तुमने बहुत अच्छा किया हमको भुला दिया
दिल-ओ-जहन से मेरा नाम तक मिटा दिया।
अब मैं सुकून से मर जाऊंगा गिला नहीं,
रौशन चिराग था चलो तुमने बुझा दिया।
पूंछा नहीं है हाल-ए-दिल भी किसी ने,
कहना भी चाह आपने पहरा बिठा दिया।
मासूम गुनाहों की सज़ा दीजिये मुझे,
प्यासों को एतराम से पानी पिला दिया।
कुछ भी नहीं ज़िन्दगी में यूँ ना गुमान कर,
सोचा न होगा वक्त में वो भी दिखा दिया।
पल-पल बदल रहा है जीने का नजरिया,
परदा उठेगा देख क्यों पर्दा गिरा दिया।
वो एक पल जिसे कभी भूला ना जा सका,
उस एक पल ने प्यार के क़ाबिल बना दिया।
अब दिल पे किसी कोई उधार नहीं है,
जो भी लिया था मूल से ज्यादा चुका दिया।
मैं ज़िन्दगी की हद से बाहर निकल गया हूँ,
आवाज़ देकर किसने वापस बुला लिया।