shabd-logo

आओ बदल ले खुद को थोड़ा

19 मार्च 2016

227 बार देखा गया 227

बड़ी-बड़ी हम बातें करते,

पर कुछ करने से हैं डरते,

राह को थोड़ा कर दें चौड़ा,

आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।


ख्वाब ये रखते देश बदल दें,

चाहत है परिवेश बदल दें,

पर औरों की बात से पहले,

क्यों न अपना भेष बदल दें ।


चोला झूठ का फेंक दें आओ,

सत्य की रोटी सेंक लें आओ,

दौड़ा दें हिम्मत का घोड़ा,

आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।


एक बहाना है मजबूरी,

खुद से है बदलाव जरुरी,

औरों को समझा तब सकते,

खुद सब समझो बात को पूरी ।


भीड़ में खुद को जान सके हम,

स्वयं को ही पहचान सकें हम,

अहम को मारे एक हथौड़ा,

आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।


दो चेहरे हैं आज सभी के,

बदल गए अंदाज सभी के,

अपनी दृष्टि सीध तो कर लें,

फिर खोलेंगे राज सभी के ।


पथ पर पग पल-पल ही धरे यूँ,

जब-जब जग की बात करे यूँ,

क्या कर जब तक दंभ न तोड़ा,

आओ बदल ले खुद को थोड़ा ।


जेपी हंस की अन्य किताबें

21 मार्च 2016

9
रचनाएँ
jphans
0.0
हिन्दी युवा रचनाकार एवं ब्लॉगर । ब्लॉग का नाम शब्द क्रांति।
1

ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊ जरा?

19 मार्च 2016
0
2
0

ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा ?किस तरह ठोकरे खाकर पाषाण की तरह हूँ खड़ा ।आँधी आई, तुफान आया, फिर भी घुट-घुट कर हूँ पड़ा ।ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा ?लाजिमी सोच-सोच में अभी मैं जिंदा हूँ ।बातों को सुन-सुन के कातिल की तरह शर्मिदा हूँ ।गर्दिश-ए-शर्मिंदगी को कैसे भगाऊँ जरा ।ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा

2

आओ बदल ले खुद को थोड़ा

19 मार्च 2016
0
2
0

बड़ी-बड़ी हम बातें करते,पर कुछ करने से हैं डरते,राह को थोड़ा कर दें चौड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।ख्वाब ये रखते देश बदल दें,चाहत है परिवेश बदल दें,पर औरों की बात से पहले,क्यों न अपना भेष बदल दें ।चोला झूठ का फेंक दें आओ,सत्य की रोटी सेंक लें आओ,दौड़ा दें हिम्मत का घोड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।एक

3

आओ बदल ले खुद को थोड़ा

19 मार्च 2016
0
5
1

बड़ी-बड़ी हम बातें करते,पर कुछ करने से हैं डरते,राह को थोड़ा कर दें चौड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।ख्वाब ये रखते देश बदल दें,चाहत है परिवेश बदल दें,पर औरों की बात से पहले,क्यों न अपना भेष बदल दें ।चोला झूठ का फेंक दें आओ,सत्य की रोटी सेंक लें आओ,दौड़ा दें हिम्मत का घोड़ा,आओ बदल लें खुद को थोड़ा ।एक

4

होली आई रे होली आई।

20 मार्च 2016
0
4
2

होली आई रे होली आई ।पहला होली उनका संग मनाई।जो गिर पड़े है पउआ चढ़ाई।पकड़ के उनका ऐसा नली मे गिराई।जिसका गंध कोई न सह पाई।होली आई रे होली आई ।दूजे होली उनका संग मनाई।जो फ़ूहड़ फ़ूहड़ दिन-रात गाना बजाई।बहू-बेटी देखकर सीटी बजाई।पकड़ के उनका ऐसा बंदर बनाई।जिसका रूप मां-बाप न पहचान पाई।होली आई रे होली आई ।तीजे

5

हमारा नया वर्ष आया है।

23 मार्च 2016
0
4
0

आत्मीयता का विश्वास लेकर ।मधुरता का पैगाम लेकर ।दरिद्रता का अन्न लेकर ।आज धरा पर आया है ।हमारा नया वर्ष आया है ।            नवजीवन में मुस्कुराहट लेकर ।            खिले मन सा सुमन लेकर ।            वनिता का सिंदूर लेकर ।            भाई-भाई का प्रेम लेकर ।            आज धरा पर आया है ।            हमा

6

हमारा नया वर्ष आया है।

23 मार्च 2016
0
1
0

7

मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले

29 जुलाई 2016
0
2
0

मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहलेमुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले,मैं तुम्हीं को ढूँढता था, इस जिन्दगी से पहले,मैं खाक का जरा था और क्या थी मेरी हस्ती,मैं थपेड़े खा रहा था ,जैसे तूफाँ में किश्ती,दर-दर भटक रहा था, तेरी बंदगी से पहले,मैं इस तरह जहाँ में, जैसे खाली सीप होती,मेरी बढ़ गयी है कीम

8

मानव मस्तिष्क से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

10 अगस्त 2016
0
6
5

समाज में ऐसे व्यक्तित्व का विकास करना जो समतामूलक स्वस्थ समाज की रचना के लिए अति आवश्यक हैं । ऐसे व्यक्ति ही अपनी संकीर्ण सीमा से ऊपर उठकर समाज, देश और विश्व स्तर पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं । ऐसे व्यक्तियों की स्मृति जितनी अच्छी होगी उतनी ही ज्ञान ग्रहण करने की क्षमती बढ़ जाएगी । जितना ज्ञान होगा,

9

पद, पैरवी और पुरस्कार

24 दिसम्बर 2017
0
1
0

पद, पैरवी और पुरस्कार काआपस में घनिष्ठ नाता है । पद की प्रतिष्ठा होती है इसलिए पद की लालसा में मनुष्यपैरवी करने से गुरेज नहीं करता पर पैरवी के लिए पैसे की जरूरत होती है अन्यथा किसीमंत्री-संत्री से पैरवी में पैसे के बदले में कुछ खातिरदारी कर पद प्राप्त किया जासकता है । यह खातिरदारी किस रूप मे

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए