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यार तुम अपने बाल बाँधा न करो।

27 मई 2016

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यार तुम अपने बाल बाँधा करो। ये जो तुम्हारे खुले भीगे से बाल, जब हवा के हलके झोंके से, तुम्हारे खूबसूरत चेहरे का दीदार करते हैं , तो कसम से तुमसे फिर से इतना इश्क़ हो जाता है, की दिल करता है की एक ताजमहल तो तुम्हारे लिए भी बनवा ही दें।

मुकुंद वर्मा की अन्य किताबें

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चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम

27 मई 2016
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चलो आज इनहवाओं का रुखमोड़ दें हम,इक बार नसही, तिनका-तिनकाही सही,इक घर जोड़दें हम,आँधियों को मानाकी कुदरत मेहरबानहै उनपर,पर उन्हें भीआज दिखा देंकी कमजोर नहींहैं हम,जिस वक़्त टूटताहुए लगे उन्हेंहमारा आशियाना,उसी वक़्त इसआशियाने में इकनयी ईंट जोड़दें हम,चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम,इक बार न सही, तिनका-

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यार तुम अपने बाल बाँधा न करो।

27 मई 2016
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यार तुम अपनेबाल बाँधा नकरो। ये जोतुम्हारे खुले भीगेसे बाल, जबहवा के हलकेझोंके से, तुम्हारेखूबसूरत चेहरे का दीदारकरते हैं न,तो कसम सेतुमसे फिर सेइतना इश्क़ होजाता है, कीदिल करता हैकी एक ताजमहलतो तुम्हारे लिएभी बनवा हीदें।

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Increment चाहिए? ये लीजिए, ठेंगा!

27 मई 2016
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मई का महीनाख़त्म होने वालाहै और जैसे-जैसे जून-जुलाई का महीनाआ रहा है,एक ख़ास इंडस्ट्रीके सभी लोगअचानक से 200 गुनाज्यादा प्रोडक्टिव हो गएहैं.और आखिरहो भी क्यूँन, बस जून-जुलाई आते-आतेउनको ये जोपता चलने वालाहै की उनकाप्रमोशन होगा यानहीं, सैलरी बढ़ेगीया नहीं, याप्रमोशन तो होजायेगा लेकिन सैलरी इन्क्रीमेंटके

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खा खु, आक-थू!

27 मई 2016
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आज एगो और नयी खबर आई है बिहार से. नही, नही जंगलराज जैसा कुछ नहीं है भाई. इ है पोसिटिब न्यूज़, माने सुख-खबरी. गुटका और पान मसाला को कर दिया गया है बैन. बैन माने बंद, एकदम बंद, उ भी एक साल के लिए. इ ससुरी राजनीती भी कभी-कभी अच्छा काम कर जाती है. चाहे भोट के लिए ही सही, लेकिन शराब के बाद पान मसाला पर बै

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कलम और बन्दूक की जंग!

27 मई 2016
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एक बार फिर से कलम और बन्दूक आमने सामने है. इस बार रणभूमि बना है भारत का सबसे बीमार कहलाने वाला इलाका, बीमारू बिहार. हालाँकि उत्तरप्रदेश और बिहार के लिए ये कोई नयी बात नहीं है. कई दशकों से ऐसा चलता आया है. लेकिन इसमें नयापन इस बार इसलिए है की कई सालों कि चुप्पी तोड़ते हुए इसबार बन्दूक गरजी है. एक भोले

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सूख चुका है सूखा – A Drought in Denial

27 मई 2016
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अकाल, दुर्भिक्ष, सूखा, भुखमरी – ये सब किस्से, कहानियों की चीज़ें होती है, जो शायद ही शहरों मे रहने वाले लोगों ने देखी या महसूस की होती है. उनके लिए तो हफ्ते मे १ या २ दिन होने वाली वॉटर या पावर कट ही सूखा या ब्लैक आउट होता है. जिसका भी उन्हे अड्वान्स मे नोटीस मिला होता है, जिसकी वजह से १०-१५ बड़े-बड

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उत्तराखंड की आग, षड़यंत्र या इत्तेफाक?

27 मई 2016
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आप में से कई ने टीवी में, अख़बारों में और कभी-कभी सोशल मीडिया पर भी उत्तराखंड की आग के बारे में देखा, सुना या पढ़ा जरुर होगा. उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग का कारण आपको बढती गर्मी और हीट वेव जैसा अगर कुछ लग रहा है, तो फिर से सोचिये. ये एक प्राकृतिक घटना जैसी लगती है, लेकिन है नहीं. ये साजिश है. साजिश

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विचारधाराएँ अलग-अलग है, लेकिन धारा एक ही है.

27 मई 2016
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हिन्दुस्तान की “विविधता में एकता” वाली बात वाक़ई में काफ़ी सच्ची है. चाहे वेशभूषा अलग-अलग हो, चाहे बोलियाँ अलग-अलग हो, चाहे मजहब ही अलग क्यूँ न हो, दिल से सब हिन्दुस्तानी हैं. और इसी विविधता में एकता का परिचय देती है यहाँ के अलग-अलग प्रान्तों में शासन करने वाली सरकारें और उनकी पार्टियाँ. जैसे उनका एजे

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अश्क़ों में बयाँ , मेरा इश्क़ नही होगा.

28 मई 2016
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अश्क़ों में बयाँ ,मेरा इश्क़ नही होगा,इक झलक देखने को,समंदर भी काफी नही।

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