shabd-logo

खूंखार चेतक घोडा और महाराणा प्रताप -- अनालिसिस

9 मई 2016

3780 बार देखा गया 3780

318 किलो वजन उठाकर चेतक दुनिया के सबसे फास्ट दौडने वाला और सबसे लंबी छलांग लगानेवाला घोडा था ! माना जाता है कि महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो… और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी। यह बात अचंभित करने वाली है कि इतना वजन लेकर चेतक पर बैठकर प्रताप रणभूमि में लड़ते थे।

.

बचपन से निडर, साहसी और भाला चलाने में निपुण महाराणा प्रताप जंगल में एक बार शेर से ही भिड़ गए थे और उसे मार दिया था। अपनी मातृभूमि मेवाड़ को अकबर के हाथों जाने से बचाने के लिए महाराणा प्रताप ने एक बड़ी सेना तैयार की थी जिसमें अधिकतर भील लड़ाके थे। यह गुरिल्ला युद्ध में महारत रखते थे।

--------------

.

हल्दी घाटी गुरिल्ला युद्ध :

.

अकबर की फौज के पास उस दौर के हर आधुनिक हथियार थे। इधर, महाराणा प्रताप की सेना संख्या में कम थी और उनके पास घोड़ों की संख्या ज्यादा थी। अकबर की सेना गोकुंडा तक पहुंचने की तैयारी में थी। हल्दीघाटी के पास ही खुले में उसने अपने खेमे लगाए थे। महाराणा प्रताप की सेना ने गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करके अकबर की सेना में भगदड़ मचा दी। अकबर की बड़ी सेना लगभग पांच किलोमीटर पीछे हट गई। जहां खुले मैदान में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच पांच घंटे तक भयंकर युद्ध हुआ।

.

इस युद्ध में लगभग 18 हजार सैनिक मारे गए। इतना खून बहा कि इस जगह का नाम ही रक्त तलाई पड़ गया। महाराणा प्रताप के खिलाफ इस युद्ध में अकबर की सेना का नेतृत्व सेनापति मानसिंह कर रहे थे। जो हाथी पर सवार थे। महाराणा अपने वीर घोड़े चेतक पर सवार होकर रणभूमि में आए थे, कहा जाता है कि यह घोड़ा बहुत तेज दौड़ता था।

.

मुगल सेना में हाथियों की संख्या ज़्यादा होने के कारण चेतक (घोड़े) के सिर पर हाथी का मुखौटा बांधा गया था ताकि हाथियों को भरमाया जा सके। कहा जाता है कि चेतक पर सवार महाराणा प्रताप एक के बाद एक दुश्मनों का सफाया करते हुए सेनापति मानसिंह के हाथी के सामने पहुंच गए थे। उस हाथी की सूंड़ में तलवार बंधी थी। महाराणा ने चेतक को एड़ लगाई और वो सीधा मानसिंह के हाथी के मस्तक पर चढ़ गया। मानसिंह हौदे में छिप गया और राणा के वार से महावत मारा गया। हाथी से उतरते समय चेतक का एक पैर हाथी की सूंड़ में बंधी तलवार से कट गया।

.

----------

.

चेतक का पांव कटने के बाद महाराणा प्रताप दुश्मन की सेना से घिर गए थे। महाराणा को दुश्मनों से घिरता देख सादड़ी सरदार झाला माना सिंह उन तक पहुंच गए और उन्होंने राणा की पगड़ी और छत्र जबरन पहन लिए। उन्होंने महाराणा से कहा कि एक झाला के मरने से कुछ नहीं होगा। अगर आप बच गए तो कई और झाला तैयार हो जाएंगे। राणा का छत्र और पगड़ी पहने झाला को ही राणा समझकर मुगल सेना उनसे भिड़ गई और महाराणा प्रताप बच कर निकल गए। झाला मान वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी वजह से महाराणा जिंदा रहे।

.

कटे पैर से महाराणा को सुरक्षित ले गया चेतक :-

.

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक अपना एक पैर कटा होने के बावजूद महाराणा को सुरक्षित स्थान पर लाने के लिए बिना रुके पांच किलोमीटर तक दौड़ा। यहां तक कि उसने रास्ते में पड़ने वाले 26 फीट के बरसाती नाले को भी एक छलांग में पार कर लिया। राणा को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के बाद ही चेतक ने अपने प्राण छोड़े। जहां चेतक ने प्राण छोड़े वहां चेतक की समाधि है। चित्तौड़ की हल्दीघाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है। चेतक का अंतिम संस्कार महाराणा प्रताप और उनके भाई शक्ति सिंह ने किया था। 

.

इस युद्ध में अपने प्रियजनों, मित्रो, सैनिको और घोड़े चेतक को खोने के बाद महाराणा प्रताप ने प्रण किया था कि वो जब तक मेवाड़ वापस प्राप्त नहीं कर लेते घास की रोटी खाएंगे और जमीन पर सोएंगे। अपने जीवनकाल में उन्होंने अपना यह प्रण निभाया और अकबर की सेना से युद्ध करते रहे। उनके जीते जी अकबर कभी चैन से नहीं रह पाया और मेवाड़ को अपने आधीन नहीं कर सका। 57 वर्ष की उम्र में महाराणा ने चावंड में अपनी अंतिम सांस ली। .

1

नीरजा जी

16 अक्टूबर 2015
0
1
2

पुरानी बात है, कई साल पहले, जी हाँ 1963 के सितम्बर महीने की सातवीं तारिख थी जब एक ब्राह्मण परिवार में नीरजा का जन्म हुआ | चंडीगढ़ के ही स्कूल में पढाई की इस लड़की ने और वहीँ के कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन भी पूरा किया | बाईस साल की उम्र में उसकी शादी हुई और किसी खाड़ी देश में अपने पति के साथ वो घर से निकली

2

श्रीधर : कमी को बनाया अपना संबल

16 अक्टूबर 2015
0
2
1

श्रीधर : कमी को बनाया अपना संबलश्रीधर नागप्पा मालागी का एक हाथ एक्सीडेंट के बाद काटना पड़ा। ये घटना है 2006 की। तब उनकी उम्र मात्र छह साल थी। श्रीधर ईर के इस अन्याय से न घबराये न डरे बल्कि इसमें भी कोई भलाई होगी, ये सोचकर अगला कदम बढ़ाने की सोचते। उन्होंने शिक्षा में अव्वल आने का बीड़ा उठाया। लोगों

3

गोविन्द जैस्वाल

16 अक्टूबर 2015
0
3
1

ये कहानी है गोविन्द जैस्वाल की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था . ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी

4

चमकौर का युद्ध

17 अक्टूबर 2015
0
1
0

चमकौर का युद्ध- जहां 10 लाख मुग़ल सैनिकों पर भारी पड़े थे 40 सिक्ख22 दिसंबर सन्‌ 1704 को सिरसा नदी के किनारे चमकौर नामक जगह पर सिक्खों और मुग़लों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया जो इतिहास में "चमकौर का युद्ध" नाम से प्रसिद्ध है। इस युद्ध में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के नेतृत्व में 40 सिक्ख

5

महर्षि भारद्धाज

29 दिसम्बर 2015
0
2
1

2005 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जब इलाहाबाद आये तो महर्षि भारद्धाज आश्रम देखने की इच्छा उन्होंने प्रगट की और उन्होंने बताया कि महर्षि भारद्धाज ने सर्वप्रथम विमान शास्त्र की रचना की थी। महाकुंभ के अवसर पर देश-देशांतर के सभी विद्धान प्रयाग आते थे और इसी भारद्धाज आश्रम में महीने दो महीने रह

6

खूंखार चेतक घोडा और महाराणा प्रताप -- अनालिसिस

9 मई 2016
1
4
0

318 किलो वजन उठाकर चेतक दुनिया के सबसे फास्ट दौडने वाला और सबसे लंबी छलांग लगानेवाला घोडा था ! माना जाता है कि महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रत

7

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी

25 सितम्बर 2016
1
0
0

किसी ने सच ही कहा है कि कुछ लोग सिर्फ समाज बदलने के लिए जन्म लेते हैं और समाज का भला करते हुए ही खुशी से मौत को गले लगा लेते हैं. उन्हीं में से एक हैं दीनदयाल उपाध्याय जिन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी समाज के लोगों को ही समर्पित कर दी। आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 100वी जय

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए