कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
कत्ल करने वाले, अख़बार देखते रहे|
तेरी रूह को चाहा, वो बस मै था
जिस्म की नुमाइश, हज़ार देखते रहे||
मैने जिस काम मे ,उम्र गुज़ार दी
कैलेंडर मे वो, रविवार देखते रहे||
जिस की खातिर मैने रूह जला दी
वो आजतक मेरा किरदार देखते रहे||
सूखे ने उजाड़ दिए किसानो के घर
वो पागल अबतक सरकार देखते रहे ||
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे