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समकालीन उपन्यास साहित्य में नारी विमर्श

17 जून 2016

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वैदिक काल में नारी की स्थिति अत्यन्त उच्च थी। उस काल में यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता की कहावत चरितार्थ होती थी। भारतीयों के सभी आदर्श रूप नारी में पाए जाते थे, जैसे सरस्वती(विद्या का आदर्श), लक्ष्मी(धन का आदर्श), दुर्गा(शक्ति का आदर्श), रति(सौन्दर्य का आदर्श) एवं गंगा(पवित्राता का आदर्श) आदि। उस समय नारी को चौंसठ कलाओं की शिक्षा दी जाती थी। पत्नी के रूप में वे पतिपरायणा थी। युद्धक्षेत्र में पति संग शस्त्र-संचालन भी करती थी। रथ की सारथी बनकर मार्गदर्शन भी करती थी। सार्वजनिक क्षेत्रों में स्त्रियां  शास्त्रार्थ भी करती थीं। उस काल में पुरुषों का वर्चस्व था, लेकिन नारी को भी सम्मान दिया जाता था। 

उत्तर वैदिक काल में कन्या का जन्म चिंता का विषय था और पुत्र प्राप्ति गर्व का। पुत्र रत्न न दे पाने के कारण उसका त्याग कर दिया जाता था। पति पुनर्विवाह कर सकता था। इस काल में विधवा स्त्रियों का जीवन अत्यन्त कठिन था। उनके लिए अत्यन्त कठिन नियम थे, जैसे एक समय भोजन करना, श्वेत वस्त्र धारण करना, सिर मुंडवाना आदि। इस काल में नारियों की दशा दयनीय थी। समाज में अनेक कुप्रथाएं फैल गयी थीं, जैसे सतीप्रथा, बालविवाह, परदा प्रथा, अनमेल विवाह आदि। वैदिक काल में नारी के दिव्य गुण धीरे-धीरे इस काल में उसके अवगुण बनने लगे थे। वैदिक युग में स्त्रियां धर्म एवं समाज का प्राण थीं। इस काल में वे हर क्षेत्र में वे अयोग्य घोषित की गईं। उनको विवाह संस्कार के अतिरिक्त सभी संस्कारों से वंचित कर दिया गया था। 

मध्यकाल में नारियों की स्थिति उत्तरोत्तर गिरती गई। अरबों तथा मुसलमानों के आक्रमणों के कारण उनकों सदैव सुरक्षित रखा गया। वे मात्र गृहिणी थी और गृहकार्य में लिप्त थीं। इसकाल के अन्त में नारियों की दयनीय स्थिति में बहुत परिवर्तन आया और उन्नीसवीं सदी के आसपास अनेक समाज सुधारक जैसे राजा राममोहन राय ने नारी पर होने वाले कई अत्याचारों को समाप्त कर उनकी शिक्षा की व्यवस्था की। सती प्रथा का विरोध किया। बंगाल के ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवा के पुनर्विवाह के मार्ग खोल दिए। स्वतन्त्रता आन्दोलन में गांधी जी ने भी नारियों के अपनी योग्यता सिद्ध करने का निमन्त्रण दिया था। वर्तमान समय में तो कु.कल्पना चावला, श्रीमती सुनीता विलियम्स ने नए आविष्कार करके निज योग्यता सिद्ध की है। किरण बेदी, बरखा दत्त जैसी नारियां भी सफलता के ज्वलंत उदाहरण हैं। भूतपूर्व प्रधानमन्‍त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी शक्तिशाली महिला के रूप में स्मरणीय हैं। राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर श्रीमती प्रतिभा पाटिल अपनी दक्षता का परिचय दे रही है। समाज प्रतिपल विकास की ओर निरन्तर गतिमान है। इस परिवर्तनशील समाज में उपन्यासकारों की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वर्तमान समय में चहुं ओर तनावपूर्ण वातावरण है। दुराचार, अनाचार, भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर सुरसा के मुख सदृश विकराल रूप धारण कर चुका है। समकालीन उपन्यासकारों ने बाधाओं एवं संकटों की परवाह किए बिना अपनी रचनाओं के द्वारा समाज का वास्तविक चित्र प्रस्तुत किया है। उन्होंने मुक्त-हस्त से निडर होकर अपनी कलम चलाई और नारी-विमर्श को लेकर कुछ-न-कुछ अवश्य लिखा। 

मोहनराकेश जी ने अन्तराल उपन्यास में सीमा के चरित्र में नवीन रूप प्रस्तुत किए हैं। वह धर्म का बन्धन नहीं मानती है, नशे का प्रयोग करती है और आत्मनिर्भर होने के कारण अभिमानी है। बड़ों का आदर नहीं करती है। अन्य स्‍त्री पात्र विधवा है और पुनर्विवाह करने में उसे कोई आपत्ति नहीं है। इसी उपन्यास में कुमार की पत्नी कान्ट्रक्ट मैरिज करती है और न निभने पर वापस लौट आती है। उपन्यासकार ने नारी के विविध रूपों को उजागर किया है। अन्य उपन्यास में अन्धेरे बंद कमरे में नारी के अप्रसन्न दाम्पत्य जीवन को उजागर किया है। इसमें नायक हरवंश आधुनिक पति है और वह चाहता है कि उसकी पत्नी नीलिमा मदिरा पिए, धूम्रपान करे तथा पराए पुरुषों से मुक्त व्यवहार रखे। वह बाद में विदेश चला जाता है और नीलिमा के बिना अकेलापन महसूस करता है। क्षमा मांगने पर नीलिमा उसकी ओर ध्यान नहीं देती है। वह भी एक नृत्य समूह के साथ विदेश चली जाती है। वहां एक विधुर पुरुष उबानु सम्पर्क में आता है और विवाह का प्रस्ताव रखता है तो वह अस्वीकार कर देती है। वह पत्रकार मधुसूदन से परिवर्तित जीवन मूल्यों की चर्चा करती है। वह सोचती है कि जीवन में ऐसा कोई मूल्य नहीं है जिस पर व्यक्ति अडिग रह सकता है। 

अज्ञेय जी ने नदी के दीप उपन्यास में रेखा के पात्रा द्वारा नारी के अहं का शालीन रूप प्रस्तुत किया है, जिसने अहं के बल से भावुकता को जीत लिया है, उसके चरित्र में अहं का सदरूप विद्यमान है। अन्य पात्रा गौरा के चरित्रा में अहं का संयत रूप परिलक्षित होता है। उपन्यासकार ने पुरुषप्रधान समाज में नारी के सबल व्यक्तित्व को प्रस्तुत कर सामाजिक परम्पराओं को खोखला सिद्ध कर दिया है।

श्री राजकमल चौधरी ने अपने उपन्यास मछली मरी हुई में नारियों की रुग्ण आसक्ति को उजागर किया है, जो नारियां पुरुषों सदृश जीवन व्यतीत करती है और माता बनने से कतराती है। ये नारियां समलैंगिकता की ओर अधिक झुकाव रखती हैं। यह उपन्यास समलैंगिक यौनाचार में लिप्त स्त्रियों को आधार बनाकर लिखा गया है। यह मनोवैज्ञानिक उपन्यास है। उपन्यासकार की दृष्टि में यौन आवश्कता कोई अमंगल बात नहीं है, परन्तु विकृत कामभावना एक मानसिक रोग है। शारीरिक और मानसिक पतन इसका प्रतिफल है। सामाजिक समायोजन के लिए इससे दूर रहना ही उचित है। 

सूर्यकुमार जोशी जी ने अपने उपन्यास दिगंबरी में एक ऐसी नारी की कहानी को वर्णित किया है जो अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए विनय नामक पुरुष से विवाह कर लेती है और बेटी को जन्म देती है। इसमें अन्य नारी सदाशा अपरिपक्व अवस्था में अपनी सहेली मालिनी से यौन जीवन की समस्त बातें जान लेती है। उसकी मां वेश्या और पिता वेश्यागामी व शराबी थे। वह विनय के सम्पर्क में आकर संबंध स्थापित करती है और विनय से सम्बन्ध तोड़कर अन्य पुरुषों से सम्बन्ध जोड़ती है। उसे मातापिता से ऐसे संस्कार मिले जिससे वह स्वयं पतित हुई और सम्पर्क में आने वाले सभी पुरुषों को पतित किया।

प्रियवंदा ने अपने उपन्यास रुकोगी नहीं राधिका में आधुनिक परिवेश से उदिता नारी ही को विषय बनाया। प्रियवंदा जी का कहना है कि एक ऐसी स्‍त्री का, जो कि अपने में उलझ गई है और अपने को पाने की खोज में उसे अपने ही अन्दर बैठकर खोज करनी है। राधिका का निपट अकेलापन और भारत में अपने को उखड़ा-उखड़ा जीना मेरी अपनी अनुभूतियां थीं, जिन्हें कि मैं बेहद लाड़-प्यार के बावजूद नकार नहीं सकी। सो यह नारी के अकेले होने की स्थिति है। 

मन्नू भंडारी ने अपने उपन्यास आपका बंटी में आधुनिक नारी को घर की चार दीवारी से निकालकर कर्मक्षेत्र में ला-खड़ा किया है। शिक्षित युवती के वैवाहिक जीवन की आंतरिक त्रासदी की सूक्ष्म पहचान अंकित की है। तलाक-शुदा मां-बाप की सन्तान बंटी न माता का है और न पिता का है, आपका बंटी है अर्थात्‌ समाज का। उनकी दृष्टि में समाज की ज्वलन्त समस्या है तलाक। 

लोकप्रिय लेखिका कृष्णा सोबती ने मित्रों मरजानी, डार से बिछुड़ी, सूरजमुखी के अंधेरे के स्‍त्री-पुरुष संबंधों पर आधारित बलात्कार की विभीषिका दर्शाते उपन्यास हैं। इसमें वर्षों से अंधेरे की परतों के नीचे ढंकी नारी को चित्रित किया गया है।

शशिप्रभा शास्‍त्री ने नारी मन की जटिल गुत्थियों को सुलझाने की प्रक्रिया अपने उपन्यासों में की है। उनके उपन्यास नावें में विवाह पूर्व किसी नारी के मां बनने और उससे उत्पन्न विसंगत परिस्थितियों में सही जीवन की तलाश की संघर्ष गाथा है। उनके अनुसार नारी को अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलन्द करते देखती हूँ तो सन्तोष होता है।

ममता कालिया जी ने अपने उपन्यास बेघर और नरक दर नरक में नारी के प्रति समाज का क्या दृष्टिकोण है, इसको अभिव्यक्ति दी है। पुरुष ने नारी को उपभोक्तावादी वस्तु समझ लिया है। 

इस प्रकार उपन्यास साहित्य में नारी विमर्श की चर्चा यत्र-तत्र की गई है। नारी अबला थी, पर अब नहीं है। अब उसे  निज शक्तियों को विकसित करने का सुअवसर प्राप्त है। आज नारी कहीं भी रहती हो, ग्राम में हो या शहर में, वह कर्तव्यनिष्ठ है, संघर्षशील है, संवेदनशील है, उसका अपना स्वतन्त्र अस्तित्व है। वे जीवन की अति व्यस्तता में भी निज कर्तव्य को विस्मरण नहीं करती हैं। अब नारी विमर्श अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है, उसकी अपनी एक पहचान है। अब नारी हर क्षेत्र में कर्मरत है, उसने समस्त सीमाओं को लांघकर अपने बलबूते स्वयं की एक विश्वस्तरीय पहचान बना ली है। अब नारी विमर्श अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी न होकर तुम शक्ति संग संसार-रथ की सारथी हो है। 


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8 मार्च 2018

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रचनाएँ
hindigadyasahitya
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हिन्दी साहित्य की चर्चा करेंगे!
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सफलता की चाबी

14 जून 2016
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सफलता हमारे द्वारा किए गए कामों पर निर्भर करती है। सफलता की चाबी उसे मिलती है जो एक लक्ष्य और काम को व्यवस्थित ढंग से करता  है।  सफलता  के लिए काम अवश्‍य करें और निरन्‍तर करें। एक समय में एक काम करें, दो या दो से अधिक काम एक साथ प्रारम्‍भ करने से एक भी काम पूरा नहीं होता है। काम सदैव अच्‍छा ही कीजिए

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युक्ति

15 जून 2016
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एक बार मैं मेरठ से कानपुर तक की यात्रा कर रही थी। मेरी सीट खिड़की के पास थी। बायीं ओर डिब्‍बे में सामने वाली सीट पर एक वृद्ध बैठे थे। हापुड़ से कुछ लड़के उसी डिब्‍बे में सवार हुए और वृद्ध के सामने वाली सीट पर बैठ गए। उनमें से एक लड़का बहुत शरारती था। शायद वह उस वृद्ध व्‍यक्ति को परेशान कर मजा लेना च

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आत्मचिन्तन

15 जून 2016
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प्राय: ऐसा होता है कि जब हम काम आरम्‍भ करते हैं तो बड़े उत्‍साह से करते हैं। किन्‍तु ज्‍यों-ज्‍यों उस कार्य में आगे बढ़ते हैं, त्‍यों-त्‍यों उत्‍साह में कमी आने लगती है, लगन शिथिल पढ़ने लगती है। ऐसा क्‍यों है, कभी आपने सोचा। ऐसा आत्‍मचिन्‍तन के अभाव में होता है। निज किए हुए कार्यों का चिन्‍तन करने व

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जिन खोजा तिन पाइयां

16 जून 2016
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एक ग्राम में सभी लोग श्रमदान करके एक मार्ग बना रहे थे जिससे लोगों को आने-जाने में असुविधा न हो। ग्राम के स्‍त्री-पुरुष, बच्‍चे और बूढ़े सभी कठिन परिश्रम कर रहे थे। जो निर्बल या कमजोर थे वे हल्‍का श्रम कर सहयोग कर रहे थे।एक तरफ एक आदमी उदास सा खड़ा सबको कार्य करता हुआ देख रहा था। ग्राम का प्रधान उसके

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निर्लिप्‍तता

17 जून 2016
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वुडरो विल्‍सन अमेरिका के सर्वोच्‍च पद की शोभा बढ़ाने के अलावा एक विद्वान और सुविचारक भी थे। वे लम्‍बी बीमारी के बाद भी जब स्‍वस्‍थ नहीं हुए तो एक दिन उनके अभिन्‍न मित्र ने उनसे कहा,'मित्र, अब तो शायद आपका समय निकट आ ही गया है।' मित्र की बात सुनकर वुडरो विल्‍सन मुस्‍कराकर बोले,'मेरे प्रिय मित्र, मैं

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समकालीन उपन्यास साहित्य में नारी विमर्श

17 जून 2016
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वैदिक काल में नारी की स्थिति अत्यन्त उच्च थी। उस काल में यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता की कहावत चरितार्थ होती थी। भारतीयों के सभी आदर्श रूप नारी में पाए जाते थे, जैसे सरस्वती(विद्या का आदर्श), लक्ष्मी(धन का आदर्श), दुर्गा(शक्ति का आदर्श), रति(सौन्दर्य का आदर्श) एवं गंगा(पवित्राता का आदर

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भूमंडलीकरण के दौर में हिन्दी

18 जून 2016
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     आज भूमंडलीकरण और मुक्त अर्थव्यवस्था का युग है। सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीकी क्रान्ति के माध्यम से वर्तमान पूंजीवाद विश्व-बाजार या भूमंडलीय बाजार की अवस्था में पहुंच गया है। तकनीकी क्रान्ति ने पूंजी-निर्माण की गति को तेज किया है। यह पूंजी सम्पूर्ण संसार को एक बड़े बाजार में परिवर्तित कर देती है।

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प्रेमचन्द के उपन्यासों में सामाजिक चेतना

19 जून 2016
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     मानव स्वयं सामाजिक प्राणी है। समाज हमारे-आपके जीवन की प्रतिध्वनि होता है। समाज शब्द अत्यन्त व्यापक और उसकी समस्याएं इससे कहीं अधिक व्यापक हैं। सारी चेतना जो व्यक्ति विशेष की न होकर एक ही काल में अनेक व्यक्तियों या समुदाय, समाज, राष्ट्र या सम्पूर्ण मानव जाति की सम्पत्ति ही सामाजिक चेतना है। किसी

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एकता

19 जून 2016
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जाति एक भ्रान्ति है-मानव को मानव से तोड़ने की, मानवता से मोड़ने की, भेदभाव से जोड़ने की। यह सार्वभौमिक सत्य है-हर धमनी में दौड़ता खून लाल है। समानता की सबसे बड़ी मिसाल है। सर्वधर्म, समभाव की भावना यह होगी सबकी कामना तब वो दिन दूर न होगा- जब एकता के वटवृक्ष उगेंगे शान्ति के दीपक जलेंगे और इस जाति नाम

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प्रेमचन्द के उपन्यासों में बाल मनोविज्ञान

20 जून 2016
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          प्रेमचन्द हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यासकार हैं। उन्होंने एक क्रमबद्ध एवं संगठित कथा देने का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया है। उन्होंने हिन्दी के पाठकों की अभिरुचि को तिलिस्मी उपन्यासों की गर्त से निकालकर शुद्ध साहित्यिक नींव पर स्थिर किया। उनकी कला, उनका आदर्शवाद, उनकी कल्पना और सौन्दर्यानुभूति

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योग

21 जून 2016
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योग व्यक्ति को तन और मन से जोड़ता है। तन से जुड़ने का का मतलब है शरीर की देखभाल इस देखभाल से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और मन सेे जुड़ने का मतलब है मन की एकाग्रता। इस प्रकार तन और मन पर व्यक्ति का नियंत्रण हो जाता है जिससे संयम, विवेक और साहस बढ़ता है और व्यक्ति स्वस्थ व प्रसन्नचित्त रहता है। वस्तुतः यो

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उन्नति

22 जून 2016
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उन्नति सभी चाहते हैं लेकिन उन्नति उनको मिलती है जो जीवन में इन पांच सूत्रों को अपनाते हैं-1. अपने क्षेत्र में सदैव ज्ञान के मामले में अद्यतन रहते हैं। 2. आगे बढ़कर काम पकड़ते हैं। 3. जोखिम उठाने से कभी पीछे नहीं हटते हैं।4. काम सदैव पूरा रखते हैं। 5. नए अवसर क़ी ताक में रहते हैं। जो इन पांच सूत्रों क

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बीमार ही नहीं पड़ेंगे!

23 जून 2016
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डाॅ. केनेथ वाकर ने अपनी आत्मकथा में कहा है-‘आप जितना खाते हैं उसके आधे भोजन से पेट भरता है और आधे भोजन से डाॅक्टरों का पेट भरता है। आप आधा भोजन ही करें तो आप बीमार ही नहीं पड़ेंगे और डाॅक्टरों की कोई खास आवश्यकता नहीं रह जाएगी।’ डाॅ. केनेथ की यह बात अनुभूत है और व्यवहारोपयोगी है। सच में भूख से कम खा

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प्रेम

25 जून 2016
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मौन   है  बोले समर्पण-भाषाप्रेमद्वार खोले।          प्रीत   की   रीत          त्याग है पहचाने          होती नहीं जीत। खुश रहे सदा मन ये मानतावैसा न दूजा।            सदा है बांधता            मोह का बंधन           प्रेम का चंदन आती हर आहट उनकी है चाहतदेती कहां राहत ।          संदेशा ये मिला          आ

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सड़क और कविताएं

26 जून 2016
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सत्य की सड़क मिथ्या की चाैखट पर पहुंचकरमात्र एक गैलरी रह जाती हैऔर शेष भूमि परकविताएं लिख दी जाती हैं,कविताएंजो कभी भी किसी भी सूरत मेंसड्कें नहीं बन सकतीं।प्रशस्ति पत्रों से लिपटी सहमी ग्रामीण दुल्हनों जैसी जीवन भर चक्की पीसती रहती है, रोटियां पकाती रहती है और उधर मिथ्या की काली गैलरी में जेबें काट

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मंजिल

27 जून 2016
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जिंदगी   है   इक  झरोखा झांकते रहिये।लक्ष्य  से  भी  अपनी  दूरी  नापते  रहिये। साथ-साथ  चलेंगे तो पा ही लेंगे  मंजिलें। बस एक दूजे के दु:खों को  बांटते रहिये।

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रात सिर्फ रात नहीं

28 जून 2016
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रात सिर्फ रात नहींएक मंजिल भी है।      सुबह की  लगन की      दोपहर के सफर की      शाम  की कथन की। ख्वाब सिर्फ ख्वाब नहीं एक   तस्कीन   भी   है      जख्म पर मरहम सी      अजनबी   चुभन-सी      बांहों   में   दुल्हन-सी। गीत सिर्फ गीत नहीं एक  सहारा  भी  है।      तन्हाई में साथी-सा             कश्ती में म

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न्याय का घंटा

29 जून 2016
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    महाभारत में विजयी होकर युधिष्ठिर ने राज्य सत्ता संभाली। सबको समान न्याय मिले, उनके राज्य में कोई दुःखी नह हो इसके लिए उन्होंने ‘न्याय घंटा’ लगवा दिया ताकि प्रत्येक व्यक्ति की फरियाद सुन सकें।    एक बार एक निर्धन व्यक्ति ने न्याय मांगने के लिए घंटा बजाया। युधिष्ठर राजकाज में व्यस्त थे, उन्होंने

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बात जो दिल को छू गई

1 जुलाई 2016
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बात उन दिनों की है जब मैं दसवी कक्षा की छात्रा थी। किसी के नाम के पूर्व डाॅ. की उपाधि देखकर मन असंख्य अभिलाषाओं से भर उठता। मैं  सोचती  काश, मेरे नाम से पूर्व भी यह उपाधि लगे। साहित्य लेखन में रुचि होने के कारण कविता, कहानी आदि की प्रतियोगिताओं में भाग लिया करती थी जिससे  मैं स्कूल की प्राचार्या से 

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कर्म प्रधान विश्व रचि राखा

2 जुलाई 2016
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जीवन राह देता है पर हम उसे पकड़ नही पाते हैं। अकर्मण्यता या आलस्य वश ऐसा होता है। भाग्य भी पुरुषार्थ से फलीभूत होता है। कर्म के योग से कुशलता प्राप्त होती है। कर्म की महत्ता सर्वोपरि है। बिना कर्म के कुछ नहीं मिलता है। ईश्वर आशीष से हमें जो यह अनमोल जीवन मिला है इसे सार्थक करने के लिए हमें कर्म को म

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सफलता का शाॅर्टकट

3 जुलाई 2016
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आप स्कूटर की टंकी फुल कराकर मेरठ से अलीगढ़ की यात्रा करने के लिए निकल पड़े हैं पर आपका पेट्रोल आधे रास्ते में ही समाप्त हो गया और आपकी यात्रा रुक गयी। स्पष्ट है कि जब तक आपके पास क्षमता  है तब तक ही आप सफलता की सीढ़ी चढ़ सकेंगे। सफलता उसी अनुपात में मिलती हैजिस अनुपात में आपके पास वांछित वस्तु पाने 

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अधिकार किसका

4 जुलाई 2016
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बस दलपतपुर आकर रुक गई। सवारियों का आवागमन चरम सीमा पर था। बस ठसाठस भरी थी। लेकिन फिर भी कंडक्टर का आवाज दे-देकर यात्रियों को बुलाना वातावरण में कोलाहल पैदा कर रहा था।  एक बूढ़ी औरत के बस के पायदान पर पैर रखते ही कंडक्टर ने सीटी दे दी। कंपकंपाते हाथों से बुढि़या की पोटली सड़क पर ही गिर पड़ी। ‘रुकके भ

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जीत

7 जुलाई 2016
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हार स्वीकार करने वाला ही जीवन में निराश होता है। जो हारने के उपरान्त भी हार नहीं मानते हैं और अपने हार के कारणों को खोजकर उनमें सुधार लाते हुए पुनः प्रयास करते हैं, वे अवश्य जीतते हैं! न हार मानने वाला ही पुनः प्रयास करता है। वस्तुतः यह सत्य है कि हार के बाद ही जीत है! 

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प्रशंसा में सृजन की क्षमता होती है!

10 जुलाई 2016
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प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रशंसा चाहता है। सही अर्थों में प्रशंसा एक प्रकार का प्रोत्साहन है! प्रशंसा में सृजन की क्षमा होती है। इसलिए प्रशंसा करने का जब भी अवसर मिले उसे व्यक्त करने से नहीं चूकना चाहिए। प्रशंसा करने से प्रशंसक की प्रतिष्ठा बढ़ती है। सभी में गुण व दोष होते हैं। ऐसा नहीं है कि बुरे से ब

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चहुंमुखी विकास

11 जुलाई 2016
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जीवन में एक विकल्प या एक सोच रखकर प्रयास करने पर जीवन का चहुंमुखी विकास नहीं होता है। जीवन का विकास अनेक विकल्पों या अनेक प्रकार की सोच को फलीभूत करने के लिए प्रयास करने पर चहुंमुखी विकास के संग ढेरों खुुशियां मिलती हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि जितने विकल्प होंगे उतने अधिक प्रयास और बहुत-सा परिश्रम भ

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उपयोगी

12 जुलाई 2016
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उपयोगी को ग्राह्य कर लेना चाहिए और अनुपयोगी को त्याज्य देना चाहिए। एक बार की बात है कि गांधी जी को किसी युवक द्वारा लिखा एक पत्र मिला जिसमें गांधी जी को बहुत गालियां दी गई थीं।  गांधी जी ने शान्त भाव से तीन पन्नों का पत्र पढ़ा था और उसमें लगी आॅलपिन को निकालकर रख लिया और पत्र फाड़कर रद्दी की टोकरी म

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व्यक्तित्व निर्माण का मूलाधार

16 जुलाई 2016
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व्यक्तित्व का निर्माण मूल रूप से विचारों पर निर्भर है। चिन्तन मन के साथ-साथ शरीर को भी प्रभावित करता है। चिन्तन की उत्कृष्टता को व्यवहार में लाने से ही भावात्मक व सामाजिक सामंजस्य बनता है। हमारे मन की बनावट ऐसी है कि वह चिन्तन के लिए आधार खोजता है। चिन्तन का जैसा माध्यम होगा वैसा ही उसका स्तर होगा।न

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मोक्ष मार्ग निर्गुणी को ही मिलता है!

18 जुलाई 2016
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       प्रकृति त्रिगुणमयी है इसलिए हमारा जीवन इनसे प्रभावित होता है। गुण तीन हैं-तमोगुण, रजोगुण व सतोगुण! तमोगुण अर्थात्  सुस्ती, आलस्य। ये कुछ भी मन से नहीं करते हैं, मजबूरी में करते हैं। ऐसे लोग अच्छा जीवन कदापि नहीं जीते हैं। ये कुछ करने से पहले सुविधा का सोचते हैं! ये अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर

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गुरु से तात्पर्य क्या है?

19 जुलाई 2016
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गुरु शब्द में दो व्यंजन (अक्षर) गु और रु के अर्थ इस प्रकार से हैं- गु शब्द का अर्थ है अज्ञान, जो कि अधिकांश मनुष्यों में होता है ।रु शब्द का अर्थ है, जो अज्ञान का नाश करता है ।अतः गुरु वह है जो मानव जाति के आध्यात्मिक अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाते हैं और उसे आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं । गुरु से

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निरंतरता

20 जुलाई 2016
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निरंतरता सीखनी चाहिए। जब तक आप कोई संकल्प लेकर उसमें निरंतरता नहीं रखेंगे उसका अच्छा प्रभाव भी नहीं मिलेगा और संकल्प भी अधूरा रह जाएगा। मान लो आपन संकल्प लिया कि कल से मैं प्रतिदिन आधा घंटा व्यायाम करूंगा। आपने अपने संकल्प के अनुसार प्रारम्भ भी कर दिया पर किसी न किसी कारणवश आप नागा करने लगे। ऐसा करन

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चरित्र से व्यक्तित्व का विकास होता है!

21 जुलाई 2016
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चरित्र व्यक्ति की  मौलिक विशेषता व उसके द्वारा ही निर्मित होता है। चरित्र से व्यक्ति के निजी दृष्टिकोण, निश्चय, संकल्प व साहस के साथ-साथ बाह्य प्रभाव भी समिश्रित रहता है। परिस्थितियां सदैव सामान्य स्तर के लोगों पर हावी होती हैं। मौलिक विशेषता वाले लोग नदी के प्रवाह के विपरीत मछली सदृश निज पूंछ के बल

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सफलता हमारे पास होगी!

24 जुलाई 2016
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अनेक लोग अपना कार्य बीच में ही छोड़कर बैठ जाते हैं जबकि उन्हें सफलता मिलने वाली होती है। मन में करो या मरो की भावना जाग्रत रखने की भावना इनमें होती तो वे सफलता के शीर्ष पर होते। जो सफलता मिलने के पूर्व ही कार्य छोड़ देते हैं वे कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। ऐसा उन्हीं के साथ होता है जिनके मन में स्वार्

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सौभाग्यशाली कौन बनता है?

26 जुलाई 2016
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अवसर का सदुपयोग ही भाग्य है।भाग्य का सदुपयोग सफलता है। जीवन को सफल वही बना पाता है जो प्राप्त अवसरों का उपयोग करने हेतु पूर्ण तत्परता सहित प्रस्तुत रहता है। प्रायः अवसर सभी के समक्ष आते हैं पर हम उन अवसरों को पकड़कर उपयोग में लाने के लिए सजग नहीं होते हैं। सच्चाई से कार्य करने वाले, पूर्ण समर्पण भाव

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रचनात्मकता

10 अगस्त 2016
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व्यक्ति की रचनात्मक प्रवृत्ति तब अधिक निखर कर आती है जब वह मुक्त होकर सोचता है। मुक्त सोच के अनुसार कुछ नया करने का प्रयास करने पर भी रचनात्मकता आती है। अपनी मुक्त सोच को अपनी रचनात्मक रुचि के अनुसार विकसित करें। ऐसा करने से आपके कार्य में नवीनता होगी और लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करने में भी 

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विजयादशमी

11 अक्टूबर 2016
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दीपावली

30 अक्टूबर 2016
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दीपपर्व सभी को मंगलमय हो!

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नववर्ष मंगलमय हो!

1 जनवरी 2017
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नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है

3 मई 2017
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मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है (MRt‍yu ke samay k‍yaa saath jaataa hai)इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है। मृत्‍यु के समय क्‍या साथ जाता है (MRt‍yu ke samay k‍yaa saath jaataa hai) - YouTu

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क्‍या दान पाप नाशक होता है

4 मई 2017
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क्‍या दान पाप नाशक होता है (K‍yaa daan paapanaashak hotaa hai)इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि क्‍या दान पाप नाशक होता है। क्‍या दान पाप नाशक होता है (K‍yaa daan paapanaashak hotaa hai) - YouTube

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विश्‍व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (योग की सार्थकता कब है)

21 जून 2017
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विश्‍व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (योग की सार्थकता कब है)आज 21 जून विश्‍व योग दिवस है। इस वीडियो में विश्‍व योग दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए एक सन्‍देश दिया गया है। इस सन्‍देश का अनुसरण करने पर ही योग की सार्थकता है। यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नह

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माईग्रेन से राहत कैसे पाएं

14 जुलाई 2017
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माईग्रेन से राहत कैसे पाएं इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि माईग्रेन से राहत कैसे पाएं। यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वीडियो की जानकारी पाएं।Share, Support, Subscribe!!!Sub

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भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां प्रत्‍येक नागरिक को ज्ञात होनी चाहिएं

19 जुलाई 2017
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26 जनवरी, 1950 को संविधान के अस्तित्व में आने के साथ ही देश ने लोकतांत्रिक गणराज्य का दर्जा प्राप्‍त किया। गणराज्य का जो प्रधान निर्वाचित होगा उसको राष्ट्रपति कहा जाता है। संविधान के अनुसार भारत का एक राष्ट्रपति होगा जोकि संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों

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एसीडिटी कैसे ठीक करें

27 जुलाई 2017
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एसीडिटी कैसे ठीक करेंआज मंगलवार है और प्रत्‍येक मंगल को सेहत संबंधी चर्चा करेंगे। आज इस वीडियो में यह बताने का प्रयास किया गया है कि एसीडिटी कैसे ठीक करें। यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वी

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स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

15 अगस्त 2017
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स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज मंगलवार है और प्रत्‍येक मंगल को सेहत संबंधी चर्चा करते हैं पर आज स्‍वतन्‍त्रता दिवस होने के कारण आज की वीडियो में आप सबको स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दे रहे हैं। आप सबको स्‍वतन्‍त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। यद

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उदर विकार नाशक चूर्ण

12 सितम्बर 2017
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उदर विकार नाशक चूर्ण आज की वीडियो में यह बताएंगे कि उदर विकार नाशक चूर्ण कैसे बनाएं।यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञान वर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वीडियो की जानकारी पाएं।Share, Support

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Vayu Mudraa(In Hindi) वायु मुद्रा - YouTube

17 सितम्बर 2017
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वायु मुद्राआज की वीडियो में योग के अन्‍तर्गत वायु मुद्रा की चर्चा करेंगे और यह बताएंगे कि वायु मुद्रा क्‍या है और कैसे बनती है तथा इसको करने से क्‍या लाभ होता है।यदि आपने अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद्, म

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किस प्रकार का भोजन लाभदायक होता है

19 सितम्बर 2017
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किस प्रकार का भोजन लाभदायक होता है आज की वीडियो में यह बताएंगे कि किस प्रकार का भोजन लाभदायक होता है।यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद् और मनोरंजक वीडियो की जानकारी पाएं।Share, Support, Subscribe!!!Subs

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