मधुर तान छेड़े अगर बांसुरी,
धरें श्याम-सुंदर अधर बांसुरी।
अभिज्ञान गीता का होगा तरल,
शब्द श्रंगार की है लहर बांसुरी।
हैं अक्षर स्वरों में निखर जाएंगे,
शक्ती संचार में है प्रखर बांसुरी।
धीरे-धीरे उजाले उगेंगे,
रात काली है अंतिम प्रहर बांसुरी।
तुम जो छूलो महक जाएंगे हम,
है सुगन्धित-सुगन्धित मेंहर बांसुरी।
प्रेम शर्तों पे जब भी क-करोगे,
प्यार बन जाएगा ज़हर बांसुरी।
वक़्त बुनता रहेगा नये रात-दिन,
आप मेरी बनोगे अगर बांसुरी।