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खा खु, आक-थू!

27 मई 2016

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आज एगो और नयी खबर आई है बिहार से. नही, नही जंगलराज जैसा कुछ नहीं है भाई. इ है पोसिटिब न्यूज़, माने सुख-खबरी. गुटका और पान मसाला को कर दिया गया है बैन. बैन माने बंद, एकदम बंद, उ भी एक साल के लिए. इ ससुरी राजनीती भी कभी-कभी अच्छा काम कर जाती है. चाहे भोट के लिए ही सही, लेकिन शराब के बाद पान मसाला पर बैन लगने से हम तो बहुत्ते खुस है. माने इ कह लीजिये की हमको इतना ख़ुसी तो शराब पर बैन लगे पर भी नहीं हुआ था.

अब इससे पहले की आप हमसे पूछिए, हम खुदे बता देते हैं की कारन क्या है. देखिये गुटका बैन होने से लोगों और समाज पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ेगा, गरीब अपना पैसा इसमें बर्बाद नहीं करेगा, कोई बेमारी नहीं होगा, घर में सुख-शांति रहेगा. हर गरीब तरक्की करेगा. पुरिया के बचा हुआ पैसा से अपना बच्चा को पढ़ायेगा, लिखायेगा, बड़ा आदमी बनाएगा. ऐसा सब जो बात है, हम बिलकुल नही सोचते. भाई तुम्हारा पैसा है, तुम्हारा देह है, पुरिया खा के थूक दो या बेमारी ले आओ, हमको का मतलब है. असली ख़ुसी का बात है की साला अब हर जगह इ चिरौंजी टाइप गुटका-खोर आदमी के मुह से मिसाइल टाइप निकलने बला थूक का खतरा नही रहेगा.

ससुरा घर से निकलना मुस्किल हो गया था इ चिरौंजी-छाप गुटका-चिबाऊ-मशीन  के कारन. जिधर जाओ वही पुरिया चिबाता चेहरा और पूच्च की आवाज. इ ससुर के नातियों ने कुरुक्षेत्र टाइप पूरा धरती ही लाल कर दिया था.जहाँ देखो वही लाल. तिरंगा का लाल, शिखर का लाल, पान पराग का लाल, विमल का लाल. कभी पैदल चलते हुए, कभी गारी पर चलते हुए, कभी कार में से मुह निकाल कर तो कभी रिक्सा पर बैठे-बैठे. जहाँ मन हुआ, जब मन हुआ, थूक दिया. न घर का कोना छोरा, न सिनेमा हौल या कॉलेज का. स्टेशन पर थूकते रहे, ट्रेन में बैठ कर थूकते रहे. बरसात में तो इतना पानी परने से हम नही डरे, जितना सूखा के दिन में सरक पर चलते हुए.अब कितना लोग को समझाया जाये, मना किया जाये. डर तो इहो बात का भी लगा रहता था, की कहीं ससुरा समझावे टाइम हमरे ऊपर ही न थूक दे.

कम से कम, एक साल के लिए इससे राहत तो है. बिहार में इस मामले में तो अब सकून है. अब आराम से कहीं भी सरक पर घुमा करेंगे और बिना इ चेक किये की कोई ससुरा थूका तो नहीं है, कहीं भी घास पर बैठा करेंगे. और कसम से अब अगर एक साल में कोई चिरौंजी टाइप गुटका खाते दिख गया, तो फ़ौरन उसको गिरेबान से पकर कर थाना ले जायेंगे, की ससुरा अब बताओ तुम, फिर खाओगे पुरिया, फिर निकालोगे आवाज – खा खु, आक-थू!

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नृपेंद्र कुमार शर्मा

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बहुतै बढ़िया लिक्खे हो एकदम ससुरा आइना दिखा दिए हैं मर्द लोगन को। बहुत बहुत साधुवाद।

9 मई 2017

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चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम

27 मई 2016
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चलो आज इनहवाओं का रुखमोड़ दें हम,इक बार नसही, तिनका-तिनकाही सही,इक घर जोड़दें हम,आँधियों को मानाकी कुदरत मेहरबानहै उनपर,पर उन्हें भीआज दिखा देंकी कमजोर नहींहैं हम,जिस वक़्त टूटताहुए लगे उन्हेंहमारा आशियाना,उसी वक़्त इसआशियाने में इकनयी ईंट जोड़दें हम,चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम,इक बार न सही, तिनका-

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यार तुम अपने बाल बाँधा न करो।

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यार तुम अपनेबाल बाँधा नकरो। ये जोतुम्हारे खुले भीगेसे बाल, जबहवा के हलकेझोंके से, तुम्हारेखूबसूरत चेहरे का दीदारकरते हैं न,तो कसम सेतुमसे फिर सेइतना इश्क़ होजाता है, कीदिल करता हैकी एक ताजमहलतो तुम्हारे लिएभी बनवा हीदें।

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28 मई 2016
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