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ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर जाने का फैसला

24 जून 2016

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सुन रहे हैं की ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से बाहर जाने का फैसला सुनाया है ! लेकिन ये पूरी तरह से अंदर कब था ? 1973 में 28 देशों के संगठन यूरोपियन संघ का हिस्सा तो बना मगर हमेशा शेष यूरोप से आशंकित ही रहा है ! कैसे ? अब आप खुद ही देख लो, शेनजेन वीसा से आप बाकी यूरोपीय देशों में आ जा सकते हो मगर ब्रिटेन में नहीं ! वो इसके लिए कभी तैयार ही नहीं हुआ ! दूसरा, बाकी यूरोपीय देशों ने 'यूरो' को अपना लिया, लेकिन ब्रिटेन ने अपनी मुद्रा पाउंड स्टर्लिंग नहीं छोड़ी ! संक्षिप्त में कहे तो आधा अंदर आधा बाहर रहा ! ये कन्फ्यूज़न इस जनमत में भी है, 52 % मत 'लीव' बाहर जाने वालों ने हासिल किए जबकि 'रिमेन'अंदर रहने वालों को 48 % वोट मिले ! इसे बराबरी की टक्कर कहते हैं !अब सोचो दोनों खेमे को साथ साथ एक ही देश में रहना है तो रोज रोज कितना भारी बवाल होगा ! ये 48% लोग, जिनको शेष यूरोप से मोहब्ब्त है कुढ़ते रहेंगे !असल में दोनों की सोच, विचारधारा , हित टकराएंगे और संकट बना रहेगा !सच कहे तो इस जनमत से ब्रिटेन सिर्फ दो राय में ही नहीं बंटा बल्कि दो भाग में बट चुका है ! राजनीतिक दलों से लेकर सामाजिक धार्मिक संगठन तक दो खेमो में बटें हैं। ब्रिटेन की प्रमुख पार्टियों में भी दरारें पड़ गई हैं.!अगर इन दोनों खेमें की दृष्टि और दृष्टिकोण को देखे तो समझ आएगा की ब्रिटेन एक किस्म के अन्तर्युद्ध से लड़ रहा है जिसके परिणाम दूरगामी होने जा रहे हैं ! 

यूरोपियन संघ से निकलना चाहने वालों के मतानुसार-- 

ब्रिटेन की सुस्त अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी सबसे बड़ी समस्या है। ब्रिटेन के इस ग्रुप के नागरिकों को लगता है कि यूरोपियन संघ के देशों के नागरिक उनकी नौकरियां खा रहे हैं, यहाँ तक की ब्रिटेन में रहने वाले बाहर से आए नागरिकों को भी यही लगता है। दूसरा प्रमुख कारण है शरणार्थी समस्या ! ये ग्रुप अपनी कीमत पर अपने घर में किसी बाहरी को शरण देने के खिलाफ है ! उनके मतानुसार अगर यूरोपियन संघ अपने घर में अनचाहें लोगों को शरण देने का शौक रखता है तो रखे, मगर वो इन चक्कर में फसने को तैयार नहीं !

यूरोपियन संघ में बने रहने वालों के मतानुसार-- 

इस खेमे की प्रमुख दलील थी कि यूरोपियन संघ में बने रहना ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए ज़्यादा अच्छा रहेगा और इस फायदे के सामने प्रवासियों का मुद्दा बेहद छोटा है! अधिकतर अर्थशास्त्री इस दलील से सहमत हैं.! बात भी ठीक है ,यूरोप ही ब्रिटेन का सबसे अहम बाज़ार है और विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत भी !इन्हीं बातों ने लंदन को दुनिया का एक बड़ा वित्तीय केंद्र भी बनाया !ब्रिटेन का यूरोपियन संघ से बाहर निकलना उसके इस स्टेटस को खतरे में डाल सकता है !फिर भी लोगों ने बाहर जाना चाहा,आखिर क्यों ?

नौकरी देने वाले कारपोरेट की दुनिया चाहती है की वो संघ में रहे मगर वही दूसरी तरफ नौकरी ना मिलने के कारण दूसरा वर्ग अलग होना चाहता है ! क्या गजब खेल है ! प्रधानमंत्री कैमरन ने यूरोपीय संघ में बने रहने की अपील भी की थी कहा था की यदि हम बाहर निकलते हैं तो हमारी अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, जबकि यदि बने रहते हैं तो यह मजबूत होगी ! मगर बहुमत को ये बात जमी नहीं ! वो तो कुछ और सोच रहा है ! अमरीका, भारत सहित अनेक राष्ट्रों ने ब्रिटेन को यूरोपियन संघ में रहने की सलाह दी थी ! लेकिन वो विदेशियों की सलाह मानने को तैयार नहीं ! और तो और अभी कुछ दिन पहले विपक्षी लेबर पार्टी की 41-वर्षीय महिला सांसद जो कॉक्स की उत्तरी इंग्लैंड स्थित उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कॉक्स ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने की समर्थक थी । इसका भी कोई भावनात्मक असर नहीं पड़ा ! उल्टा उस हत्यारे ने जो ब्रिटेन फर्स्ट कहा था उसकी भावना की जीत हुई ! इसका मतलब ही है की जनता में आक्रोश है ! आखिरकार क्यों? धुर दक्षिणपंथी यूके इंडीपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) के नेता नीगेल फेरेज ने बहुत पहले ही जीत की घोषणा करते हुए कहा था, 'यह सपना देखने की हिम्मत दिखाइए कि स्वतंत्र ब्रिटेन में सूर्योदय हो रहा है! ' अरे भाई जिस देश में कभी सूर्य अस्त नहीं होता था वहां अब सूर्योदय की बात हो रही है ! वो अब कह रहे हैं की 23 जून हमारा स्वतंत्रता दिवस होगा.! मतलब आप अब तक गुलाम थे ! किसके ? असल में नाता तोड़ लेने के पक्षधर लोगों की दलील है कि ब्रिटेन की पहचान, आज़ादी और संस्कृति को बनाए और बचाए रखने के लिए ऐसा करना ज़रूरी हो गया है ! ये लोग भारी संख्या में आने वाले प्रवासियों पर सवाल उठा रहे हैं.! उनका यह भी कहना है कि यूरोपियन संघ ब्रिटेन के करदाताओं के अरबों पाउंड सोख लेता है, और ब्रिटेन पर अपने अलोकतांत्रिक' कानून थोपता है.! मतलब सीधे सीधे ये जीत "ब्रिटेन फर्स्ट"की जीत है ! अर्थात एक और "राष्ट्र वाद"!

ब्रिटेन बेचैनी से गुज़र रहा है। मंदी चल रही है। ये बेरोज़गारी लाती है ,जीवन की गति को धीमा करती है। यूरोपियन संघ के देशों की तुलना में ब्रिटेन में ग़रीबी ज्यादा है। ब्रिटेन में असमानता बढ़ रही है। असंतोष बढ़ रहा है। सरकारें जनता के पैसे से हथियार खरीदने बेचने के धंधे में लगी हैं और उसका नागरिक कर्ज के बोझ में जी रहा है।दूसरी तरफ आंतकवाद बढ़ रहा है ! इसके कारण शरणार्थी बढ़ रहे हैं ! इस पूरे कुचक्र को लोग देख भी रहे हैं और समझ भी रहे हैं !ऐसे ग्लोबल दौर में ये राष्ट्रवाद की जीत है ! कारपोरेट की हार है ! यूरोपियन संघ क्या है एक किस्म का कारपोरेट ही तो है धंधे के लिए ! यह धंधे में चाहे जितना कारगर हो मगर यह अपने ही सदस्य देशों की जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है। सदस्य देश अपने निर्वाचित सदस्यों में से कुछ को यूरोपियन संघ में भेजते हैं। जिसका का एक प्रेसिडेंट होता है और मंत्रिमंडल भी। एक किस्म की ग्लोबल कारपोरेट सरकार , मगर इसके नियम जो कारपोरेट हित के होते हैं वो सभी सदस्य देशों पर लागू होते हैं।

ये जनमत बताता है की इस धारणा को नए सिरे से सोचने की आवशक्ता है !आखिरकार कौन चलाएगा ब्रिटेन को ? एक चुनी हुई सरकार या यूरोपियन संघ में बैठे वे लोग जिन्हें आप नहीं चुनते ! अभी ये खेल यही नही खत्म हुआ है ! अभी तो और उठापठक होगी !और भी लोग बाहर होना चाहेंगे ! यूरोपियन संघ में असंतोष उभरेगा ! इसमें कोई शक नहीं की अलग होने से ब्रिटेन कमजोर होगा , मगर वहां की जनता अपनी पहचान के लिए अब कुछ सुनने को तैयार नहीं ! यह कारपोरेट की दुनिया को नए ढंग से सोचने के लिए मजबूर करेगा ! यह सामजवाद या वामपंथ की वापसी नहीं बल्कि राष्ट्रवाद का पुनरागमन है ! उधर ट्रम्प के जीतने के आसार बढ़ेंगे ! अंत में, हम भी मात्र दर्शक बन कर नहीं बैठेंगे , आखिरकार हम भी तो अपने अस्तितव और पहचान को लेकर उद्वेलित हैं हमारे यहां भी तो राष्ट्रवाद जीत रहा है ! और आगे भी जीतेगा ! प्रमुख बात है की जिसने हमारे ऊपर 300 साल राज किया उसके बुरे दिन आने वाले हैं, फिर चाहे वो अब यूरोपियन संघ के अंदर रहे या बाहर !

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कुछ एक दोस्त लोग नाराज हैं की कैराना के लिए लिखी अपनी  पिछली  पोस्ट में अपनों को ही क्यों कठघरे में खड़ा कर दिया !  सच ही तो लिखा है,और सच कभी किसी को पसंद आया है क्या ? नहीं ! आइना दिखाया , जिसमे  बदसूरती दिखी और तुम नाराज हो गए ,अब हम कोई आशिक शायर तो हैं नहीं की चाँद और चांदनी की बात करते रहें ! म

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कमरों में एसी के सामने उसकी ठंडी हवा का मजा तो रोज लेते हो , कभी कमरे से बाहर जाकर एसी के पीछे दो मिनट भी खड़े होकर देखा है की वो हवा कितनी गर्म फेकता है ! कभी गलती से एसी के पिछवाड़े के सामने पड़ गए तो तुरंत वहाँ से हठ कर फिर से कमरे में घुस जाते हो ! और फिर चीखते -चिल्लाते हो ,'कितनी गर्मी है , ओह मा

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कई बार मन में सवाल उठता है की आखिरकार एक ही देश और काल में पैदा हुए पले -बढे, वही हवा-पानी-भोजन और फिर दोनों के खून का रंग भी वही लाल, फिर एक आतंकी और एक संत कैसे बन जाता है ? और इन आतंकियों की संख्या अचानक क्यों बढ़ती जा रही है ? जवाब में हम एक धर्म विशेष और उसकी शिक्षा को दोष देकर अपना पिंड छुड़ा ले

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उड़ता पंजाब को देखने के लिए उड़ कर जाने की तो कोई बात ही नहीं लग रही,उलटा पैदल ना जाने के भी कई कारण हैं !ना जाने क्यों फिल्म के ट्रेलर में शाहिद कपूर को देखकर अचानक कश्मीर पर बनी हैदर याद आ गयी जिसमे उसका चरित्र झूठ और एक पक्षीय के साथ साथ वास्तविकता से परे दिखाया गया और अंत तक यही समझ नहीं आता की वो

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" सर,ये गोपाल जी ने ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री से इस्तीफा क्यों दिया ?"स्वास्थ्य कारणों से !"मगर सर दूसरे विभाग के मंत्री तो वो अब भी बने हुए हैं , वहाँ काम के लिए स्वास्थ्य की जरूरत नहीं है क्या ?"इस तरह से सवाल तो नहीं पूछना था , कौन से चैनल या पेपर के हो ?"क्या मतलब सर ?" क्यों ऐड नहीं मिला क्या ? "

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यही है अच्छे दिन !

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एक सुखद और सकारात्मक खबर जो अक्सर नहीं बन पाती है हैडलाइन !बात बात पर ५६ इंच नापने वाले ,टमाटर-दाल तौलने वाले और 15 लाख गिनने का इंतज़ार करने वालों के लिए यह खबर शायद महत्व्पूर्ण नहीं ! मगर इसका महत्व उनसे पूछो जो अपने घर से दशकों तक विस्थापित रहे ! कैराना आदि के लिए संघर्ष करने वालों के लिए इसमें सन

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चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर(CPEC)

17 जून 2016
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ये गूगल के मात्र दो चित्र नहीं , इसमें भविष्य छिपा है ! चीन को अरब सागर होते हुए हिंद महासागर पहुंचना है ! विश्व शक्ति बनने के लिए उसे इसका स्थायी इंतजाम करना है ! और वो कैसे पहुंच रहा है यह पहले मैप में है ! चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर(CPEC) के द्वारा ! कॉरिडोर बोले तो गलियारा-गैलरी, सरल शब्दों म

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बैस्ट सेलर

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 बहस चल रही है की हिन्दी में बेस्ट सेलर क्यों नहीं! प्रासंगिक विषय है और विचारणीय भी !जो इस राह से गुजर रहे हैं वो इसको बेहतर समझ सकते हैं और समझा भी ! अनुभव से प्रमाणिकता आती है ! इसमें कोई शक नहीं की वामपंथी गैंग ने प्रकाशक के साथ मिल कर सिर्फ उसी हिन्दी लेखक को आगे प्रमोट किया जो उन्हें पसंद हों

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रघुराम राजन

19 जून 2016
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दरबारीयों, गुलामों,आपियों,पापीयों, तुम सारे लोग पप्पू के साथ मिलकर मीडिया में इतना विधवा विलाप क्यों कर रहे हो ?"रघुराम राजन जी जा रहे हैं " अच्छा अच्छा , तो वो भी आप लोगों की तरह ही आप सबके अपने हैं !" नहीं ,वो एक महान अर्थशास्त्री हैं "अरे तो वो अपने घर जा रहे हैं, जाने दो , तुम लोगों को तो खुश हो

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22 जून 2016
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योग को धर्म से ना जोडें - मोदी आज अखबार में कुछ इसी तरह की हेडलाइन है !अधिकांश सेक्युलर बाबा भी यही ज्ञान बांट रहे हैं !आप लोग ये सब कह के क्या करना चाह रहे हैं ? किसे समझाना चाह रहे हैं ? जिसे समझना नहीं है ! जिसे समझने की मनाही है ! जहां नासमझना ही धर्म बना दिया गया है ! जिससे नासमझों का झुंड बना

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भारत का नाम अंतरिक्ष में पहुंचाने वाले छात्र

26 जून 2016
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भारत का नाम अंतरिक्ष में पहुंचाने वाले छात्रों को कितने लोग जानते हैं जबकि "भारत तेरे टुकड़े होंगे" , नारा लगाने वाले छात्र घर घर तक पहुंचा दिए गए थे ! रोज शाम को प्राइम टाईम में दिखा दिखा कर जहां कुछ अराजक छात्रों को जाने अनजाने हीरो बना दिया गया था वहीं सकारात्मक और रचनात्मक काम करने वालों को एक मि

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तीसरी पारी

29 जून 2016
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पिछली बार, कब आपने रसोई में चुपचाप जाकर,अपनी जीवन-संगिनीं का अचानक धीरे से चुंबन लिया है ? कब आपने शेविंग -टूथब्रश करते अपने जीवन साथी को, पीछे से बिना झिझक अनायास मगर कसकर आलिंगन किया है? प्रेमभरी कोई भी शरारत क्या आप अब भी करते हैं ? शादी के बाद कुछ दिनों तक तो शायद ऐसा कुछ हुआ हो मगर फिर धीरे धीर

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कैराना नाम नहीं बल्कि प्रतीक है

30 जून 2016
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इस्तांबुल के एयरपोर्ट में बम धमाका , यह तुर्की में कैराना के एडवांस मॉडल के आगमन की सूचना है ! कैराना के कई मॉडल हैं , पाकिस्तान से लेकर सीरिया तो बांग्लादेश से लेकर इंडोनेशिया ! कैराना नाम नहीं बल्कि प्रतीक है, जो हर शहर हर देश में अलग अलग रूप अलग अलग अवस्था में है ! ये समाजीक व्यवस्था का वो मॉडल ह

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नारी

5 जुलाई 2016
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नारी , तुम किसकी बराबरी करना चाह रही हो ? नर की , जिसे तुम जन्म देती हो !कुछ बड़ा और अलग करो , देवी ।

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नंगे का इलाज

7 जुलाई 2016
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"नंगे से भगवान भी डरता है " कह का आंख बंद कर लेने से क्या नंगा कपड़े पहन लेगा ?नहीं ! बल्कि वो आपके कपड़े भी उतार सकता है !तो नंगे की नंगई का कोई इलाज तो होगा ? है, बिल्कुल है !"लातों के भूत बातों से नहीं मानते " बस ध्यान रहे लात सही जगह पड़नी चाहिए !

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कश्मीर समस्या

10 जुलाई 2016
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"अफसोस कि बुरहान वानी पहला शख्स नहीं है जिसने बंदूक उठाई और आखिरी भी नहीं होगा. मैंने हमेशा से कहा है कि राजनैतिक समस्या का राजनैतिक हल ही निकलना चाहिए."उमर अब्दुल्लासही कह रहे हैं आप , उमर अब्दुल्ला जी , अगर पहले (शेख) अब्दुल्ला का सही इलाज सही समय पर हो जाता तो ना बुरहान वानी होता ना उमर अब्दुल्ला

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मानवाधिकार महिलाओं के नाम एक खुला खत

11 जुलाई 2016
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सेक्युलर भद्र महिलायें , मानवाधिकार का झंडा बुलंद करने वाली वीरांगनाएं , फ्री सेक्स समर्थक और मेरा शरीर-मेरा जीवन की तमाम ब्रांड एम्बेसडर ,सादर प्रणाम ,आपकी तमाम स्वतंत्र विचारधारा और जीवन शैली से कभी कोई आपत्ति नहीं रही और किसी को होनी भी नहीं चाहिए ! आप किसी आतंकवादी के समर्थन में आसूं भी बहा सकती

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तेरा नहीं मेरा नहीं ... वो कश्मीर हमारा है

13 जुलाई 2016
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हर समस्या का समाधान होता है , कहना आसान है मगर असल में कर पाना हर बार उतना भी सरल नहीं होता ! खासकर तब जब वो भीड़ का उन्माद हो या फिर कट्टर धार्मिकता से पैदा किया गया जूनून ! समाधान असम्भव तब हो जाता है जब समस्या जबरन पैदा की गयी हो ! कहा भी जाता है की पागलपन का कोई इलाज नहीं !लेकिन इस चक्कर में किसी

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क्या आतंक का कोई धर्म नहीं ?

15 जुलाई 2016
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तुम्हारे पास हर आतंकी हमले के लिए कुतर्क है ,मगर फ़्रांस में नीस की जीवंत सड़क पर इस मासूम का क्या अपराध था ?तुम याद रखना , कुछ सवाल सिर्फ जवाब देने के लिए नहीं होते !

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तिब्बत और कश्मीर

17 जुलाई 2016
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तिब्बत और कश्मीर दोनों आसपास हैं और दोनों , पिछली शताब्दी में ,एक ही तरह की समस्या से गुजरे हैं ! पहले तिब्बत बाद में कश्मीर ! तिब्बत में बुद्धिज़्म सैकड़ो वर्षों से है ! जिसका मूल मन्त्र है ध्यान और अहिंसा ! शांतप्रिय लोग हैं, मगर वहाँ क्या हुआ ? इतिहास गवाह है ! चीन की विस्तारवादी कट्टरता के आगे, कै

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कही तुर्की एक और कट्टर धार्मिक राष्ट्र बनने की राह पर तो नहीं जा रहा ?

19 जुलाई 2016
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तुर्की ने अपने लोकतंत्र को बचाया या वो धार्मिक कट्टरता की ओर बढ़ रहा है ?तुर्की में जो कुछ हुआ उस पर सीधे सीधे कोई राय कायम कर लेना थोड़ी जल्दबाजी होगी ! क्या वास्तव में तुर्की की जनता अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए सेना से भिड़ गई ? इस पर भ्रम पैदा हो रहा है तो उसके कारण हैं ! सवाल कई हैं जैसे की किस

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आरएसएस

22 जुलाई 2016
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आरएसएस की तुलना आईएसआईएस से करने वाले इतिहासकार अब कह रहे हैं की, पब्लिक परसेप्शन पर गांधी का हत्यारा आरएसएस को कहा जाता रहा है।तो इनसे पूछा जाना चाहिए की तुम लोगों के लिखने से परसेप्शन बनता है या तुम लोग सिर्फ परसेप्शन के हिसाब से लिखते हो ?ओफ़्फ़,इन्ही लोगों ने इतिहास को भी परसेप्शन बना डाला !

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आरएसएस का भारत मॉडल

31 जुलाई 2016
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सुबह सुबह एक अखबार में रामचंद्र गुहा का लेख पढ़ रहा था 'आरएसएस का भारत मॉडल' ! दो बार पढ़ा मगर समझ नहीं आया की वो क्या कहना चाहते हैं ! यूँ तो हर अखबार के तकरीबन सभी लेखों का यही हाल रहता है इसलिए आजकल अखबार की कतरन काट कर रखने की जगह वो रद्दी में फेंकने के काम अधिक आता है ! लेकिन उनके नाम के नीचे लिख

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सब्र

4 अगस्त 2016
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अति भ्रष्ट एक अधिकारी मित्र ने आवश्यकता से अधिक पैसे देकर अपने एकलौते पुत्र को  बिगाड़ लिया था!  कम उम्र में ही चमचमाती कार  दे दी ! लाड़ले ने भी जम कर  ऐश मारना शुरू कर दिया था ! एक दिन कॉलेज से भाग कर शराब के नशे में धुत अपनी प्रेमिका के साथ हिमाचल में मस्ती कर रहे थे ! शराब और शबाब अनियन्त्रित हो ज

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धर्म परिवर्तन का एजेंडा

6 अगस्त 2016
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एक अखबार में राजदीप सरदेसाई का लेख "भाजपा की हिंदुत्ववादी रणनीति पर संकट " सरसरी निगाह से पढ़ रहा था ! कोई पूछ सकता है की सरसरी निगाह से क्यों ? तो वो इसलिए की मुझे पता है की इसमें क्या होगा , हिंदुओं की बात हो रही है तो आरएसएस होगा फिर गुजरात का संदर्भ है तो मोदी होंगे और उनका नाम आते ही बात २००२ से

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कश्मीर

21 अगस्त 2016
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उमर अब्दुल्ला साहब आप कश्मीर की समस्या को लेकर राष्ट्रपति से मिल रहे हैं ! अच्छी बात है, मिलना चाहिए ,शांति के लिए हर किसी को कोशिश करनी चाहिए ! मगर आम जनता को भी तो बतलाइये की आप क्या चाहते हैं ! और आप जो चाहते हैं वो आप के दादा , फिर पिता और आप ने स्वयं सत्ता में रहते क

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पुनर्जन्म

22 अगस्त 2016
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ऊर्जा ना तो खत्म होती है ना ही पैदा की जा सकती है, बस उसका रूप-स्वरुप बदल सकता है ! यह मैं नहीं विज्ञान कहता है ! वैज्ञानिक कई उदाहरण के द्वारा इसे प्रमाणित भी करते हैं! मान लेते हैं ! मगर विज्ञान ने तो पिछले कुछ १०० -२०० साल से यह बोलना शरू किया है , हम तो सदियों से कहते आये हैं ! वो कैसे ? यह सव

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जनमाष्ठमी

25 अगस्त 2016
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कान्हा , आज की रात, तुम मत आना ! क्योंकि अब यहाँ कोई वसुदेव नहीं , हर बाप धृतराष्ट्र है ! हर बेटा पापी दुर्योधन , हर मामा शकुनि , तो हर भाई दुःशासन है ! ना कोई देवकी ना कोई यशोदा, अब तो हर घर पूतना है ! यहाँ कोई द्रोपदी नहीं, जो अपने चीरहरण में, तुम्हे पुकारे !

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धर्म

10 सितम्बर 2016
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धर्म से बड़ा कोई 'कु' शासक नहीं ! धर्म से बड़ा कोई लोभी व्यापारी नहीं ! धर्म से बड़ा कोई अत्याचारी नहीं ! धर्म से बड़ा कोई षड्यंत्रकारी नहीं ! धर्म से बड़ा कोई अधर्मी नहीं ! आदि आदि ... फिर भी धर्म पूजनीय है फलफूल और फ़ैल रहा है ! क्योंकि धर्म से बढ़ा कोई डर नहीं, नशा नहीं ,

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विश्व युद्ध नीति

18 सितम्बर 2016
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विश्व युद्ध नीति आज जब दुनिया एक ग्लोबल विलेज बन चुकी है तो अपने अपने देश की सीमाओं के आगे जा कर हमें यह भी देखना चाहिए की आखिरकार विश्व को कौन चला रहा है और कैसे ! इसके लिए एक संस्था है संयुक्त राष्ट्र ( United Nations) ! इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के उद्देश्य में उल्

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पिंक

23 सितम्बर 2016
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फिल्म " पिंक" देखी ! शानदार ! यह जरूरी नहीं कि हर फिल्म मनोरंजन के लिए बनाई जाए। कुछ ऐसी भी होती हैं जो अपनी बेहतरीन स्क्रिप्ट और जोरदार अभिनय के कारण आपको सोचने के लिए मजबूर कर देती है ! यहां स्क्रिप्ट राइटर अपनी बात रखने और डायरेक्टर उसे प्रस्तुत करने में पूरी तरह सफल र

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गांव का विकास

21 अप्रैल 2017
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पुरातन काल में सफल राजा गावों में कुँए और तालाब खुदवाया करते थे !समय बदल गया मगर विकास का यह पैमाना आज भी नहीं बदला !अगर गावों को सच में समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना है तो हर गांव (

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बाहुबली २

29 अप्रैल 2017
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सेक्युलर गिरोह की कुटिलता

10 सितम्बर 2017
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रामचंद्र गुहा जैसे कब पैदा होते हैं ? जब मोटी चमड़ी वाले अनेक निर्लज्ज -बेशर्म और कुटिल-कपटी लोग मरते हैं ! मुझे यकीन है इसमें से एक भी शब्द गाली नहीं है, बल्कि सभी घोर साहित्यिक है ! वैसे इन जैसों को गाली देना गाली का अपमान है !और इन पर कुछ भी लिखना समय की बर्बादी है क्य

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वो हर शहर में रोहिंग्या के लिए सड़क पर उतर रहे हैं !

15 सितम्बर 2017
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वो हर शहर में रोहिंग्या के लिए सड़क पर उतर रहे हैं , तुम कितनी बार किसी अपने के लिए आज तक घर से निकले हो ?पकिस्तान बांग्लादेश में मारे जा रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं की तो बात ही बाद में आएगी , तुम तो अपने ही घर से निकाले गए ना तो कश्मीरी पंडित के लिए सड़क पर उतरे ,ना तो केरल से लेकर पश्चिम-बंगाल में हो र

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