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देख असर ये होली का

9 मार्च 2016

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######## देख असर ये होलीका ########

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गूँज रहा है स्वर फिजा में, होली की ठिठोली का ।

घाव भरने लगा है मानो,कड़वे बोल की गोली का ॥

रंग बदल रहा है मौसम , गौरी सूरत भोली का ।
छायी बहार हर चमन में ,देख असर ये होली का ॥
गीत गूँजने लगा कानों में, मस्तानों की टोली का ।
होने लगा दिल पे असर , हमजोली की बोली का ॥
रंग भरी फुव्वारों से , रंग बदला है चोली का ।
लगने लगा जेठ भी देवर, देख असर ये होली का ॥
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दुर्गेश नन्दन भारतीय की अन्य किताबें

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रचनाएँ
sahityasangam
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साहित्य की विभिन्न विधाओं का सरस संगम
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देख असर ये होली का

9 मार्च 2016
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######## देख असर ये होलीका ########@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@गूँज रहा है स्वर फिजा में, होली की ठिठोली का ।घाव भरने लगा है मानो,कड़वे बोल की गोली का ॥रंग बदल रहा है मौसम , गौरी सूरत भोली का ।छायी बहार हर चमन में ,देख असर ये होली का ॥गीत गूँजने लगा कानों में, मस्तानों की टोली का ।होने लगा दिल पे असर , हमजो

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भूखा बचपन

9 जून 2016
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रोटी की सही कीमत जानता है ,भूख से बिलबिलाता बदहाल बेसहारा बच्चा ,ढूंढ रहा है जो होटल के पास पड़ी झूठन में रोटी के चन्द टुकड़े,जिन्हें खाकर बुझा सके वो अपने उदर की आग को ,जिसकी तपन से झुलस रहा है उसका कोमल, कुपोषित ,कमजोर बदन |झपट पड़ा था जो फैंकी गयी झूठन पर उस कुते से प

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लूट की झूट

9 जून 2016
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रिश्वत खोरी पर व्यंग करती कविता -लूट की छूट लूट कर यात्रियों को लूटेरों ने ,लौटा दिया सारा धन -माल |सोचने लगे यात्री सारे ,क्या है यह कोई इनकी चाल ?|डर रहे थे सब यात्री ,पर एक बालक बोला करते खाज |डाकू सर प्लीज बताओ , इस दया का क्या है राज ?|डाकू बोला ,यह दया नहीं है ,यह है रिश्वत का सवाल |हर लूट पर

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विडम्बना

9 जून 2016
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हवाई सफ़र ने दुनिया को ,बहुत छोटा कर दिया |आराम दिया विज्ञान ने ,पर सुकून सारा हर लिया ||दूरियां पार कर ली हमने ,सात समंदर पार की |पर दूर हो गये दिल हमारे ,क्या बात करें संसार की||छोटी हो गयी दुनिया अपनी ,पर फ़ैल गये शहर विकराल |मोबाईल का ज़माना आया ,फैला अजब अंतर जाल ||अजनबी अब फेसफ्रेण्ड है ,पर नहीं

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