ज्ञान जितना पा लो कम है। प्रतिदिन अनेक किताब प्रकाशित होती हैं, सभी तो कोई पढ़ नहीं सकता। ज्ञान से बुद्धि बल बढ़ता है। बुद्धि का बल सबसे बड़ा है। ज्ञान से बुद्धि बल बढ़ता है और बुद्धि में विवेक जागता है। विवेक सम्मत बुद्धि से हम सभी सम्ास्याओं एवं शंकाओं का समाधान कर पाते हैं। इसलिए ज्ञान की महत्ता सर्वोपरि है। ज्ञान पुस्तकों से मिलता है, ज्ञान का व्यवहार अनुभव बन जाता है, अनुभव व्यक्ति को विशिष्ट व विशेषज्ञ बनाता है।
ज्ञान का महासागर संसार में व्याप्त है। सम्पूर्ण महासागर को जान पाना असम्भव है। आपको तो सफलता के लिए चयनित क्षेत्र से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्त करना है। आप चयनति क्षेत्र की लाखों पुस्तक में से एक भी पुस्तक लगन व समर्पण भावना से मन लगाकर विश्लेषात्मक ढंग से पढ़ लेंगे तो वह आपको उस क्षेत्र में स्थापित करने के लिए सहायक होगी। आपको ज्ञान के महासागर से चयनित क्षेत्र के लिए उस प्रकार से ज्ञान प्राप्त करना है जिस प्रकार चुम्बक वस्तुओं में से लोहे को ही खींचती है।
यदि आपका मस्तिष्क अपने सुनिश्चित उद्देश्य के प्रति सजग है तो समस्त ज्ञान के भण्डार से उन्हीं बातों को ग्रहण करेगा जो जीवन लक्ष्य या आपके उद्देश्य की पूर्ति करता हो या आगे बढ़ने में सहायक हो। यदि ऐसा ही करा तो शीघ्र ही आप चयनित क्षेत्र सम्बन्धी व्यापक ज्ञान संचित कर लेंगे जोकि आपकी पूंजी होगा इसी के निवेश से आप जीवन में धन अर्जित करेंगे। कोई भी आपके ज्ञान या अनुभव के बल पर ही आपकी सेवाएं लेने को तत्पर होगा। अत: सफलता हेतु निज योग्यता या क्षमता के अनुसार अपने जीवन लक्ष्य के अनुरूप क्षेत्र चयन करके उसके लिए ज्ञान की पूंजी एकत्र करें और फिर उसका निवेश करेंगे तो आप जीवन में धन, यश एवं उन्नति तीनों प्राप्त करेंगे।