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अपनी दुनिया से दूर (दूसरा अंतिम भाग)

12 जुलाई 2016

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‘‘लेकिन तुम मुझे सम्राट से क्यों मिलाना चाहती हो?’’ शीले ने एक मशीन पर झुकते हुए पूछा। इस समय वह अपनी लैब में मौजूद था और ज़ारा भी उसके साथ थी। 

‘‘दरअसल हमने सम्राट को गलत समझा। जब मैंने सम्राट से तुम्हारे बारे में बताया और कहा कि मैं तुमसे प्यार करती हूं तो वह बहुत खुश हुए और कहा कि मैं किसी को ज़बरदस्ती अपनी रानी नहीं बनाता, तुम शौक से शीले से शादी कर सकती हो। फिर जब उन्हें मालूम हुआ कि तुम बहुत बड़े वैज्ञानिक हो तो उन्होंने तुमसे मिलने की इच्छा ज़ाहिर की। अब तुम देर मत करो। हम लोग फौरन चलते हैं सम्राट से मिलने को। हो सकता है वह तुम्हें अपने मन्त्रीमंडल में प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में शामिल कर लें। अगर ऐसा हुआ तो हमारी जिंदगी आराम से कट जायेगी।’’ ज़ारा पूरे जोश के साथ कह रही थी।

शीले ज़ारा की ओर घूमा और उसे अपनी बाहों में लेते हुए बोला, ‘‘आज नहीं ज़ारा। हम सम्राट से मिलने कल चलेंगे। आज मुझे अपने प्रोजेक्ट के सिलसिले में बहुत ज़रूरी काम करना है।’’

‘‘ठीक है। हम कल ही चलेंगे।’’ ज़ारा ने हामी भर दी।

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सम्राट के महल के एक आलीशान व सजे हुए कमरे में ज़ारा और शीले सम्राट का इंतिज़ार कर रहे थे। जल्दी ही ये इंतिज़ार खत्म हो गया और वहाँ सम्राट ने प्रवेश किया। दोनों उसके सम्मान में खड़े हो गये। 

‘‘तो तुम हो शीले।’’ सम्राट शीले की ओर मुखातिब हुआ। 

‘‘जी हाँ, यही हैं शीले।’’ शीले के कुछ बोलने से पहले ही ज़ारा ने जल्दी से जवाब दे दिया।

‘‘काफी स्मार्ट हो। ज़ारा की पसंद अच्छी है। सम्राट ने शीले की तरफ एकटक देखते हुए कहा, ‘‘मेरे पास आओ। मैं तुम्हें गले लगाना चाहता हूं।’’ सम्राट ने अपने हाथ फैला दिये। शीले सम्राट की ओर बढ़ा। अभी उसने आधा रास्ता ही तय किया था कि अचानक छत से निकलने वाली तेज़ रोशनी में वह नहा गया। दूसरे ही पल वहाँ से शीले का जिस्म गायब हो चुका था और अब वहाँ पर सिर्फ हल्का सफेद धुवां लहरा रहा था।

‘‘नहीं।’’ ज़ारा ने एक चीख मारी।

‘‘ये देखो, तुम इसे बहुत बड़ा वैज्ञानिक कह रही थीं। यह तो मेरी मामूली डेथ रेज़ की काट ही नहीं कर पाया।’’ सम्राट ने व्यंगात्मक मुस्कान बिखेरते हुए कहा।

‘‘तुमने ऐसा क्यों किया।’’ ज़ारा ने दर्दभरे लहजे में कहा।

‘‘जिससे कि मेरे और तुम्हारे बीच कोई रुकावट नहीं रह जाये। सुनो, मैं जिसे अपनी रानी बनाने का इरादा कर लेता हूं उसे हर हाल में मेरी रानी बनना पड़ता है। मेरी दो सौ रानियों में से एक सौ अस्सी इसी तरह बनी हैं। मेरे पास आओ। क्योंकि अब तुम्हारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं।’’ सम्राट ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया।

धीरे धीरे ज़ारा के चेहरे के भाव बदलने लगे। थोड़ी ही देर में उसके चेहरे की रौनक लौट आयी थी। 

‘‘नहीं तुम मेरे पास आओ।’’ ज़ारा के होंठों पर अब एक मधुर मुस्कान खेल रही थी। थोड़ी देर पहले के ग़म का अब उसके चेहरे पर निशान तक न था।

‘‘ठीक है। जैसा तुम चाहो। हम तो हर हाल में तुम्हारे क़रीब होना चाहते हैं।’’ सम्राट ने आगे बढ़कर उसका हाथ थामना चाहा। लेकिन यह क्या? उसका हाथ ज़ारा के जिस्म से इस तरह पार हो गया मानो वहाँ ज़ारा का जिस्म नहीं बल्कि रोशनी की कोई किरण हो। उसने अपनी आँखों को मला और एक बार फिर ज़ारा को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन ज़ारा की जगह लग रहा था मानो उसकी परछाई हो रोशनी की किरणों से बनी हुई।’’

‘‘य--ये क्या हो रहा है। क्या मैं कोई सपना देख रहा हूं?’’ सम्राट बड़बड़ाया।

‘‘ये सपना नहीं हक़ीक़त है, सम्राट! शीले को मारने के बाद भी तुम ज़ारा को नहीं पा सकते। क्योंकि ज़ारा सिर्फ शीले की है। तुम्हारे कब्ज़े में तो सिर्फ ज़ारा की परछाई आयेगी जिसे तुम छू भी नहीं सकते।’’ कहते हुए वह क़हक़हे लगाने लगी। सम्राट अब पागलों की तरह उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसके हाथ हवा में लहरा कर रह जाते थे।

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एक अनजान ग्रह पर उड़नतश्तरी नुमा यान ऊंचे पहाड़ों के बीच मौजूद था। इस उड़नतश्तरी के अन्दर एक स्त्री व पुरुष एक बिस्तर पर गहरी नींद सो रहे थे। फिर उनमें से स्त्री की नींद पहले टूटी। थोड़ी देर उसने इधर उधर देखा फिर बगल में सोये हुए पुरुष को जगाने लगी। 

‘‘शीले शीले उठो। देखो हम कहाँ पहुंच गये हैं।’’ 

पुरुष जो कि दरअसल शीले ही था, उसने कसमसा कर आँखें खोल दीं और अपने उड़नतश्तरी नुमा यान की स्क्रीन पर नज़रें गड़ा दीं, ‘‘अरे, लगता है हम किसी अनजान ग्रह पर पहुंच चुके हैं।’’

‘‘सम्राट को जब पता चलेगा कि हम उसके चंगुल से छूटकर भाग निकले हैं तो वह हमारी तलाश में पूरा यूनिवर्स छनवा देगा और आखिरकार हम पकड़े जायेंगे।’’

‘‘ऐसा नहीं होगा। क्योंकि सम्राट की नीयत भांपकर मैंने अपने आविष्कार को उसी के ऊपर प्रयोग कर लिया है। मैंने सम्राट के चारों तरफ अपना बनाया कृत्रिम यूनिवर्स फैला दिया है। उस यूनिवर्स में एक शीले था जिसे वह अपने जानते खत्म कर चुका है और एक ज़ारा भी है जिसे वह अपनी बाहों में लेने की कोशिश कर रहा है।’’ 

‘‘क्या? तुमने मेरी हमशक्ल बनाकर उसे सम्राट की बाहों में दे दिया।’’ ज़ारा ने बनावटी गुस्से के साथ कहा।

‘‘फिक्र मत करो यार, वह उसे छू भी नहीं पायेगा। क्योंकि वह सिर्फ एक परछाई है।’’

‘‘फिर भी तुम सम्राट को बेवकूफ मत समझो। हो सकता है कि उसे पता लग जाये कि उसे नकली वातावरण के द्वारा फंसाया गया है। ऐसे में वह हमारी तलाश ज़रूर करेगा।’’

‘‘फिर भी वह हमारा पता नहीं लगा पायेगा। क्योंकि हम अपने यूनिवर्स को ही छोड़ चुके है और वार्महोल के द्वारा मल्टीवर्स दुनिया के दूसरे यूनिवर्स में पहुंच चुके हैं।’’

‘‘क्या मतलब?’’                

‘‘ज़ारा मैंने तुम्हें उस दिन यूनिवर्स की अधूरी कहानी सुनाई थी। दरअसल हमारा यूनिवर्स एक तैरती मेम्ब्रेन या झिल्ली पर मौजूद है और लगातार फैल रहा है। और इस तरह की अनगिनत झिल्लियां जहान में मौजूद हैं अपने अपने यूनिवर्स को फैलाते हुए। खास बात ये भी है कि यूनिवर्सेज को संभालने वाली झिल्लियां पूरी तरह एक दूसरे से अलग न होकर आपस में इस तरह जुड़ी हैं कि एक झिल्ली की चीज़ें दूसरी झिल्ली पर भी प्रभाव डाल रही हैं। मतलब ये कि एक मेम्ब्रेन दूसरी से पूरी तरह अलग है और एक पर मौजूद यूनिवर्स में कोई भी घटना हो तो दूसरी मेम्ब्रेन के यूनिवर्स पर उसका कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन इसके बावजूद ग्रैविटी जैसी कुछ चीजें दूसरी मेम्ब्रेन तक छन कर पहुंच जाती हैं, कुछ इस तरह जैसे कोई दरवाज़े को पूरी तरह बन्द करने के बाद उसमें हलकी सी झिर्री छोड़ दे, जहां से बाहरी रोशनी और महीन पार्टिकिल छन कर हमारे यूनिवर्स में दाखिल हो रहे हों। इसी तरह एक मेम्ब्रेन से दूसरे में दाखिल होने के लिये कभी कभी वार्महोल भी बना करते हैं। ऐसे ही एक वार्महोल के ज़रिये हम अपने यूनिवर्स को पार करके दूसरे यूनिवर्स में पहुंच गये हैं। और वह वार्महोल बस एक सेकंड के लिये बना था। अब दुनिया की कोई ताकत न तो हमें पुराने यूनिवर्स तक पहुंचा सकती है और न ही वहां का कोई व्यक्ति इस नये यूनिवर्स में आ सकता है।’’

‘‘यानि अब हम अपनी पुरानी दुनिया में कभी नहीं लौट सकते।’’

‘‘शायद। खैर छोड़ो। मैं देखना चाहता हूं कि हम हैं कहां पर।’’ उसने बगल में रखा रिमोट उठाया और स्क्रीन का दृश्य बदलने लगा। फिर स्क्रीन का रिसीवर शायद कोई लोकल न्यूज़ चैनल कैच करने लगा था, जिसपर एंकर कोई खबर बता रहा था। शीले ने रिमोट के कुछ बटन दबाये और एंकर की अजीबोग़रीब भाषा उनकी भाषा में बदलकर सुनाई देने लगी।     

एंकर कह रहा था, ‘‘आज रात को लगभग दस बजे हिमालय के लद्दाख क्षेत्र के लोगों ने एक अजीबोग़रीब यान को अपने सरों पर रोशनी बिखेरते हुए देखा। यह यान किसी उड़नतश्तरी जैसा ही लग रहा था। थोड़ी देर दिखने के बाद यह यान पहाड़ों के बीच गायब हो गया। भारत के साथ साथ पूरी दुनिया में उस अज्ञात यान के लिए कौतूहल पाया जा रहा है। क्या वह किसी एलियेन का यान था? या भारत के किसी पड़ोसी का कोई जासूसी यान? भारत सरकार ने अपनी सेना को सतर्क कर दिया है और सेना ने उस क्षेत्र में गहन तलाशी अभियान आरम्भ कर दिया है।’’

यह ग्रह तो हज़ारों साल बैकवर्ड मालूम हो रहा है। क्या हमें इनके बीच अब जिंदगी गुज़ारनी होगी? खैर उस सम्राट के मनहूस साये से दूर तुम्हारी बाहों में मैं कहीं भी जिंदगी गुज़ार लूंगी।’’ कहते हुए ज़ारा शीले की बाहों में समा गयी।


--समाप्त--


जीशान हैदर जैदी

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