My talk With you-मेरी बात आपके साथ -
लगभग पिछले पैतालीस वर्षो से मै होम्योपैथी चिकित्सा जगत से जुड़ा हुआ हूँ इस बीच मुझे लाखो रोगियों की सेवा करने का सुअवसर मिला है -यद्यपि होम्योपैथी के सिधान्तों के अनुसार प्रत्येक रोगी अपनी एक अलग छाप रखता है तथा उसकी चिकित्सा सामूहिक आधार पर न होकर व्यक्तिगत आधार पर होना चाहिए किन्तु सामान्यत: चिकित्सा करते समय इसका पालन पूर्णरूपेण संभव नहीं हो पाता है -
मेरे ही नहीं प्रत्येक चिकित्सक के सामने ऐसे अनेक प्रकरण आते है जिसमे न हमारी पुस्तकें काम आती है और न वैसे उदाहरण पिछले समय के मिलते है -तब यहाँ चिकित्सक को लीक से हट कर विचार करना पड़ता है यदि कोई निर्णायक सूत्र मिल जाता है तो रोगी का कल्याण हो जाता है अन्यथा भटकना तो निश्चित ही है-
मेरे लम्बे चिकित्सकीय जीवन में ऐसे अनेक प्रकरण उपस्थित हुए जिनकी चिकित्सा करने के लिए मुझे कुछ अलग ही सोच अपनानी पड़ी हमारे सभी लेख संग्रहित केस या तो ऐसे ही है अथवा ऐसे जिनमें आशा से अधिक जादुई परिणाम मुझे प्राप्त हुए-
यहाँ प्रस्तुत सभी अपने अनुभव के लेख को लिखने जस का तस लिखने का एक मात्र उद्देश्य सिर्फ इतना है कि हमारे सभी लेखो को पढ़े समझे और हमारे चिकित्सक बंधू लकीर के फ़कीर न बने और आवश्यकता होने पर एक नए द्रष्टिकोण और सूझ-बूझ के साथ रोग की जड को पकड सके तथा रोगी को आरोग्य प्रदान करने में सक्षम बने-
जब तक देश,काल,परिस्थिति और परिवेश का पूरा ज्ञान न हो तब तक मात्र लक्षणों के आधार पर अतिविशिष्ट ,बिगड़े तथा उलझे हुए रोगियों का निराकरण कर पाना संभव नहीं है -रोगियों के नाम ,पते,तारीखों आदि को विशेष महत्व न देते हुए उन परिस्थितियों पर अधिक ध्यान दिया गया है जो हमे मर्ज की मूल तक पंहुचने और उचित दवा खोजने में सहायक हो-
हमारे सभी होम्योपैथी लेख को लिखने में मेरे परिवार का और विशेष रूप से मेरे बड़े सुपुत्र 'डॉक्टर मनीष सक्सेना' का भी मुझे पूर्ण सहयोग रहा है -
आगामी मेरी पोस्ट आपको ये दर्शाएगी कि हमने अपने जीवन की चिकित्सा यात्रा कैसे शुरू की है जिसे उम्मीद है आप अवश्य पढेगे-
डॉक्टर सतीश सक्सेना