भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के वर्तमान
अवसर्पिणी काल के चौंबीसवें (२४वें) तीर्थंकर हैं| उल्लेखनीय है कि भगवान महावीर
का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र
राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। भगवान महावीर को 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। तीर्थंकर
महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से
ओतप्रोत था। उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं रखा। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव
जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और
ब्रह्मचर्य। सभी जैन मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका को इन पंचशील गुणों का पालन करना अनिवार्य है| भगवान महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह
दिखाई और मार्गदर्शन किया। भगवान महावीर ने ईसापूर्व 527, 72 वर्ष की आयु में
बिहार के पावापुरी (राजगीर) में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण (मोक्ष)
प्राप्त किया। उनके साथ अन्य कोई मुनि मोक्ष नहीं गए |