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राजनीति का देश पर प्रभाव

19 जून 2016

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किसी भी देश की राजनीति उस देश के विकास देशवासियों के हितार्थ होती है. भारत में पहले राजतंत्र था. तमाम राजा अपने प्रभुत्व अपनी शक्ति और पराक्रम से अपने राज्य काविस्तार करते थे.राजाओं की आपसी लड़ाई दुश्मनी के कारण ही भारत गुलाम हो गया.आठ सौ साल गुलामी झेलने के बाद बड़ी त्याग तपस्या और वलिदान के बाद भारत आजाद हुआ. आजादी के बाद भारत में लोक तंत्र हुआ. यानी जनता का प्रतिनिधि जनता की सेवा देश का विकास करेगा. संविधान बनाया गया. लेकिन राजनीति की रूपरेखा बदल गयी. सता पाने के लिये राजनीतिक देश में इतना जहर घोल रहे हैं कि देश पुन: पराधीन होने के कगार पर खड़ा है. जनप्रतिनिधि लड़ता तो जनता के लिये है. किंतु वह देश को लूटने में व्यस्त है. देश जातियों में धर्म और प्रांत में बिखरता जा रहा है. ग्राम प्रधान राष्ट्रपति तक सभी देश के प्रति संंवेदनशील नहीं हैं. गुंडा माफिया आतंकवादी लुटेरा भ्रष्टाचारी सभी राजनीति के स्तम्भ बनकर देश को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं. जनता भी आँख मूँद कर उन्हीं की अनुयायी बनी है. जब तक इस पर विचार नहीं होगा. तब तक देश का भला होना कठिन है.

उदय नारायण सिंह''निर्झर आजमगढ़ी'' की अन्य किताबें

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आज शब्द नगरी जुड़ कर अत्यंत प्रसंता हो रही है. इस संस्था के माध्यम से साहित्य की हर विधा को विकसित करने का प्रयास करता रहूँगा. मैं आजमगढ़ के पवई विकास खंड में जमुहट ग्राम का निवासी हूँ. साहित्य और समाज को समर्पित है मेरा जीवन. मै चाहता हूँ कि हिंदी सर्वोपरि भाषा हो. पूरे भारत में इसका समग्र विकास हो.

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