छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले का
एक गांव अपने आप में एक अजूबा है। इस गांव में पीपल का एक 200 साल पुराना पेड़ है
जिसमें 50 से ज्यादा अजगर रहते हैं। बच्चे इस पेड़ के आसपास खेलते हैं, अजगर लोगों के घरों
में घुस आते हैं लेकिन आज तक अजगर द्वारा इंसानों को नुकसान पहुंचाने की खबर इस
गांव से नहीं आई। यहां इतने अजगर कैसे बसे, यह पूरी दुनिया के लिए
रहस्य बना हुआ है। क्या खाते हैं किसी को नहीं मालूम? ज्ञातव्य है कि जांजगीर शहर
से 15 किलोमीटर दूर स्थित
भड़ेसर गांव अजगरों के गांव के नाम से चर्चित है। ग्रामीणों का कहना है कि पीपल के
नीचे बच्चे अक्सर खेलते हैं, कई जानवर भी पीपल की छांव में बैठे रहते हैं। अजगर ने कभी किसी बच्चे या छोटे
जानवरों को भी नहीं परेशान किया। अजगर कई बार आसपास के खेत-खलिहानों में और कई बार
पास के तालाब में दिख जाते हैं। लेकिन कभी अजगरों को कुछ खाते नहीं देखा गया। ग्रामीणों के लिए अभी
तक यह आश्चर्य बना हुआ है कि ये अजगर खाते क्या हैं। गाँव वालों का मानना है कि
अज़गर भगवान के बतौर आये हैं इसलिए किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। पीपल का यह पेड़
गांव के महात्मा राम पांडे के खलिहान में है। करीब 200 साल पुराना यह पेड़
अन्दर से पूरी तरह से खोखला हो गया है। इस पेड़ में 50 साल से अधिक समय से अजगर रह रहे हैं, जो कभी पेड़ के इस छोर
से निकलते हैं तो कभी उस छोर से। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि जब से उन्होंने होश
संभाला है तब से इस पेड़ पर अजगर देख रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पहले यहां कुछ
ही अजगर थे लेकिन अब उनकी संख्या 50 से ज्यादा हो गई है। आसपास के गांवों में भी जब लोगों को अजगर मिलता है तो
उसे लाकर इस पेड़ के पास छोड़ दिया जाता है। पहले से रह रहे अजगर नए अजगरों को कोई
नुकसान नहीं पहुंचाते। ठंड के दिनों में हल्की धूप निकलते ही अजगर खोह से निकलने लगते हैं। इसी मौसम
में ही वे दिन के समय बाहर दिखाई देते हैं। गर्मी के दिनों में अजगर अक्सर रात के
वक्त तालाब के किनारे नजर आते हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि एक से ज्यादा अजगर एक
साथ दिखाई देते हैं। एक पेड़ पर इतनी संख्या में अजगर होने की वजह से भड़ेसर गांव
आसपास के इलाकों बेहद प्रसिद्ध है। अजगरों और इस पेड़ के दर्शन करने काफी संख्या
में लोग यहां पहुंचते हैं। अजगर लोगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी नहीं करते, इस वजह से लोग पेड़ के
एकदम पास जाकर उन्हें देखते हैं। आमतौर पर अजगर एक साथ बाहर नहीं निकलते। जाड़े के
दिनों में ज्यादातर अजगर एक साथ निकलते हैं। ग्रामीण अजगरों को अपनी शान समझते
हैं। बाहरी लोग देखने आते हैं तब वे पेड़ के पास आकर अजगरों के बारे में बताते हैं।
ग्रामीण इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि बाहरी व्यक्ति अजगरों को नुकसान न
पहुंचाए।(साभार:भास्कर.कॉम)