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प्रेरक है भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन

2 अप्रैल 2016

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बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में 2 अप्रैल 1942 को जन्मे डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह गणित के असंख्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत और देश का गौरव हैं। उन्होंने बिहार में ही रहकर मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह बचपन से ही पढाई में बहुत तेज़ थे। कहा जाता है कि पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह अपने अध्यापकों को भी गलती पर टोक देते थे। कई बार क्लासरूम में ऐसे कठिन सवाल करते कि अध्यापक भी झेप जाते। थककर अध्यापक ने इनकी शिकायत प्राचार्य से कर दी। प्राचार्य ने उन्हें गणित के कई कठिन प्रश्न दिए। आश्चर्य कि उन्होंने एक ही सवाल को कई तरीके से हल करके दिखा दिया।


पटना साइंस कॉलेज में पढते हुए उनकी मुलाकात अमेरिका से पटना आए प्रोफेसर जॉन एल कैली से हुई। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर प्रोफेसर कैली ने उन्हे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय आकर शोध करने को आमंत्रित किया । इस प्रकार 1963 में वे कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध के लिए गए।


1969 में उन्होने कैलीफोर्निया विश्वविघालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर किये गए उनके शोध कार्य ने उन्हे भारत ही नहीं अपितु विश्व मे प्रसिद्ध कर दिया। अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद कुछ समय के लिए वे भारत आए, मगर जल्द ही फिर अमेरिका वापस चले गए।


उन्होंने वाशिंगटन में गणित के प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। 1971 में वह भारत वापस लौट आए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर और भारतीय सांख्यकीय संस्थान कलकत्ता में भी कार्य किया। सन 2014 में उन्होंने भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी में गेस्ट फ़ैकल्टी के रूप में भी अपनी सेवाएँ प्रदान कीं।


कहा जाता है कि नासा में कार्य के दौरान एक बार बिजली चली गयी। उन्होंने कंप्यूटर के बिना ही गणना कर दी। बिजली आने पर जब कंप्यूटर से गणना का मिलान किया गया तो वह बिल्कुल ठीक थी।


1973 में उनका विवाह वंदना रानी से हुआ। दुर्भाग्यवश डॉ. वशिष्ठ को 1974 में मानसिक दौरे आने लगे। रांची में उनका इलाज हुआ। एक लम्बे समय तक उनका कोई पता नहीं चला।1992 में वह सिवान में मिले, तब से उनका इलाज चल रहा है।



रवीन्द्र  सिंह  यादव

रवीन्द्र सिंह यादव

एक महान भारतीय प्रतिभा जो समय के भंवर में फंस गयी . ईश्वर से प्रार्थना है उन्हें सुकून प्राप्त हो.

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