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लूट की झूट

9 जून 2016

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रिश्वत खोरी पर व्यंग करती कविता -लूट की छूट 


लूट कर यात्रियों को लूटेरों ने ,लौटा दिया सारा धन -माल |

सोचने लगे यात्री सारे ,क्या है यह कोई इनकी चाल ?|

डर रहे थे सब यात्री ,पर एक बालक बोला करते खाज |
डाकू सर प्लीज बताओ , इस दया का क्या है राज ?|
डाकू बोला ,यह दया नहीं है ,यह है रिश्वत का सवाल |
हर लूट पर हमें देने पड़ते ,थाने में रुपये लाख तत्काल ||
इस लूट से हमें मिले थे , नगदी सिर्फ पचास हजार |
लूट की खबर छपती तो , घाटे का हो जाता भार ||
कैसे करते हम घाटे का सौदा ,सो लौटा दिया सारा धन -माल|
सुन कर सन्न रह गए सारे ,घूसखोर पुलिस का हाल ||
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रचनाएँ
sahityasangam
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साहित्य की विभिन्न विधाओं का सरस संगम
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देख असर ये होली का

9 मार्च 2016
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######## देख असर ये होलीका ########@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@गूँज रहा है स्वर फिजा में, होली की ठिठोली का ।घाव भरने लगा है मानो,कड़वे बोल की गोली का ॥रंग बदल रहा है मौसम , गौरी सूरत भोली का ।छायी बहार हर चमन में ,देख असर ये होली का ॥गीत गूँजने लगा कानों में, मस्तानों की टोली का ।होने लगा दिल पे असर , हमजो

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विडम्बना

9 जून 2016
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हवाई सफ़र ने दुनिया को ,बहुत छोटा कर दिया |आराम दिया विज्ञान ने ,पर सुकून सारा हर लिया ||दूरियां पार कर ली हमने ,सात समंदर पार की |पर दूर हो गये दिल हमारे ,क्या बात करें संसार की||छोटी हो गयी दुनिया अपनी ,पर फ़ैल गये शहर विकराल |मोबाईल का ज़माना आया ,फैला अजब अंतर जाल ||अजनबी अब फेसफ्रेण्ड है ,पर नहीं

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