shabd-logo

ज़बरदस्त अभिनय की मल्लिका : रोहिणी हट्टंगड़ी

11 अप्रैल 2016

888 बार देखा गया 888
featured image

11 अप्रैल 1951 को पुणे में जन्मी हिंदी फ़िल्म जगत की ज़बरदस्त अभिनेत्री ने अपने करीअर की शुरुआत मराठी रंगमंच से की थी। बचपन से ही उनकी आत्मा थिएटर में बसी थी और वो सिर्फ एक कलाकार बनना चाहती थीं। उन्होंने फ़िल्मों के बारे में सोचा ही नहीं था इसी लिए उनके FTTI उनके होम टाउन में होने के बावजूद उन्होंने 1971 में NSD ज्वाइन किया। असली अभिनय सिर्फ़ थिएटर से ही सीखा जा सकता है, ये बात उन्होंने अपने पिता अनंत ओक से सीखी थी। एनएसडी दिल्ली में ही उनकी मुलाक़ात बैच-मेट जयदेव हट्टंगड़ी से हुई जो आगे चलकर उनके जीवनसाथी बन गए।


उन्होंने हिंदी फिल्मों में शुरुआत की सन् 1978 से, सईद अख्तर मिर्ज़ा की फिल्म थी, अरविन्द देसाई की अजीब दास्तान। फिर इसके बाद 1980 में फिल्म आई 'अलबर्ट पिंटो को ग़ुस्सा क्यों आता है'। इन दोनों ही फिल्मों को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड से नवाज़ा गया। 1982 में रिचर्ड एटनबर्ग की फिल्म 'गांधी' में कस्तूरबा के अभिनय के लिए उन्हें दुनिया भर में सराहा गया। इस फिल्म में सहायक अभिनेत्री के रूप में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए उन्हें BAFTA अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा अर्थ, सारांश, पार्टी, मोहनजोशी हाज़िर हो, अग्निपथ, दामिनी, घातक और पुकार जैसी तमाम फ़िल्मों में उनके ज़बरदस्त अभिनय को सराहा गया।


ऐसे फनकारों के अभिनय की वो पराकाष्ठा है कि लगता है तमाम पुरस्कार, अवार्ड्स भी मुस्तैद होकर मुन्तज़िर रहते हैं, और कार्य के प्रति उनके समर्पण के आगे नतमस्तक हो, हँसते-मुस्कराते उनकी झोली में जा बैठते हैं। उनकी अभिनय-कला के असंख्य चाहने वालों की ओर से रोहिणी हट्टंगड़ी को उनके जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ ! 

1

...और युसुफ़ बन गए दिलीप कुमार

3 सितम्बर 2015
1
4
1

बहुत से सिने-प्रेमी ये बात जानते होंगे कि ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का वास्तविक नाम है युसुफ़ खान I लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि जनाब युसुफ़ ख़ान को दिलीप कुमार का नाम किसने दिया I 28 फ़रवरी, 1913 को खुर्जा उत्तर प्रदेश में जन्मे हिंदी के प्रसिद्ध कवि, लेखक और संपादक पंडित नरेंद्र शर्मा उन्नीसवीं सदी

2

हम तुम युग-युग से ये गीत...

4 सितम्बर 2015
0
5
3

लिखने वाले ख़ूब जानते हैं कि कितने ही क्षण ऐसे आते हैं जब लिखे बिना रहा नहीं जाता...निर्झर सरिता सा बहता कल-कल प्रवाह फिर रोके नहीं रुकता ! मीमांसा-अभिवेगों से रंगा मन, लिखने का अमल-अभिमाद, व्यक्ति को भीड़ में भी अकेला कर देता है, उसे तब तक चैन नहीं मिलता जब तक उसकी क़लम अपना अंतर्वेग काग़ज़ के पन्नों पर

3

ओ साथी गुनगुनाता चल...

18 सितम्बर 2015
0
6
2

‘सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन’, ‘अखियों के झरोखों से मैंने देखा जो साँवरे’, ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’, ‘जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना’, ‘तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले’, ‘गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल’, ‘सुनयना आज इन नज़ारों को तुम देखो’ जैसे असंख्य गीत, संगीत प्रेमियों के दिलों की धड़कन हैं; और,

4

सुन मेरे बंधु रे...

18 सितम्बर 2015
0
5
1

सचिन देव बर्मन हिन्दी और बांग्ला फिल्मों के ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का स्पर्श था, वहीं वह पाश्चात्य संगीत का भी बेहतरीन मिश्रण करते थे । सचिन देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 को त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ था । प्यार से लोग उन्हें एस डी बर्मन बुलाते

5

जाने वो कैसे लोग थे जिनके...

10 अक्टूबर 2015
0
6
4

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

6

बनिए आवाज़ के जादूगर

23 अक्टूबर 2015
0
8
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

7

गीत, हमारे मनमीत

3 फरवरी 2016
0
2
0

कितने ही गीत हमारे मनमीत होते हैं ! कितनी ही बार हमारे मन में एक नयी उमंग, एक नयी तरंग जगाते हैं, जैसे थाम के उंगली हौले से हमें लिए जाते हैं, न जाने कौन से उजालों की ओर ! एक ऐसा ही गीत है फिल्म 'गाइड' का जिसके बोल हैं....'आज फिर जीने की तमन्ना है' I ऐसे नग्मात सुनकर ऐसा लगता है मानो ये उम्र और समय

8

प्यार कभी

3 फरवरी 2016
0
2
0

प्यार कभी एक तरफा होता है न होगा... -गीतकार गुलज़ार

9

तेरे जाने के बाद तेरी याद आयी...नादिरा

9 फरवरी 2016
0
2
1

यूँ तो अक्सर किसी के जाने के बाद ही उसकी याद आती है लेकिन दुनिया में कितने ही सितारे हमारे दिलों की ज़मीं’ पर हरदम जगमगाते रहते हैं । हिन्दी फ़िल्मों की ख़ूबसूरत और मशहूर अभिनेत्रियों में से एक ऐसी ही अदाकारा थीं नादिरा । 5 फ़रवरी 1932 को इज़राइल में एक यहूदी परिवार में जन्मी थीं फ़रहत एज़ेकेल नादिरा जिन्

10

कमाल के फ़नकार थे-कमाल अमरोही

10 फरवरी 2016
0
4
0

'चलो दिलदार चलो, चाँद के पार चलो'...जी हाँ, अज़ीम फनकारों के साथ ये अक्सर ही हुआ कि वो जहाँ जिस हाल में जन्मे और पले-बढ़े, दिल से बस यही सदा निकली I उनके बचपन के किस्से सुनो तो हैरत होती है कि फ़र्श से अर्श का ये सफ़र भला कोई कैसे तय लेता है ! एक ऐसी ही बेहतरीन शख्सियत के मालिक थे, गीतकार, पटकथा और संवा

11

ग्लैमरस भूमिकाओं की मल्लिका थीं अभिनेत्री परवीन बाबी

4 अप्रैल 2016
0
2
2

परवीन बाबी सत्तर के दशक के शीर्ष नायको के साथ फिल्मो मे ग्लैमरस भूमिका निभाने के लिए याद की जाती है। उन्होने सत्तर और अस्सी के दशक में बनी ब्लॉकबस्टर फिल्मो मे भी काम किया जिनमें प्रमुख थीं  दीवार, नमक हलाल, अमर अकबर एन्थोनी और शान। वह भारतीय सिनेमा की तमाम खूबसूरत अभिनेत्रियो मे से एक मानी जाती है।

12

फ़िल्म 'द जंगल बुक' रास आ गई लोगों को

9 अप्रैल 2016
0
7
0

हॉलीवुड फिल्म 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की है। जॉन फेवरू की रडयार्ड किपलिंग की किताब पर बेस्ड इस फिल्म का दर्शकों को काफी समय से इंतजार था। फिल्म के हिंदी वर्जन को प्रियंका चोपड़ा और इमरान खान जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी आवाज दी है। 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन

13

ज़बरदस्त अभिनय की मल्लिका : रोहिणी हट्टंगड़ी

11 अप्रैल 2016
0
3
0

11 अप्रैल 1951 को पुणे में जन्मी हिंदी फ़िल्म जगत की ज़बरदस्त अभिनेत्री ने अपने करीअर की शुरुआत मराठी रंगमंच से की थी। बचपन से ही उनकी आत्मा थिएटर में बसी थी और वो सिर्फ एक कलाकार बनना चाहती थीं। उन्होंने फ़िल्मों के बारे में सोचा ही नहीं था इसी लिए उनके FTTI उनके होम टाउन में होने के बावजूद उन्होंने 1

14

फ़िज़ाओं में गूंजता है आज भी इकतारा: गीतकार वर्मा मलिक

13 अप्रैल 2016
0
4
0

'एकतारा बोले, तुन-तुन, क्या कहे ये तुमसे सुन-सुन' गीत लिखने वाले गीतकार वर्मा मलिक जन्मे थे 13 अप्रैल, 1925 को फीरोजपुर (अब पाकिस्तान) में। शुरूआती दिनों में उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भी भाग लिया और अनेक देशभक्ति गीत लिखे। वह बहुत ही सुन्दर भजन लिखते थे और अपने कार्य का आरम्भ किसी भजन

15

कुछ तो है...

21 अप्रैल 2016
0
4
0

जी ! आज जाने-माने फिल्म और टीवी कलाकार शिवाजी साटम का जन्मदिन है। 21 अप्रैल, 1950 को जन्मे शिवाजी साटम, अभिनय के क्षेत्र में आने से पहले बैंक-कैशियर थे। थिएटर करने का शौक़ उन्हें फिल्म और टीवी तक खींच लाया। उन्होंने तमाम फिल्मों में बेहतरीन रोल किये लेकिन ख़ास पहचान बनी मशहूर धारावाहिक सीआईडी के एक अह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए