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सफ़ेद शेर

29 जून 2016

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हो लुप्त प्राय से तुम प्राणी,
अब तुम कुछ ही शेष हो ।
आभा है जन-जन को प्रिय,
तुम रंग-रूप से विशेष हो,
दुनियाभर के चिड़ियाघर में,
तुम बड़े जीव विशेष हो,
बन राजा के कृपापात्र,
मोहन के वंश प्रवेश हो ।

हो लुप्त प्राय से तुम प्राणी,
अब तुम कुछ ही शेष हो ।
अब कुछ संख्या में पले-बढे,
दुनिया के क्षितिज पर उभरे,
वापस तुमको बसाना है,
फिर “रॉयल” शान लौटाना है,
गुलामी से आजादी देकर,
जन्तुशाला से तुम्हे निकाला है,
जहाँ पूर्वज थे तुम्हारे कभी,
वापस उस वन में डाला है ।

हो लुप्त प्राय से तुम प्राणी,
अब तुम कुछ ही शेष हो ।
तुम आजादी में जीना सीख,
वापस उस घर में बस जाना ।
अपने रुतबे संग देश का भी,
दुनिया में नाम बढ़ा जाना ।

हो लुप्त प्राय से तुम प्राणी,
अब तुम कुछ ही शेष हो ।

विजय कुमार सिंह
vijaykumarsinghblog.wordpress.com

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हो लुप्त प्राय से तुम प्राणी,अब तुम कुछ ही शेष हो ।आभा है जन-जन को प्रिय,तुम रंग-रूप से विशेष हो,दुनियाभर के चिड़ियाघर में,तुम बड़े जीव विशेष हो,बन राजा के कृपापात्र,मोहन के वंश प्रवेश हो ।हो लुप्त प्राय से तुम प्राणी,अब तुम कुछ ही शेष हो ।अब कुछ संख्या में पले-बढे,दुनिया के क्षितिज पर उभरे,वापस तुमको

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