्यक्ति ने मुझ को,सबसे बेईमान बताया |झूठा यह आरोप सुनकर , गुस्सा बहुत ही आया ||नहीं कभी रिश्वत खायी , न किया कोई घोटाला |मेरे उज्जवल चरित्र पर,न लगा कोई दाग काला ||बहुत कोसा उस व्यक्ति को , पर नहीं चैन मिल

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हिंदुस्तान तब और अब

13 मई 2016
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@@@@@@ हिंदुस्तान तब और अब @@@@@@ ************************************************************* सुनो कहानी तुम साथियों ,भारत के स्वाभिमान की | कितनी इज्जत थी दुनिया में ,हमारे हिन्दुस्तान की || न कोई यहाँ दास था ,न कोई उदास था | संत और सज्जनों का, पावन यहाँ वास था || चौड़ी होती माँ की छाती ,हुनर उनका

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किया नेता ने घोटाला

13 मई 2016
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@@@@@@ किया नेता ने घोटाला @@@@@@********************************किया नेता ने घोटाला ,दौलत के लिए |न कोई पुल बना नदी पर ,न कोई सड़क बनायी |बिना बने ही टूट गये दोनों ,घूस की जिनकी खायी ||किया नेता ने घोटाला ,ऐश के लिए |भुगतान कर दिया उस खाद का ,जो कभी नहीं आयी |खा गये नेता चारे को भी ,गायें खा नहीं पा

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मर्द का दर्द

16 मई 2016
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@@@@@@@@ मर्द का दर्द @@@@@@@@**********************************************************क्या दिन थे वे जवानी के , हर कन्या के दिल में रहते थे |रंगीन लगती थी दुनिया सारी,और बात-बात पर हँसते थे ||हर सुन्दर कन्या का भाई,हमें अपना साला लगता था |हमारे अरमानों से डरकर,वो हर आहट पर जगता था ||जो भी पहनते अप

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टूटना हसीन ख्वाबों का

23 मई 2016
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@@@@@@@ टूटना हसीन ख्वाबों का @@@@@@@******************************************************************एक हसीन ख्वाब मुझको आया | पत्नी ने प्यार से बुलाया |अपने सीने से लगाया | अपनी पलकों पर बिठाया |सुनी उसकी मीठी बोली | जिसकी जुबाँ से निकले गोली |लग रही थी वो भोली | जब कहा मुझे हमजोली |बोली तुम्हारा

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सकारात्मक सोच का चमत्कार

7 जून 2016
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@@@@@@ सकारात्मक सोच का चमत्कार @@@@@@@नौकरी और जीवन में कई बार हमें निन्दा और आरोपों का सामना करना पड़ता है| हालाँकि की सन्त कबीर ने निन्दा को सकारात्मक रूप से लेने की प्रेरणा देते हुए लिखा है -"निन्दक नियेरे राखिये,आनन्द कुटी छवाय |बिन साबुन बिन तेल के,मैल दूर हो जाय || "पर सच तो यह है की निंदा और

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जानवर सा आदमी है अब ,और आदमी सा है जानवर

9 जून 2016
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जानवर सा आदमी है अब ,और आदमी सा है जानवर *************************************************भौंक -भौक कर एक कुता ,दूजे को दे रहा था गाली |बच्चे देख रहे थे उनको , बजा -बजा कर ताली ||साला आदमी कहीं का ,तू भगा ले गया मेरी साली |तू कुता नहीं,आदमी है ,करतूत है जिसकी काली ||कुते द्वारा कुते को ही ,दी गयी आद

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अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के सात उपाय -

9 जून 2016
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अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के सात उपाय -*****************************************************भारत की अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करने  के लिए निम्न व्यावहारिक और उपयोगी उपाय गौर तलब है -(!)भारत का विशाल मद्य वर्ग अपनी अधिकांश बचत /जमा पूँजी बैंकों में रखने की बजाय भूखण्ड और सोने की खरीद में लगाता है |

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भाषणों का आया दौर

13 जून 2016
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@@@@@@ भाषणों का आया दौर @@@@@**************************************************ब्रह्मचारी का स्वांग भर कर ,गुरु बन बैठें नारी खोर |देश -सेवा गयी भाड़ में , भाषणों का आया दौर ||लूट की जब छूट मिली है,फिर कौन रहता किसी से पीछे |ईमानदारी से जीने वाले ,हो गयें अब तो सबसे नीचे ||खुद की बीवी बोर लगती ,लगती

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अजन्मी कन्या के मार्मिक उदगार

14 जून 2016
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भ्रूण - हत्या पर कटाक्ष करती कविता -@@@@@@@ अजन्मी कन्या के मार्मिक उदगार @@@@@@@*********************************************************************भ्रूण -परीक्षण से गुजर चुकी गर्भवती नारी,गहरी नींद में स्वप्न देखते सुन रही है ,उदगार अपने गर्भ में पल रही बेटी के |जो कह रही है उससे ,मम्मा में नहीं

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कोई-कोई

14 जून 2016
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@@@@@@@@ कोई - कोई @@@@@@@@************************************************************सूरत और सीरत देख कर ,परख करता हर कोई |पर इन्सानी कोहिनूर को ,पहचान पाता है कोई कोई ||काया और माया के मोह में ,फंस सकता है हर कोई |पर जो मुक्त रहे इन दोनों से ,वो पुरुष होता है कोई -कोई ||क्या भला है ,क्या बुरा है

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लाज है नारी का गहना

15 जून 2016
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@लाज है नारी का गहना,इसका मत व्यापार करो@*******************************************************नारी जिस्म-फ़रोशी का , बन्द यह बाजार करो ।लाज है नारी का गहना,इसका मत व्यापार करो ॥नारी के जिन उरोजों पर,शिशुओं का होता है अधिकार।मिलती है जिनसे उनको , उज्ज्वल पावन जीवन-धार॥सरे आम उघाड़ कर उनको , न उन पे

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अनूठा सपना

15 जून 2016
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सृष्टि और समाज की कमियों व विसंगतियों पर कटाक्षकरती हास्य कविता -@@@-अनूठा सपना-@@@*********************************************************झूठ -कपट और बेईमानी देख ,मैं बहुत उदास था |भ्रष्टाचार भरा संसार मुझको ,आया नहीं रास था ||उड़ जाते हैं बाल सर के ,पर बेकार बाल तंग करते |ढल जाता तन बुढ़ापे में ,वै

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शान

15 जून 2016
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भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करती लघु कथा -शान (सत्य घटना पर आधारित)****************************************************************************बैंक मैनेजर नन्दा साहब साईकिल पर बाजार जा रहे थे | राह में उनके परिचित बैंक मैनेजर प्रवीण साहब ने अपनी कार रोक कर नन्दा साहब को नमस्कार करने के बाद कटाक्ष पूर्ण अंद

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हिन्द ने तुम्हे पुकारा है

16 जून 2016
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@@@@@@"हिन्द ने तुम्हे पुकारा है"@@@@@@**********************************************************भारत की पावन धरती पर ,हर गरीब शरीफ बेचारा है |क्रान्ति का बिगुल बजा तू ,कि हिन्द ने तुम्हे पुकारा है ||महँगाई की सुरसा ने , अपना रूप विकराल किया |भ्रष्टाचार के भस्मासुर ने ,जन -जन को बेहाल किया ||तू है ज

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नकारे नेता

17 जून 2016
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@@@@@@@@ नकारे नेता @@@@@@@@***************************************************पाचन शक्ति इनकी देख कर ,लगता ये इन्सान नहीं हैं |चारा,कोयला ,खाद यूरिया , इन्सानों का खान नहीं हैं ||इनके बयानों को सुनकर ,लगता इनको ज्ञान नहीं है |हक़ की बातें करते सारे ,कर्त्तव्य की पहचान नहीं है ||कायरता इनकी देख कर ,ल

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गृहिणी

17 जून 2016
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सभी गृहिणियों को सदर समर्पित कविता -- "गृहिणी"********************************************************गृहिणी जो घर को सम्भालती है,गृहिणी जो सबको पालती है,गृहिणी जो अपनी इच्छाओं को टालती है ,गृहिणी जो खुद को नये परिवार के साँचे में ढालती है |वो उठती है सुबह सबसे पहले ,पर सोती है रात को सबके बाद |घोर

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अनमोल आजादी

18 जून 2016
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@@@@@@@-अनमोल आजादी -@@@@@@@************************************************************सन अठारह सौ सतावन का .वो वक्त बहुत अनूठा था |जन -विद्रोह का ज्वालामुखी ,जब भारत में फूटा था ||भारतीयों ने अंग्रेजों के संग ,जब खुनी होली खेली थी |अंग्रेज जिसको ग़दर कहते ,वो आजादी की जंग पहली थी ||सुहागिनों ने सुह

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विचारों का एक्स-रे

18 जून 2016
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@@@@@@@ विचारों का एक्स-रे @@@@@@@*************************************************************ठगा जा चुका हूँ मैं दोस्तों ,सज्जन से दिखते लाला से |लुट चुका हूँ मैं साथियों ,मासूम सी दिखती बाला से ||नहीं ठगा जाता मैं उनसे ,यदि विचार उनके पढ़ लेता |ठोकर खाने के बाद सदा ही ,मैं अनाड़ी था चेता ||दूजो के

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कड़वा सच

20 जून 2016
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@@@@@@@@ कड़वा सच @@@@@@@@*********************************************************माँ कहे मुझे बेटा प्यारा , बेटा कहे मुझे माता प्यारी |यह सब कहने की बातें,स्वार्थ की है यह दुनिया सारी ||किस पत्नी ने खाना छोड़ा ,निज पति के अनशन पर |नजर रहती है हर व्यक्ति की ,भोगों के गुलशन पर ||भृतहरि जैसा महान राजा,

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नारी

21 जून 2016
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@@@@@@@@- नारी- @@@@@@@@इस दुनिया की शोभा है , इस दुनिया की रौनक है |खुश रखें सदा इसको ,रचा कुदरत ने है जिसको ||जिसकी दीवानी सृष्टि सारी,वो नारी है कहलाती |बुझे -बुझे मर्दों का मन ,नारी ही तो बहलाती ||घर में पायल खनकाती ,मन का मोर नचवाती |पतली कमर लचकाती ,प्यार में आकर इठलाती ||इस दुनिया की शोभा है

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बहू से बन गयी बेटी

21 जून 2016
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@@@@@@@@@@@@@ बहू से बन गयी बेटी @@@@@@@@@@@@@************************************************************************************रोज सुबह घूमने जाने वाले सम्पत जी आज अभी तक सो रहे थे | उनकी बहू ने यह सोचा कि उनकी तबीयत ठीक नही होगी | कमरे की सफाई के दौरान बहू के हाथ से तिपाई पर रखा उनका चश्मा फर्श

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प्रकृति वधु का सिंगार

21 जून 2016
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@@@@@@@ प्रकृति-वधु का सिंगार  @@@@@@@*******************************************************पिया बसन्त के स्वागत खातिर ,प्रकृति-वधु ने श्रृंगार किया |प्रदेशवासी पिया बसन्त ने ,जब आने का सन्देश दिया ||हरी -भरी मखमली सेज को ,सुमनों से सजा दिया |शबनम के मोतियों को ,धरा -सेज पर लगा दिया ||मन बहलाने अपन

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इच्छा शक्ति का प्रभाव

21 जून 2016
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@@@@@ इच्छा शक्ति का प्रभाव @@@@@**********************************************पत्थर समझा जाकर जो, हीरा ठोकरे खाता है |पहचाना जाने पर वो , ताज में सजाया जाता है ||नामी लोगों की अकविता भी ,छप जाती अखबार में |पर छुपे विश्व -कवि की रचना ,मिलती है भंगार में ||आँख उठा कर नहीं देखता कोई ,चाहे प्रतिभा भरपू

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गलती

22 जून 2016
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@@@@@@@@@गलती @@@@@@@@@****************************************************इन्सान है गलती का पुतला ,गलती इन्सान से होती है |इन्सान की पैदाइश भी तो ,'गलती' से ही होती है ||होती नहीं अगर गलती तो ,इन्सान धरती पर नहीं आता |आता भी अगर कहीं तो , शीघ्र मुक्ति पा जाता ||आम इन्सान हर मोड़ पर, गलती करता जाता ह

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प्रसाद

22 जून 2016
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पाखण्ड की पोल खोलती कविता - @@@@@@@@@ प्रसाद @@@@@@@@@ ******************************** अरब पति एक उच्च अधिकारी ,करते थे दावा ऐसा | नहीं लेते कभी हाथ में , वे रिश्वत का पैसा || महल जैसा था बंगला उनका ,और थी लग्जरी गाड़ियाँ | उनकी पत्नी हर हफ्ते , लाती थी महंगी साड़ियाँ || फार्म हाउस था उनका अपना ,था ब

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ईमान का दम

22 जून 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ख़तम न हो जो उजाले से , ऐसा कोई तम नहीं होता |वक्त के मरहम से ठीक न हो,ऐसा कोई गम नहीं होता ||न हताश हो ऐ खुद्दार इन्सान, ये  दुनियादारी देख कर |टिक सके ईमान के आगे, भ्रष्ट में इतना दम नहीं होता ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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सन्तुलन

23 जून 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@न बढा नजदीकियाँ इतनी,कि वे दूरियों का आधार बन जाएँ |कस न तू वीणा के तार इतने,कि वे उसके टूटे तार बन जाएँ ||सन्तुलन ही है जिन्दगी , बच अतियों से ओ भोले इन्सान ,मनाएँ अगर तू सलीके से , तो रूठा तेरा हर यार मन जाए ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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अन्धविश्वास का अँधेरा

23 जून 2016
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@@@@ अन्धविश्वास का अन्धेरा @@@@**************************************************दुर्घटना में पलट गयी थी ,एक मारुती कार |उस काली कार में , मेरा साथी था सवार ||साथी के एक हाथ में ,गहरी चोट थी आयी |पास के हॉस्पिटल से उसने,पट्टी थी करवायी ||शाम को वो साथी घर पर,प्रसाद लेकर आया |और दुर्घटना में बच जाने

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भारत का नव निर्माण

23 जून 2016
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राष्ट्र भक्ति से परिपूर्ण कविता - @@@@@@@@भारत का नव निर्माण@@@@@@@@ पाखंडियों की पोल खोले हम ,सज्जनों का हम कल्याण करें | आओ साथियों हम सब मिलकर ,भारत का नव निर्माण करें|| सीमाओं को हम खून से सींचे ,और सींचे खेत पसीने से | दुश्मन को हम धूल चटा दें ,दोस्त को लगाए सीने से || बलात्कारी को बधिया करदे ,

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चोर बना सिरमोर

23 जून 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@ गुरु गुङ ही रह गया , पर चेला हो गया शक्कर | मदारी देखो दे रहा , अब जादूगर को टक्कर | अब जादूगर को टक्कर ,ये कैसा ज़माना आया ? ठोकर मार उसे गिराया,जिसने चलना सीखाया || झूठ -प्रचार की आँधी का , आया है ऐसा दौर | चोर-चोर का शोर मचाकर ,चोर बना सिरमोर || @@@@@@@@@@@@@@@@@@

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बीज नेकी के बोना सीख

23 जून 2016
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@@@@@@बीज नेकी के बोना सीख@@@@@@ *********************************************************** केवल अच्छे कर्म कर तू ,हर हाल में खुश होना सीख | कुछ अच्छा पाने के खातिर, कुछ पल्ले से खोना सीख || खुशियाँ बाँट सको तो बांटो ,पर अकेले में तू रोना सीख | नहीं परिणाम की चिंता कर तू,बीज नेकी के बोना सीख || कोश

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कालजयी सृजन

24 जून 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@कायरता को छोड़ बन्दे , हौसले का गर्जन कर |नाम अमर हो जाये तेरा , ऐसा तू सृजन कर ||कूच कर गये लोग करोड़ों बिना किसी पहचान के,कयामत त्तक ख़तम न हो, तू ऐसा अर्जन कर ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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परिस्थिति का प्रभाव

24 जून 2016
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@@@@@@ परिस्थिति का प्रभाव @@@@@@ *********************************************************** परिस्थिति किसी काम को ,कितना बदल देती है | एक जगह जो समस्या होती ,हल दूजी जगह कर देती है || जाती -रंजिश से की गयी हत्या,सजा का कारण बनती है | पर सीमा पर दुश्मन की हत्या,सम्मान की वजह बनती है || जो काम निज प

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ये भ्रष्टाचार तेरा ,तुझे बरबाद कर देगा

24 जून 2016
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@ये भ्रष्टाचार तेरा,तुझे बरबाद कर देगा @ ******************************************* ये भ्रष्टाचार तेरा , तुझे बरबाद  देगा | गरीब की आँखों में,ये आँसू भर देगा || कभी सोचूँ चुप रहूँ,कभी दुनिया से डरूँ | आज मेरी आत्मा विद्रोह कर रही है | जब से जाना है तुझको,तब से ही मन में ,क्रान्ति की एक भावना भर रही

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दर्द नहीं, मुस्कान बनो

27 जून 2016
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@@@@@@ दर्द नहीं,मुस्कान बनो @@@@@@ ********************************************************** न शैतान बनो,न हैवान बनो,भगवान् नहीं इन्सान बनो | न भीड़ बनो, न भेड़ बनो , दर्द नहीं, मुस्कान बनो || दुश्मनी की गाँठे खोलो,मूँह से सोच-समझ कर बोलो | प्रेम-अमृत जीवन में घोलो,नहीं कभी फिजुल में बोलो || न खुदगर

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जगजीत की परिभाषा

27 जून 2016
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@@@@ जगजीत की परिभाषा @@@@ ************************************************ जो संकट में साथ निभाए , उसे मीत कहते है | सुरताल के सरस पद्य को, हम गीत कहते है || जग को जीतने का हठ छोड़ दे,ओ हठी इन्सान, खुद को जीतने वाले को ही ,जगजीत कहते है || *************************************************

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कुर्सी महिमा

27 जून 2016
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सत्ता यानी कुर्सी के बिना एक राजनेता की दशा का चित्रण करता गीत - ************************************************************************ तुम्हे क्या बतलाऊँ ,कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ | तेरे बिन ,तेरे बिन ,अपना हाल | कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ ,कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ | ज्यों अकल बिन इन्सान जिया |ज

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नीति की बातें

28 जून 2016
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@@@@@@@@@ नीति की बातें @@@@@@@@@ ***************************************************************** सत्य,सेहत और सिध्दान्तों से ,समझौता नहीं करना चाहिए | जितना हो सके हम को ,दुख दूजों के हरना चाहिए || देश हित के लिए सदा ,काम हमें करना चाहिए | सही पथ पर चलते हुए ,हमें नहीं डरना चाहिए || सन्तुलित और स

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वाह रे तर्क वीर

28 जून 2016
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@@@@@@@@ वाह रे तर्क वीर @@@@@@@@ ********************************** एक वकील गया एक दिन ,मिठाई की दूकान पर | रहते हैं कोरे कुतर्क , जिसकी बद जुबान पर || पूछा था उसने हलवाई से ,कि रसगुल्लों का क्या भाव है | हँस कर बोला हलवाई ,जिसका सरल स्वभाव है || किलो के रुपये सौ लगेगें , अगर खाने का चाव है | वकील

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कबूल

29 जून 2016
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नेता और आम आदमी की तुलना करता व्यंग गीत - @@@@@@@@@@@@ कबूल @@@@@@@@@@ कान्वेंट तू है मैं हूँ सरकारी स्कूल ,कैसे मेरा साथ तू करेगा कबूल | तू मोटा काठ के मूसल की तरह ,मैं दुबला हूँ एक सींक की तरह | तू रहता ठाठ से राजा की तरह,मैं रहता कष्ट में कंगाल की तरह || कंगूरा तो तू है मैं हूँ देश की धूल,कैसे मे

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आना जाना सांसों का

30 जून 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ जिन्दगी की शतरंज में , है नहीं ठिकाना पासों का | बीत जाएगा चन्द दिनों में,ये मौसम मधुमासों का || जो करना है जल्दी करले , ओ अनाड़ी इन्सान , क्या पता कब रुक जाए , ये आना-जाना सांसों का || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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पत्नी की परिभाषा

30 जून 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ भार उठाती जो गृहस्थी का , वो भार्या कहलाती है | बदल जाता मकान घर में, जब घरवाली आती है || दर्दे दिल पर प्यार का मरहम , महबूबा लगाती है | तनी रहती जो पति पर , वो पत्नी कहलाती है || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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बेटियाँ

30 जून 2016
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@@@@@@@ बेटियाँ @@@@@@@@ संयोग को सौभाग्य में, बदलती है बेटियाँ | सुसराल के साँचे में , ढलती है बेटियाँ || मत कोसो अज्ञानी लोगो ,बेटी के माँ -बाप को , धन्य है वो घर आँगन ,जहाँ पलती है बेटियाँ || ************************************************* दो कुनबों को आपस में , जोड़ती हैं बेटियाँ | अपनी जीवन धा

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पत्नी बनाम प्रेमिका

1 जुलाई 2016
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@@@@@@@ पत्नी बनाम प्रेमिका @@@@@@@ ************************************************************ पत्नी है घर का खाना ,प्रेयसी है होटल का भोजन| बीवी है नौकरी -धन्धा,प्रेयसी है उत्सव-आयोजन || पत्नी है भारत देश अपना , प्रेमिका इंगलिस्तान है | बीवी है गर्मी का मौसम, प्रेमिका बसन्त समान है || पत्नी है भर

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काम करो ,कुछ नाम करो

2 जुलाई 2016
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@@@@@ काम करो , कुछ नाम करो @@@@@ ********************************************************** काम करो ,कुछ नाम करो ,पर नहीं देश बदनाम करो | भय को दूर भगाओ तुम ,जमीर को जगाओ तुम | दुखियों का तुम दुःख हरो | काम करो ,कुछ नाम करो ,पर नहीं देश बदनाम करो || धन खूब कमाओ तुम ,पर पूरा कर चुकाओ तुम | ईमान से त

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बुजुर्गों का सम्मान

2 जुलाई 2016
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@@@@@@@ बुजुर्गों का सम्मान @@@@@@@ ************************************************************ जिनकी मेहनत के फल खाये,उनका जीते जी सम्मान करें| न कि मरने पर उनके , दस्तूरी पिण्ड-दान करें || मीठी नीन्द सुलाने हमको , जो जगे थे हमारे खातिर | सेवा करें हम उनकी ऐसी ,कि जिक्र हर मेहमान करे || बुजुर्ग है

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विडम्बना

2 जुलाई 2016
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हवाई सफ़र ने दुनिया को ,बहुत छोटा कर दिया |आराम दिया विज्ञान ने ,पर सुकून सारा हर लिया ||दूरियां पार कर ली हमने ,सात समंदर पार की |पर दूर हो गये दिल हमारे ,क्या बात करें संसार की||छोटी हो गयी दुनिया अपनी ,पर फ़ैल गये शहर विकराल |मोबाईल का ज़माना आया ,फैला अजब अंतर जाल ||अजनबी अब फेसफ्रेण्ड है ,पर नहीं

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काश कमीना काम न होता

6 जुलाई 2016
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अपने प्रेमी के संग स्वच्छंद रंगरेलियां मनाने की हवस में अंधी, एक कलयुगी माँ द्वारा ,अपने मासूम बच्चों की तकिये से गला घोंट कर निर्मम हत्या करने की खबर से आहत होकर लिखी गयी और खरे कटु सत्य को उजागर करती कविता -*******************************************@@@@@@@ काश कमीना काम न होता @@@@@@@************

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पपीहा बोले पीहू पीहू

12 जुलाई 2016
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@@@@@@ पपीहा बोले पीहू-पीहू @@@@@@ ********************************************************** जान लिया जीवन का सार ,लोग कहते हैं इसको प्यार | सार बहुत ही गहरा है ,जिस पे हो गये सभी निसार || क्यों बचे फिर मैं और तू ,पपीहा बोले पीहू पीहू | बसन्त की बहारों में,सावन की फुवारों में | गाने वाले गाते गाते

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सत्ता स्तुति

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@@@एक नेता द्वारा सत्ता की स्तुति @@@******************जमीर बेचा है ,जुबाँ बेचेगे ,ए सत्ता हम तेरे लिए |हर तिकड़म हम करेगे ,ए सत्ता तेरे लिए ||मेरी शान है तू ,मेरी जान तू है ,तू मेरा अभिमान है |ए सत्ता महबूबा तुझ पे , दिल मेरा कुर्बान है ||हम लड़ेगे और भिड़ेगे ,ए सत्ता तेरे लिए |जमीर बेचा है , जुबाँ बे

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आदर्श नारी

14 जुलाई 2016
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आदर्श नारी के गुण बखान करती कविता - ******************************************** @@@@@@@@ सुलखण नार @@@@@@@@ ************************************************************ घर -मन्दिर की जो हो देवी ,पूजे जिसको उसका भरतार | जीवन में ही स्वर्ग मिल जाए ,पाकर पत्नी सुलखण नार || जान हो जो अपने बच्चों की ,पत

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वक्त की शक्ति

14 जुलाई 2016
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वक्त की शक्ति का बखान करती कविता -" वक्त की शक्ति "***********************************यह सोचता है आदमी ,कि वो गुजारता है वक्त को |पर गुजारता है वक्त ही ,इन्सान हर आगत को ||आदि नहीं ,अंत नहीं ,ठहराव नहीं है वक्त का |लिहाज नहीं करता वक्त ,भगवान या भक्त का |नहीं रुक सकता कभी ,चक्र अनंत वक्त का |बहा दे

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फेसबुक का कमाल

15 जुलाई 2016
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@@@@@@फेसबुक का कमाल@@@@@ अपनी बहिन -बेटी को ,रखिये आप सम्भाल | इन्टरनेट की फेस बुक , करती खूब कमाल || करती खूब कमाल , ऐसा है इसका जाल | सफाचट खोपड़ी पर , ऊग आते है बाल || गौरी -चिट्टी बन जाती ,काली -कलूटी खाल | मिटा रही है भेद-भाव , ये फेस बुक की वाल || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@ सतर साल की नारी भी ,यहाँ ब

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दरिन्दा

15 जुलाई 2016
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मांसाहारियों की भूख से ,भयभीत हर परिन्दा है |भ्रष्टाचार के मायाजाल में, फंसा क्रूर  करिन्दा है ||चेत जाओ ,अभी समय है , ओ मनु  की संतानों,दुष्कर्म करने वाला नर , मर्द  नहीं  दरिन्दा  है  ||

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दिन में होली ,रात दीवाली

18 जुलाई 2016
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@@@ दिन में होली रात दीवाली ,बारह माह त्यौहार है @@@**************************************जिसने खुशियाँ देना सीखा ,और दीन-दुखियों की पीर हरी |नेकी करी बढ़-चढ़ कर के ,और करी कमाई खरी -खरी ||उस व्यक्ति की खुशियों का ,नहीं रहता कोई पार है |दिन में होली रात दीवाली ,बारह माह त्यौहार है ||मार लिया जिसने भीत

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नेता के यार

19 जुलाई 2016
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@@@@@@@@ नेता के यार @@@@@@@@ ********************************************************** छ हजार की थाली परोसी |छ हजार की थाली परोसी | खाए नेता के यार |गरीब तरसे ,भूख बरसे | भीगे पलक वाली ,आँसू बरसे || अस्सी करोड़ का प्लेन मंगाया |अस्सी करोड़ का प्लेन मंगाया | चढ़े नेता के यार |पब्लिक तरसे ,धूल बरसे | भ

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शब्द नगरी -ज्ञान की गगरी

20 जुलाई 2016
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@@@शब्द नगरी -ज्ञान की गगरी @@@*******************************************शब्दनगरी है शब्दों का, सरस सतरंगी मेला | छा गया अंतरजाल पर,यह अदभुत मंच अलबेला ||यह अदभुत मंच अलबेला,करता हिंदी का प्रचार |हिंदी प्रेमी जनता में, हुआ ख़ुशी का संचार ||शब्दनगरी-ज्ञान की गगरी,है साहित्य का संगम |फैला कर ज्ञानप्रक

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ढोल की पोल

20 जुलाई 2016
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@@@@@@@ ढोल की पोल @@@@@@@***************************************************किसानो को बता रहे थे,वो काम दो साल के |दाम दुगुने किये हमने, सस्ती चना दाल के ||कच्चे तेल के दाम तिहाई,पर हमने नहीं किये तिहाई |ज्यादा खपत से होने वाले,प्रदुषण से हमने जान बचायी ||पाक की नापाक हरकतों की,हम सख्त से सख्त सजा

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देश दर्पण

21 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@मलीन हुई मानव की दृष्टि ,इस भोगवादी लहर में |घुल चुका दम्भ शक्ति का ,सत्ता के मीठे जहर में ||हालत इस कदर बदतर है , मेरे इस भारत देश की ,कि बुढा गया है दिन बेचारा ,नयी-नवेली सहर में ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@सहर यानी सुबह

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कुदरती नाता

22 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ जीवन में दुःख -सुख का दौर आता -जाता है | घनी अंधेरी रात के बाद उजाला सुबह का आता है | न घबरा ओ मेरे दोस्त तू इन कष्ट के काँटों से , काँटों से तो फूलों का कुदरती नाता है || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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आज की सोच

22 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@मीठा - मीठा गप है , कड़वा - कड़वा थू |मैं तो दूध का धुला , पर कीचड़ में सना तू ||यही सोच है आज की ,चाहे बोले कुछ भी मुंह |तन सुख में तल्लीन है ,पर जल रही है रूह ||@@@@@@@@@@@@@@@@

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ऑपरेशन पत्नी - सेवा

22 जुलाई 2016
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हास्य कविता -ऑपरेशन पत्नी - सेवा *************************************** जब -जब होता पेट -दर्द ,पत्नी मुझ पर झल्लाती थी | जाँच पेट की करवाने खातिर ,डांट बहुत पिलाती थी || डॉक्टर की सलाह पर जब ,जाँच पेट की करवायी | तिल्ले में पत्थरी होने की ,तब बात सामने थी आयी || यह जानकार मेरा चेहरा ,चिन्ता से मायू

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हम सच कहते हैं

26 जुलाई 2016
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@@@@@ हम सच कहते हैं @@@@@ *************************झूठ के इस दौर में भी ,हम सच कहते  है | इसलिए हर जन की ,रुसवाई हम सहते है || हम गुमराह लोगों को ,सन्मार्ग दिखाते हैं | इसलिए हमने उनसे ,तन्हाई ये पायी है || अपने हर हमराही से,हम वफ़ा ही निभाते हैं | इसलिए हमने उनसे ,बेवफाई यह पायी है || जो गलत है उसक

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रिश्वत

26 जुलाई 2016
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रिश्वतखोरी पर कटाक्ष करती व्यंग कविता - @@ रिश्वत महान जी,रिश्वत महान है @@ ************************************************ सुबह शाम मंदिरों में, रिश्वत थोड़ी दीजिये | फिर चाहे मनचाही ,रिश्वत आप लीजिये || रिश्वत ही तो देश की ,आन बान शान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || ईमान का दामन पकड़ ,जीव

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देहदर्शना वेश ,करवाता है क्लेश

27 जुलाई 2016
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@@@ देह -दर्शना वेश ,करवाता क्लेश- @@@************************************क्यों कोई नारी होठों पे ,रंग लाल लगाती है ?क्यों अपने उघड़े अंगों से,वासना भड़काती है ??चुस्त टॉप -जीन पहन कर ,क्यों मर्दों को ललचाती है ?क्यों वो नंगी टाँगे लेकर , टी.वी.शो में आती है ??प्रसिध्दि के चक्कर में ,वो अधनंगी हो जाती

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कर्मों का लेखाजोखा

27 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@कुछ सज्जनों की जिन्दगी,होती खुली किताब है |ऐसे सज्जनों के खातिर ,छोटा हर खिताब है ||मत कर तू दंद-फंद कोई , ओ चालाक इन्सान,एक दिन हर चालाकी का ,देना पड़ता हिसाब है ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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आज के नेता

28 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@जो करता था नेतृत्व जनता का,वो नेता कहलाता था |जनता की दुखती रग को ,तब नेता ही सहलाता था ||बीत गया अब वो ज़माना जब नेता नीति पर चलते थे,अब तो उनकी अनीति से ,दिल -दिमाग दहलाता है ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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सत्ता का नशा

28 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@अहँकार भरे भाषण सुनकर,हो गयी एलर्जी ऐसी |आपातकाल के क्रूर दौर में ,हुई काँग्रेस से जैसी ||चाल चरित्र और चेहरे से,जो है काँग्रेस की बहना |लगी है वो जोड़ तोड़ में , कठिन हो गया सहना ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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नेक इन्सान

29 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@न मन्दिर जाने से , खुश 'भगवान' होता है |न मस्जिद जाने से,'खुदा' मेहरबान होता है ||नेक है जो कर्म से और है जुबान से सच्चा ,उस बंदे का मुरीद तो,खुद 'भगवान' होता है ||@@@@@@@@@@@@@@@@@

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राजनीति का दलदल

29 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@भ्रष्टाचार को पनाह देने में ,पार्टी नहीं कोई भी कम |सांपनाथ और नागनाथ में,किसको अब चुनेगे हम ?जिस पार्टी पर था भरोसा ,कर रही वो काम अधम |कोई फेंकू, कोई पलटू , नहीं किसी में सच का दम ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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अनमोल मानव जीवन

30 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@अनमोल मानव जीवन मिला है,इसका सदुपयोग कीजिये|करके अनूठा काम जगत में , दुनिया को कुछ दीजिये ||बीत न जाये ये जिन्दगानी , गुमनामी के अन्धेरे में,मकसद हासिल करके अपना , साबित खुद को कीजिये ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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कर्ज, फर्ज और मर्ज

30 जुलाई 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@हमारे पर समाज का , होता बड़ा कर्ज है ।इस कर्ज को चुकाना,होता हमारा फर्ज है ॥मत भूल तू फर्ज को ओ खुदगर्ज  इन्सान,खुदगर्ज होना ही तो , सबसे बड़ा मर्ज है ॥@@@@@@@@@@@@@@@@

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दृष्टि का भेद

20 अगस्त 2016
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@@@@@@@ दृष्टि का भेद @@@@@@@ ******************************************************** नहीं समझ पाया कोई मुझ को,मेरे व्यवहार-विचारों से | गहराई नदी की कैसे नपती , भला उसके दो किनारों से || किसी ने तुलना की हिटलर से,किसी ने महात्मा गान्धी से| ज्वालामुखी लगता हूँ उनको ,जो ड

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कथित आधी घरवाली

20 अगस्त 2016
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@@@@ कथित आधी घरवाली @@@@ ****************************************** उससे है रिश्ता ऐसा जो बोलचाल में गाली है | नाम है गुड्डन उसका,वो मेरी प्यारी साली है || शालीनता की प्रतिमूर्ति,वो नजर मुझको आती है | शर्म के मारे वो साली मेरी,छुईमुई बन जाती है || जब कभी किसी बात पर,वो म

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बो विश्वगुरु भारत देश कठे

20 अगस्त 2016
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@@@@@ बो विश्वगुरु भारत देश कठे @@@@@ ******************************************************* मानवता है धर्म जकारो ,बे मिनख भलेरा आज कठे | भ्रष्टाचार ने रोक सके , इसो भलेरो राज कठे || पति रो दुखड़ो बाँट सके ,बा सती सुहागण नार कठे| घर ने सरग बणा सके ,बा लुगाई पाणीदार क

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सुविचार

20 अगस्त 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@ न मन्दिर जाने से , खुश 'भगवान' होता है | न मस्जिद जाने से,'खुदा' मेहरबान होता है || नेक है जो कर्म से और है जुबान से सच्चा , उस बंदे का मुरीद तो,खुद 'भगवान' होता है || @@@@@@@@@@@@@@@@@

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हाँ रे मिनख जाग जा

22 अगस्त 2016
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@@@@@@ हाँ रे मिनख जाग जा @@@@@@*********************************************************हाँ रे मिनख जाग जा ,क डूबण रो खतरों नेड़े आग्यो रे |क मिनख जाग जा |नेता लुटे अफसर लुटे,मिलकर सारा लूटे रे |(2)क अंग्रेजां री लूटपाट ,अब फीकी पड़गी रे ||क मिनख जाग जा |हाँ रे मिनख जाग जा ,क डूबण रो खतरों नेड़े आग्यो

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खरी कमाई बनाम खोटी कमाई

22 अगस्त 2016
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@@@@@@@ कमाई @@@@@@@*************************************************एक तरफ वेतन वाली,एक तरफ घूस वाली |एक कहे मैं बीवी , दूजी कहे मैं साली ||धर्मपत्नी सी वेतन वाली,रखेल जैसी घूस वाली |एक दिलाए इज्जत ,दूजी दिलाए गाली ||एक तरफ वेतन वाली,एक तरफ घूस वाली |एक कहे मैं बीवी , दूजी कहे मैं साली ||शरबत जैसी

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इन्सान

23 अगस्त 2016
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@@@@@@ इन्सान @@@@@@*********************************************सृष्टि का सबसे विचित्र , प्राणी है इन्सान |जीता है वो जिन्दगी,दिखा कर झूठी शान ||नहीं जी पाता वो कभी,सीधी सहज जिन्दगी |झूठ और कपट की ,करता उम्र भर बन्दगी ||बड़ा होना चाहता बचपन में, पचपन में चाहता फिर बचपन |अजीब है इन्सान की फितरत,जिन्द

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लुटेरे -लुटेरे भाई -भाई

23 अगस्त 2016
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पाखण्ड पर कटाक्ष करती कहानी - लुटेरे -लुटेरे भाई -भाई ************************************************************ एक शहर की सीमा पर स्थित एक मंदिर के विशाल प्रांगणमें एक पंडा पंडाल में बैठे जन -समूह को प्रवचन देते हुए यह बता रहा था कि ईश्वर सर्वशक्तिमानहै |ईश्वर की इच्छा

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गाथा भारत महान की

24 अगस्त 2016
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@@@@@@गाथा भारत महान की @@@@@@*******************************बातें करते बड़ी-बड़ी हम ,नीति आदर्श और शान की |गाथा सुनो तुम साथियों, इस भारत देश महान की ||पीने लगी है दूध मूर्ति,यह बात फैली थी गली-गली |विज्ञान के इस युग में भी,यहाँ रूढ़ियाँ फैली हैं सड़ी-गली ||कन्या को देवी समझ कर , पूजा भारत में जाता है

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अपने देश की "महानता"के क्या कहने

24 अगस्त 2016
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व्यंग लेख --अपने देश की "महानता"के क्या कहने******************************************************मैं अपने देश भारत की उदारता को नमन करता हूँ |यही तो वो देश है ,जहाँ एक अनाचारी ,दुराचारी ,भ्रष्टाचारी ,अत्याचारी और बलात्कारी व्यक्ति स

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अपने हुनर को तराश इतना

26 अगस्त 2016
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@@@@ अपने हुनर को तराश इतना @@@@****************************************************अपने हुनर को तराश इतना ,कि तूदुनिया का सरताज हो जाये |हर ताज रहे तेरी ठोकर में ,और तू बादशाह बेताजहो जाये||अपने इल्म को निखार इतना, कि हर नजर दीदारको बेताब हो जाये |छू ले तू हर बुलन्दी को , और सच्चे तेरे ख्वाबहो जाये

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ईमान की शक्ति

26 अगस्त 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@घोर मंहगाई के इस दौर में , जान इन्सान की सस्ती है |जिसने जितना ठगा किसी को, उसकी उतनी हस्ती है ||पर न हिम्मत हार ओ नेक इन्सान नसीब इसे मान कर ,भ्रष्टाचार के भँवर में भी, नहीं डूबती ईमान की कश्ती है ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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कौन श्रेष्ठ है नर या नारी

31 अगस्त 2016
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@@@@@ कौन श्रेष्ठ है नर या नारी @@@@@*****************************************************कौन श्रेष्ठ है इन दोनों में , एक पुरुष या एक नारी |भरी महफ़िल में इस मुद्दे पर,चल रही थी बहस भारी ||हम न होती तो कैसे घर में,नन्हा मेहमान कोई आता ?बोली एक नारी जोश में ,जो पुत्र हमारा कहलाता ?|एक पुरुष तपाक से ब

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पप्पू पास ,पापा फेल

1 सितम्बर 2016
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@@@@@@ पप्पू पास ,पापा फेल @@@@@@*********************************************************मम्मी से अलग सोने को ,जब पप्पू हुआ नहीं राजी |पापा को उसे समझाने की , सूझ आयी तरकीब ताजी |बोले ,मम्मी के संग सोने वाले ,छोटे बच्चे होते हैं |नहीं समझ होती जिनको ,जो बिन बात के रोते है ||पप्पू बोला, पापा आप ,नार

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अनूठा हवाई अड्डा

2 सितम्बर 2016
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@@@@@ अनूठा हवाई अड्डा @@@@@--------------------------------------------------एक सुनहरे सफ़र की , मैं बता रहा हूँ यह बात |ट्रेन के उस सफ़र में ,एक सुन्दरी थी मेरे साथ ||सुन्दरी ने पहन रखा था,हवाई जहाजी लॉकेट |और सामने की सीट पर , बैठा था युवक एक ||मेरी नजर तो उस प्लेन पे , सिर्फ एक बार थी पड़ी |पर दृष

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काव्य की विधाएँ

3 सितम्बर 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@काव्य की विधाएँ विविध,है अलग सबकी पसन्द |गीत,गजल,दोहा,भजन,कविता शेर और छन्द ||कविता शेर और छन्द, नवरस के रंग बरसाए ,कुण्डी खोल दिल -द्वार की , मार्ग सही दिखाएँ ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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कबाड़ नेता

3 सितम्बर 2016
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कुर्सी से चिपके कबाड़ बनते नेताओं पर कटाक्ष करती कविता _@@@@@@@@@-कबाड़ नेता -@@@@@@@@@***********************************************************काली अंधेरी एक रात को ,देखा एक भयानक सपना |बता कर मैं उसे आपको ,साँझा कर रहा हूँ दुःख मैं अपना ||अच्छा ख़ासा मैं आदमी ,बन गया मैं सपने में कबाड़ |पत्नी ने पुक

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तन की वसीयत

12 सितम्बर 2016
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@@@@@@@ तन की वसीयत @@@@@@@जीवन का है नहीं भरोसा , पर मौत कभी भी आ सकती |जीने की इच्छा मर चुकी ,अब जान कभी भी जा सकती ||जीया मैं अपनों के खातिर, पर आया नहीं अपनों को रास |अपनी बेकद्री के चलते , रहने लगा हूँ मैं उदास ||जीते जी नहीं कर सका मैं, बेगानों के लिए कुछ भी खास |पर मर कर देना चाहता हूँ मैं, उ

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हमारी हिन्दी, हमारा गर्व

14 सितम्बर 2016
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@@@@@@ हमारी हिन्दी, हमारा गर्व @@@@@@*************************************************************कितनी सुन्दर ,कितनी प्यारी ,हमारी हिन्दी भाषा है |सभ्यता और संस्कृति की , मानो यह परिभाषा है ||देवनागरी जो लिपि है इसकी , इसका सुन्दर वेश है |हिन्दी हमारी अपनी भाषा ,देती एकता का सन्देश है ||कानों को ल

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इन्सान

15 सितम्बर 2016
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@@@@@@ इन्सान @@@@@@********************************************उल-जलूल बातों को, हम बकवास कहते हैं |विन्रम निवेदन को, हम अरदास कहते है ||मत ताक ओ नादान , दुसरे के गिरेबान में |संयत-शालीन शख्स को,संत खास कहते हैं ||@@@@@@@@@@@@@@@@@

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उम्र के हस्ताक्षर

16 सितम्बर 2016
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@@@@@@@उम्र के हस्ताक्षर@@@@@@@********************************************************जब से चिकने चेहरे पर, उम्र के गढ़े गहराने लगे है |पच्चीस पार के युवा भी ,मुझे अंकल कहने लगे है ||मेरी जन्म तारीख तो, आती है चार साल में एक बार |लेकिन उम्र का अहसास मुझे,कराते है लोग

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नौकरी का गुरूमन्त्र

17 सितम्बर 2016
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@@@@@@नौकरी का गुरूमन्त्र@@@@@@******************************************************नौ किये पर एक न किया,तो नौ पर फिरता पानी |यह नौकरी की विडम्बना , बड़े अनुभव से जानी ||नौकरी में नो (NO) कहा तो ,गया काम से बन्दा |गरदन पर कस जाता , ट्रान्सफर का फन्दा ||नौकरी वो ना करे, जो रखे स्वाभिमान |नौकरी तो वो

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जुबाँ

19 सितम्बर 2016
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@@@@@@@@ जुबाँ @@@@@@@@****************************************************जुबाँ है एक ऐसा अस्त्र,जो घायल दिल को करता है |इससे लगा घाव दिल का ,नहीं कभी भी भरता है ||कम न समझो इस जुबाँ को,यह दुघारी तलवार है |मनमुटाव व दुश्मनी की,जुबाँ ही जिम्मेदार है ||तन-हत्यारे से भी ज्यादा , मन-हत्यारा पापी है |जु

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राम अगर भगवान होते तो

20 सितम्बर 2016
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@@@@@राम अगर भगवान होते तो @@@@*******************************************************राम अगर भगवान होते तो,त्याग सीता का नहीं करते |सीता को जंगल में भेज ,महलों में मौज नहीं करते ||राम अगर ईश्वर होते तो ,झूठी शान पर मरते क्यों ?गर्भवती सती पत्नी को,घर से बाहर करते क्यों ??राम अगर भगवान् होते तो ,वध

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कोई किसी का नहीं

21 सितम्बर 2016
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@@@@@@कोई किसी का नहीं@@@@@@******************************************************मुख्य फसल के बीच पनपा ,वह एक खरपतवार था |मातपिता की सन्तानों में ,उसका नम्बर चार था ||माँ की ममता से वंचित ,वो एक ऐसा बच्चा था |युवा हो जाने पर भी ,जो दुनियादारी में कच्चा था ||माँ की ममता का प्यासा,भाभी को माँ समझ बैठ

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एक दिन मानेगा तुझे,ये सारा संसार

22 सितम्बर 2016
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@@एक दिन मानेगा तुझे,ये सारा संसार@@*********************************************पवित्र तुम्हारा प्यार है ,पवित्र तुम्हारे विचार |एक दिन मानेगा तुझे ,ये सारा संसार ||अभावों के रेगिस्तान में ,तुम मीठा जल बनो |दबी-कुचली नार का , तुम मजबूत सम्बल बनो ||देश की हर समस्या का ,तुम सटीक हल बनो |भारत के इस वर

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कलयुगी नेता

23 सितम्बर 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@शहीदों की शहादत पर ,राजनीति करते नेताजी |हर मौके के मुताबिक , ये स्वाँग भरते नेताजी ||उल्लू बना कर जनता को, वे उल्लू सीधा करते हैं, सिर्फ चुनाव के मौके पर जनता से डरते नेताजी ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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गंदे बन्दे

26 सितम्बर 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@दुर्गेश तेरे देश में ,बहुत हैं ऐसे बन्दें |चलातें हैं जो जीवन अपना ,लेकर लोगों से चन्दे ||लेकर लोगों से चन्दे ,करते फिर काले धन्धें |आंतकवाद का जाल बुनते , डाल हत्या के फन्दें ||डाल हत्या के फन्दें ,रगड़ रेप के रन्दें |अच्छे लोगों की अनदेखी से,पनप रहे लोग गन्दें ||@@@@@@@@@@@@@@@

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श्राध्द नहीं सेवा

27 सितम्बर 2016
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@@@@@@@ श्राध्द नहीं सेवा @@@@@@@************************************************************जिनकी मेहनत के फल खाये,उनका जीते जी सम्मान करें|न कि मरने पर उनके , दस्तूरी पिण्ड-दान करें ||मीठी नीन्द सुलाने हमको , जो जगे थे हमारे खातिर |सेवा करें हम उनकी ऐसी ,कि जिक्र हर मेहमान करे ||बुजुर्ग हैं हमारे

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चुनावी दंगल

28 सितम्बर 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@राजनैतिक दलों के नेता,कर रहे हैं तकरार |हालाँकि इस तकरार में, नहीं हैं कोई सार ||नहीं हैं कोई सार, जो डाले फूट -दरार |सेवक नहीं हैं जो भी नेता,समझो वो है भार ||चुनाव-प्रचार में हो रही,शालीनता की हार |कोई जीते कोई हारे , पर बने जन-सरकार ||@@@@@@@@@@@@@@@@@

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शर्म का पानी

29 सितम्बर 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@@@@फूहड़ हास्य की हाइड्रोजन ने,पलीता खूब लगाया है |अश्लीलता की ऑक्सीजन ने,इसे और भड़काया है ||इन दोनों के मिलन की , बस इतनी सी कहानी है ,संस्कारी सज्जन शर्म से , हो गया पानी -पानी है ||@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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निज नाम अमर कर दो

30 सितम्बर 2016
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@@@@@ निज नाम अमर कर दो @@@@@******************************************************आकाश को छूलो तुम ,मेरी ऊँची नजर कर दो |मसीहा बन के जग में ,निज नाम अमर कर दो ||न जुर्म की सीमा है , न जमीर का बन्धन |जब घूस खाये कोई , तो देखे केवल धन ||तुम ईमान जगा कर के ,पाक मंजर कर दो |आकाश को छूलो तुम ,मेरी ऊँची

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भ्रष्टाचारी चौपट राज

1 अक्टूबर 2016
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@@@@@@@ भ्रष्टाचारी चौपट राज @@@@@@@*************************************************************कुपात्र के सिर पे रखा है ताज ,अन्धेरनगरी चौपट राज |बिना घूस के होता नहीं काज ,हरामखोरी -हरामी राज ||बढ़ती बेकारी कोढ़ में खाज ,बढ़ते जुर्म -जुर्मी राज |घूस खाने पर करते नाज ,लूटखसोट - डाकूराज ||लूट रही नारी

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आज का चौका

3 अक्टूबर 2016
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@@@@@@@ काव्य चौका @@@@@@@भाव का आभाव हो जिसमें, ऐसी भी तुकबंदी क्या ?उल्लंघन होता रहे जिसका, ऐसी भी हदबंदी क्या ??मन में हो भाव भंयकर,तो तन पर पहनी खादी क्या ?मिंया-बीवी नहीं हो राजी,ऎसी भी कोई शादी क्या ??@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

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ओ नैना

4 अक्टूबर 2016
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@@@@@@@@ ओ नैना ,ओ नैना @@@@@@@@*****************************************************************रसों के सागर में डुबकी लगाकर ,साहित्य के मोती चुनता रहूँ |मेरी तमन्ना छन्दों में यूँ ही ,गीतों की रचना करता रहूँ ||पहन संगीत का गहना |ओ नैना ,ओ नैना ||कठिन कंटीली राहों पे चलकर ,मन की मंजिल पाता रहूँ |दि

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मित्र रुपी शत्रु

5 अक्टूबर 2016
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@@@@@@@@@@@@@@@@दुनियादारी आज तक,नहीं समझ में आयी |बहिन की इज्जत से खेले,बन धर्म के भाई ||बन धर्म के भाई , खिलाते खूब मिठाई |ऐसे भाइयों की होती,आखिर खूब पिटाई ||आखिर खूब पिटाई , कहता कवि दुर्गेश |धोखा दे रहे दुश्मन तेरे,धार मित्र का वेश ||@@@@@@@@@@@@@@@@

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हास्य का तड़का

6 अक्टूबर 2016
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@@@@शक्ल तो है बन्दर जैसी@@@@************************************************पत्नी बोली एक दिन , हो आप बड़े बेवकूफ |मैंने कहा तुरन्त उससे ,क्या है इसका प्रूफ ||पत्नी बोली की आपने ,मुझसे आदर्श शादी |कौड़ी मोल बेच डाली,आपने अपनी आजादी ||आठ नहीं देते हो लेकिन , दे देते हो साठ |ओरों की गलतियों से ,नहीं सी

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भेड़िया भाई

7 अक्टूबर 2016
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खानदान की इज्जत के नाम पर बहन की हत्या करने वाले कलयुगी भाइयों की काली करतूतों का भण्डाफोड़ करती कविता -@@@@@@@@@ भेड़िया भाई @@@@@@@@@***********************************जो करते हैं मटरगश्ती ,वो पढ़ते होंगें कोलेज में ख़ाक |पढाई को ताक पर रख कर ,लड़कियों को रहते ताक ||दस -दस सहेलियों के संग ,गुलछर्रे वे

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