पूर्व में सात भाग में सूर्योपनिषद् की चर्चा की गई है।
इस चर्चा में सूर्योपनिषद् के अमृत का रसास्वादन कराया गया था।
यदि आप सूर्योपनिषद् को पुस्तक रूप में अपने मेल पर मुफ्त में पाना चाहते हैं तो मित्रता का अनुरोध करते हुए उपनिषदों का अमृत वेबपेज का अनुसरण करें और मुझे मेरे अधोलिखित मेल पर उक्त पुस्तक पाने का अनुरोध करेंगें तो
आपको यह उपनिषद आपके मेल पर भेज दिया जाएगा।
मेल आई डी इस प्रकार है-
jyotishniketan@gmail.com