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धुंध

17 जून 2016

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स्नेहा ने अपनी डेस्क का काम निपटा कर घड़ी की तरह देखा 3 बजने वाले थे , उसे बहुत तेज़ भूख लग रही थी , किसी बात पर नाराज हो कर आज वो अपना लंच बॉक्स नही लायी थी ,उसे पति के हाथ कि बनायीं मैगी की याद आ रही थी ,अनजाने में ही उसने अपने पति का नंबर डायल कर दिया ,
" मुझे भूख लगी है "
" तो कुछ खा लो "
" नही मुझे मैगी खानी वो भी तुम्हरे हाथ की "
" लेकिन मै तो एक मीटिंग में जा रहा हू …? "
" मुझे कुछ नही पता , मुझे मैगी खानी है वो भी तुम्हरे हाथ की , और वो भी आधे घंटे के अंदर , देर हुयी तो मै भूख से मर जाउगी बाय "
स्नेहा को खुद नही पता था की आज कैसे उसके अंदर से 8 साल पुरानी नेहा जाग उठी थी ,स्नेहा को पता था की रविन्द्र नही आ पायेगे … , स्नेहा के दिल और दिमाग में बहुत सी पुरानी यादो ने एक साथ धावा बोल दिया था ,कैसे 6 सालो के प्यार , इंतिजार और घर वालो के विरोध के बाद वो शादी कर पाये थे , उसे याद आ रहा था की कैसे वो सुबह सुबह 5 किलोमीटर स्कूटी चला कर रविन्द्र को जगाने आती थी , उसे याद आ रहा था की पूरी पूरी रात बाते करने के बाद भी उनकी बाते नही खत्म होती थी , उसे याद आ रहा था की कैसे उसकी हर सही गलत बात को रविन्द्र ने माना था , उन दोनों का अंश उनके आँगन में था
स्नेहा जानती थी की समय के साथ साथ उनकी जिम्मेदारिया बढ़ गयी है , लेकिन वो समझ नही पा रही थी की क्या इन जिम्मेदारियों के बोझ तले उसका प्यार भी दब गया है ? क्यों कभी कभी साथ रहते रहते वो अजनबी बन जाते है ? क्यों उनके पास बात करने के लिए कोई बात नही होती है ? क्यों लगता है की जिंदगी रुक सी गयी है ? क्यों अब एक दूसरी की खूबियों की जगह वो एक दूसरे की बुराइया देखने लगे है ? स्नेहा खुद के सवालो में खुद को घिरा पा रही थी .
तभी उसे अपनी डेस्क के पास कोई हलचल सुनाइए दी , उसने सर उठा कर देखा समने रविन्द्र हाथ में मैगी का टिफिन लिए खड़े थे ?
अवाक् सी स्नेहा शायद बोलना भूल गयी थी , बड़ी मुश्किल से उसे मुँह से आवाज निकली 
" .... तुम सच में ?'
" हाँ देख लो तुम्हे कॉल किये हुए अभी 28 मिनट ही हुए है " रविन्द्र ने मुस्कुराते हुए बोला 
' .... लेकिन तू तो मीटिंग में ?'
" मीटिंग के पीछे मै अपनी एकलौती बीवी को भूखे तो नही मरने दे सकता न , मीटिंग छोड़ दी , रास्ते में दोस्त के घर पर रुक कर तुम्हरे लिए मैगी बनायीं , और सीधे तुम्हरे पास "
" तुम अपनी मीटिंग छोड़ कर , 12 किमोमीटर बाइक चला कर सिर्फ मुझे मैगी खिलाने आये हो "
जवाब में रविन्द्र सिर्फ मुस्करा दिया। 
किसी की परवाह न करते हुए स्नेहा सब के सामने रविन्द्र के गले लग गयी , उसे सारे सवालो का जवाब उसे मिल गया था , वो जान गयी थी की उनके रिश्ते में एक धुंध जम गयी थी , जिसके नीचे उनका वही पुरना चमकदार प्यार छुपा था .



समाप्त 



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