बे धड़क एक बार फिर में आ रहा हूँ •--
अपनी खास नवीनतम रचनाओं के साथ •--
हैं प्रभु,दयालु,सर्वश्रेष्ठ शक्तिशाली
हैं नाथो के नाथ,विष्णु ,निरंकार
आप मेरे साक्षीदार रहना
आपके द्वारा रची गईं रचनाओं का ज्ञान में मेरी आत्मा के जरिए बाकी सब लोगों तक पहुंचा रहा हूँ
मुझे इतनी शक्ति देना जो में आगे भी जिन्दगी के सफर मे सफल रहूँ
और जब भी सफर में निकलूँ मानव कल्याण के लिए कुछ खोज लाऊँ •------
मानखा री मेणत अर भगवान री मेहर
बढ़ती आबादी सूँ भरग्यां छोटा गांव मोटा शहर
कदई चालें तावड़ा रो कहर
कदई चालें ठण्डी-ठण्डी लेहर
आदमी -आदमी मे है फेर
कोई तो नेता भणग्यां सफेद कुर्ता फेहर
किसान तो कर्जा सूँ मररिया हैं खाणौ पड़े जहर
नेताओं रे लारे क्यूं पड़ो•--
कोई उठाओ कदम कड़ो •--
एक दूजे रे सहारे सूँ
ऐनै अबे आडा हाथों जड़ो
अगर यूं ही किसान चढता रहीया मोत रे भेट
एक दिन मुश्किल हो ज्यावेला सगळां ने भरणो पेट •---------
•-------विचारक--------•
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर •--
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