shabd-logo

सीख

28 मई 2016

184 बार देखा गया 184

एक संन्यासी जिस दिन मरा, उसी दिन एक वेश्या भी मरी, दोनों ही आमने-सामने रहते थे। देवदूत वाले लोग लेने आए, तो संन्यासी को नरक की तरफ ले जाने लगे और वेश्या को स्वर्ग की तरफ।

संन्यासी ने कहा: रुको- रुको लगता हे कुछ भूल हो गई मालूम होती है! यह क्या उलटा पुलटा हो रहा है ? मुझ संन्यासी को नरक की तरफ, वेश्या को स्वर्ग की तरफ ! क्यों ? जरूर आपके संदेश में कहीं कोई भूल-चूक हो गई है। संसार का इतना बड़ा काम है, भूल-चूक हो सकती हे संभव है। जब छोटी-मोटी सरकारें भूल करती हैं, तो पूरे विश्व की व्यवस्था में भूल हो जाना कुछ आश्चर्यजनक नहीं। तुम फिर से पता लगा कर आओ।
शक तो उन देवदूतों को भी हुआ। उन्होंने कहा, भूल कभी हुई तो नहीं, लेकिन मामला तो साफ दिखता है कि यह वेश्या है और तुम संन्यासी हो। वे गए लेकिन फिर ऊपर से खबर आई कि कोई भूल-चूक नहीं है, जो होना था, वही हुआ है। वेश्या को स्वर्ग में ले आओ, संन्यासी को नरक में डाल दो और अगर ज्यादा ही जिद करे, तो उसे समझा देना कि कारण यह- यह है।
जिद संन्यासी ने की, तो देवदूतों को कारण बताना पड़ा। कारण यह था : कि संन्यासी रहता तो मंदिर में था, लेकिन सोचता सदा वेश्या की था, भगवन की पूजा तो करता था, आरती भी उतारता था। लेकिन मन में प्रतिमा वेश्या की होती थी। और जब वेश्या के घर में रात राग-रंग होता, बाजे बजते, नाच होता, कहकहे उठते, नशे में डूब कर लोग उन्मत्त होते, तो उसको ऐसा लगता था जैसे कि मैंने अपना जीवन व्यर्थ ही गंवाया।
आनंद जब वहां है तो मैं यहां क्या कर रहा हूं, इस निर्जन में बैठा, इस खाली मंदिर में, यह पत्थर की मूर्ति के सामने! पता नहीं, भगवान है भी की नहीं उसे हमेशा यही शक पैदा होता। और रात जाग कर वह करवटें बदलता, और वेश्या को भोगने के सपने देखता और वेश्या की हालत ठीक इसके विपरीत कुछ ऐसी थी कि वह थी तो वेश्या - लोगों को रिझाती भी, नाचती भी पर मन उसका मंदिर में लगा था। जब-जब मंदिर की घंटियां बजतीं - तो वह सदा यही सोचती कि कब मेरे इस भाग्य का उदय होगा कि मैं भी मंदिर में प्रवेश कर सकूंगी। मैं अभागी, मैंने तो अपना जीवन इस गंदगी में ही बिता दिया।
अगले जन्म में हे परमात्मा : भले मुझे मंदिर की पुजारिन बना देना, मुझे मंदिर की सीढ़ियों की धूल भी बना देगा तो भी चलेगा - में उनके पैरों के नीचे पड़ी रहूं जो पूजा करने आते हैं, उतना भी बहुत हे मेरे लिए । जब मंदिर में सुगंध उठती धूप की, तो वह आनंदमग्न हो जाती। वह कहती, यह भी क्या कम सौभाग्य है कि मैं अभी भी मंदिर के निकट हूं ! बहुत हैं, जो मंदिर से दूर हैं। माना कि पापिनी हूं, लेकिन जब भी पुजारी पूजा करता, तब भी वह आंख बंद करके बैठ जाती।
पुजारी वेश्या की सोचता, वेश्या पूजा की सोचती। पुजारी नरक चला गया, वेश्या स्वर्ग चली गई। अतः जैसी आपकी सोच होगी वैसा ही आपका जीवन होगा और जैसे आपके कर्म होंगे वैसे ही आपको भोगना होगा ।

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत बहुत बधाई ,एक अच्छा लेख और सार्थक सीख प्रदान करने के लिए| आजकल इसी प्रकार के सन्दर्भ समाज के सम्मुख रखने अत्यधिक आवश्यकता है | कही न कहीं कुछ तो प्रभाव पड़ेगा ही |

28 मई 2016

1

घर में ही सीखे गिफ्ट बनाना

27 अप्रैल 2016
0
1
0

2

ब्रेसलेट बनाना सीखे

27 अप्रैल 2016
0
0
0

3

श्री राम

6 मई 2016
0
2
0

4

बेटी

10 मई 2016
0
3
0

5

प्यास

10 मई 2016
0
1
0

6

बचपन

10 मई 2016
0
1
0

7

सीखे

12 मई 2016
0
2
0

8

संघर्ष

13 मई 2016
0
0
0

बाज लगभग 70 वर्ष जीता है,परन्तु अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है।उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं-1. पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है वशिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं।2. चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने

9

शहादत

13 मई 2016
1
1
0

10

खीरे के फायदे

13 मई 2016
1
2
0

11

पपीते के फायदे

13 मई 2016
1
1
0

12

पानी

13 मई 2016
0
0
0

13

शहद और नीम्बू के फायदे

13 मई 2016
0
0
0

14

टमाटर के फायदे

13 मई 2016
0
0
0

15

ग्रीन टी के फायदे

13 मई 2016
0
0
0

16

सौंफ के फायदे

13 मई 2016
1
1
0

17

जानकारी

13 मई 2016
1
0
0

18

रोटी

13 मई 2016
1
6
1

19

भाई

16 मई 2016
0
0
0

दो भाई थे ।आपस में बहुत प्यार था।खेत अलग अलग थे आजु बाजू।:बड़ा भाई शादीशुदा था ।छोटा अकेला ।:एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाजबहुत हुआ ।:खेत में काम करते करते बड़े भाई नेबगल के खेत में छोटे भाई कोखेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।:उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा । खेतीतो अच्छी हुई इस बार अनाज भी बहु

20

मंदिर में इसलिए घंटिया लगाई जाती है |

16 मई 2016
0
1
0
21

पैसा

16 मई 2016
0
0
0
22

पैसा

16 मई 2016
0
0
0
23

पैसा

16 मई 2016
0
0
0
24

पैसा

16 मई 2016
0
0
0
25

गीता

16 मई 2016
0
0
0
26

पानी

16 मई 2016
0
2
0
27

पुण्य

16 मई 2016
0
6
0
28

सिक्का और कीमत

17 मई 2016
0
5
0
29

रोटी

19 मई 2016
0
3
1
30

मिटटी

19 मई 2016
0
1
0
31

छिन गयी किताब की जगह

19 मई 2016
0
2
0
32

धर्म की मोहर

19 मई 2016
0
5
2
33

ब्रेन वाश

19 मई 2016
0
0
0
34

आज कौन सा चेहरा पहनू

19 मई 2016
0
0
0
35

शिपिंग कारपोरेशन

27 मई 2016
0
0
0

36

#मोदी सरकार , मुनाफे में एयर इंडिया

27 मई 2016
0
0
0

37

#मेक इन इंडिया

27 मई 2016
0
0
0
38

बुलेट प्रूफ जैकेट

27 मई 2016
0
0
0
39

फसल बीमा योजना

27 मई 2016
0
1
0
40

#आई आई टी फीस माफ़

27 मई 2016
0
1
0
41

नेपाल में भूकम्प

27 मई 2016
0
1
0
42

सभी कॉलेज की जानकारी एक जगह पर

27 मई 2016
0
1
0
43

#किसान टीवी

27 मई 2016
0
2
0
44

@रेलवे कंप्लेंट

27 मई 2016
0
2
0
45

#इंटरनेशनल योग डे

27 मई 2016
0
2
0
46

#ब्लैक मार्केटिंग

27 मई 2016
0
2
0
47

सुकन्या समृद्धि योजना

27 मई 2016
0
3
0
48

#बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

27 मई 2016
0
2
0
49

सड़क परियोजना

27 मई 2016
0
2
0
50

अगर पाकिस्तान से गोली चले तो दिल्ली फ़ोन करके मत पूछना

27 मई 2016
0
2
0
51

सीबीएससी एनसीआर टी बुक्स ऑनलाइन

27 मई 2016
0
1
0
52

#गैस सब्सिडी

27 मई 2016
0
2
0
53

पोड टैक्सी प्रोजेक्ट

27 मई 2016
0
1
0
54

न खाऊंगा न खाने दूंगा

27 मई 2016
0
2
0
55

रेलपटरी

27 मई 2016
0
3
0
56

#मु योजना

27 मई 2016
0
3
0
57

वॉर मेमोरियल

27 मई 2016
0
3
0
58

ई - वीजा स्कीम

27 मई 2016
0
2
0
59

#अमृत स्टोर

27 मई 2016
0
4
1
60

बिजली बचत , LED बल्ब

27 मई 2016
0
2
0
61

12 रूपए सालाना प्रीमियम पर 2 लाख का दुर्घटना बीमा

27 मई 2016
0
3
0
62

10 साल में पहली बार बीएसएनएल

27 मई 2016
0
3
1
63

6753 मेगावाट बिजली उत्पादन

27 मई 2016
0
1
0
64

#आपरेशन राहत

27 मई 2016
0
3
0
65

नहीं चाहिए हस्तछेप

27 मई 2016
0
1
0
66

#साइल हेल्थ कार्ड

27 मई 2016
1
1
1
67

#मेक इन इंडिया मैजिक

27 मई 2016
0
3
0
68

सीख

28 मई 2016
0
3
2

एक संन्यासी जिस दिन मरा, उसी दिन एक वेश्या भी मरी, दोनों ही आमने-सामने रहते थे। देवदूत वाले लोग लेने आए, तो संन्यासी को नरक की तरफ ले जाने लगे और वेश्या को स्वर्ग की तरफ।संन्यासी ने कहा: रुको- रुको लगता हे कुछ भूल हो गई मालूम होती है! यह क्या उलटा पुलटा हो रहा है ? मुझ संन्यासी को नरक की तरफ, वेश्या

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए