shabd-logo

भक्त

5 जून 2016

118 बार देखा गया 118

भक्त बनने की परंपरा हमारे देश में सदियों से है ।पहले भगवान ,यहाँ तक तो ठीक था , फिर संत फिर नेता ,अभिनेता ....सबके। इन भक्तों की अपनी पहचान नहीं होती क्या, इन्हें तो कोई न कोई पूजने को चाहिए कभी कांग्रेस नेता कभी वामपंथी ,कभी भाजपाई नहीं कन्हैया भी चलेंगें हद है ऐसे चोंचलों की।विचारधारा मानने तक बात ठीक है।आदर्श होने तक तो ठीक है वैसे मेरा कोई आदर्श नहीं हैं ,हाँ कुछ लोग हैँ जो इस खांचे के आस-पास फिट बैठते हैं नीलेश मिसरा, सौरभ द्विवेदी ,मनीषा पांडेय, साइना नेहवाल बस ,पर हमसे तो भगवान की पूजा भी नहीं होती। बस बड़ी कोफ्त होती है इन भक्तों से ,इतना ही कह सकते हैं भगवान बचाए इन भक्तों से।

विष्णु द्विवेदी की अन्य किताबें

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बिलकुल सच कहा आपने | दरअसल ये आत्मिक भक्त नहीं होते | ये बरसाती भक्त होते हैं | जो मोसम के अनुसार अपनी भक्ति का आधार बदल लेते हैं |

5 जून 2016

1

आरक्षण नीति

2 जून 2016
0
3
1

  औरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरी आदत नहीं मगर जो गलत है उस पर चोट करने की फितरत है ~विष्णु~ ‪ टीना दाबी ने टॉप किया ठीक है ,इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि,परीक्षा के किसी चरण में उनसे ज्यादा अंक लाने वालों की संख्या तिहाई में हो ,जो कमियां रहीं होगी वो ट्रेनिंग में चली जाएंगी । पर इस बात पर

2

भक्त

5 जून 2016
0
2
1

भक्त बनने की परंपरा हमारे देश में सदियों से है ।पहले भगवान ,यहाँ तक तो ठीक था , फिर संत फिर नेता ,अभिनेता ....सबके। इन भक्तों की अपनी पहचान नहीं होती क्या, इन्हें तो कोई न कोई पूजने को चाहिए कभी कांग्रेस नेता कभी वामपंथी ,कभी भाजपाई नहीं कन्हैया भी चलेंगें हद है ऐसे चोंचलों की।विचारधारा मानने तक बा

3

निलंबन छलावा या न्याय

19 अगस्त 2016
0
0
0

निलंबन से न्याय नहीं हो जाता है इससे बस कुछ लोग अपनी छवि को साफ बरकरार रख लेते हैं माननीय अखिलेश यादव । बुलंदशहर जिसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं बस यही पता है कि, उ.प्र. का एक शहर जो राष्ट्रीय राजधानी के पास है,और कई पब्लिकेशन हाउस वगैरा है । पर इस सदी की सबसे वीभत्स घटना यहीं हुई थी कुछ महीने पहले

4

पुरस्कार राशि

24 अगस्त 2016
0
2
0

क्या नायक वही होते हैं जो जंग जीतते है या फिर वो भी नायक है जो जंग लड़ते है ,मुझे तो लगता है प्रत्येक वो व्यक्ति नायक है जो जंग को अप्रत्याषित मोड़ तक ले जाता है । फिर क्यों धन वर्षा सिर्फ जंग जीतने वालों पर हाँ यह लेख पूरी तरह से ओलम्पिक के संदर्भ में हैंं जो जीते हैं वो तो नायक है ही पर जो हारे उनके

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए