shabd-logo

प्रचार नहीं, 'अच्छे कार्यों का प्रसार' बना अखिलेश की पहचान!

12 जुलाई 2016

655 बार देखा गया 655

विश्व जनसँख्या दिवस 11 जुलाई को आकर चला गया. कई जगहों पर छिटपुट कार्यक्रम भी हुए, किन्तु इस दिन बड़े स्तर पर पर्यावरण को लेकर जो सरकारी जागरूकता दिखाई देनी चाहिए थी, वह कहीं दिखाई नहीं दी, सिवाय उत्तर प्रदेश के! सवाल है कि आप लोगों को जनसँख्या के प्रति, पर्यावरण के प्रति कैसे जागरूक करेंगे? अगर आप किसी व्यक्ति से कहें कि वह उसे कम बच्चे पैदा करना चाहिए तो वह शायद आप पर भड़क जाए और कहे कि 'अपने काम से काम रखो', किन्तु वहीं अगर आप उससे जल-संरक्षण पर बात करते हैं, प्रदूषण कम करने की बात करते हैं, प्राकृतिक संशाधनों (Environment Friendly Projects) को बढ़ाने की बात करते हैं तो कहीं न कहीं उसके मन में यह सन्देश अवश्य जायेगा कि उसे भी प्रकृति को लेकर सजग हो जाना चाहिए. और इसके लिए वह आबादी तो कम करने की सोचेगा ही, दूसरी तरफ हर वह कार्य करने के प्रति प्रेरित होगा, जिससे पर्यावरण और हमारी धरती का भला हो! राजनीति को एक तरफ रख दीजिये यहाँ! कौन नेता अच्छा है, कौन बुरा है इसकी चर्चा अलग से कीजिये पर वास्तव में कार्य करने वाले का मनोबल जरूर बढ़ाइए. हमारे यहाँ शास्त्रों में कहा गया है कि 'एक वृक्ष सौ पुत्र समान'. 


इसे भी पढ़ें: अपराध के राजनीतिक संरक्षण पर अखिलेश का 'वीटो'!


article-image

Environment Friendly Projects, Akhilesh Yadav, Dimple Yadav, Hindi Article, UP Government

इसी कड़ी में पर्यावरण को संवारने और उसके संरक्षण की दिशा में उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष एक ही दिन में दस अलग-अलग स्थानों पर 10 लाख से अधिक पौधे लगाकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यूपी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का सम्मान प्राप्त हुआ था, और अब 'क्लीन यूपी - ग्रीन यूपी' अभियान के तहत बीती 11 जुलाई को पूरे उत्तर प्रदेश में 6161 जगहों पर 24 घंटे के दौरान 5 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर नया विश्व कीर्तिमान बनाने का प्रयास हुआ. इससे भी बड़े आश्चर्य की बात तो यह देखिये कि अगर कोई और राजनेता या मुख्य्मंत्री इस तरह का कार्य करता तो हज़ारों करोड़ का विज्ञापन लगा कर इस कार्य का प्रचार करता, किन्तु अखिलेश यादव की के इस प्रयास को मेन-स्ट्रीम मीडिया में भी औपचारिक जगह ही मिल सकी. चूंकि, मीडिया को भी मसालेदार ख़बरें चाहिए होती हैं और आप आश्चर्य करेंगे कि लगभग इसी समय के आस-पास, पिछले 10 दिनों से हर न्यूज-चैनल, हर बड़ी वेबसाइट, समाचार-पत्रों में किसी टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी की शादी की ख़बरें 'ब्रेकिंग-न्यूज' की तरह छाई हुई हैं, किन्तु उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव 5 करोड़ पौधे लगाते हैं, उसकी खबर कई जगहों पर या तो आपको दिखेगी नहीं और दिखेगी भी तो कहीं छोटी सी! क्या वाकई, कोई फ़िल्मी शादी, 5 करोड़ पौधे लगाने से ज्यादा अहम है, या फिर अंदरूनी रूप से कुछ और बात है? खुद मीडिया समूहों को इस बात पर आत्ममंथन करना चाहिए. 


इसे भी पढ़ें: एक बेहतरीन हिंदी न्यूज पोर्टल कैसा हो?


article-image

Environment Friendly Projects, Akhilesh Yadav, Hindi Article, UP Government, False Advertisement

दिल्ली के मुख़्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कहीं छोटा सा काम करते हैं तो सौ करोड़ के विज्ञापन लगा देते हैं तो केंद्र सरकार की भी अधिकाधिक विज्ञापन करने के लिए आलोचना होती रही है. पर इस मामले में अखिलेश यादव की सजगता निश्चित रूप से सराहनीय है, जहाँ उन्होंने प्रचार से ज्यादा 'कार्य का प्रसार' किया. ज़रा सोचिये, जिस दिन ये 5 करोड़ पेड़ जवान होंगे, पर्यावरण-सुरक्षा (Environment Friendly Projects, Akhilesh Yadav) का स्तर कितना उत्तम होगा. हां, इस बारे में उन पेड़ों की रखवाली और भू-माफियाओं से उनको बचाना भी अहम होगा, अन्यथा सीएम अखिलेश का कालजयी प्रयास व्यर्थ ही जायेगा. इसके लिए नेताओं को तो सक्रिय रहना ही होगा, साथ ही साथ नौकरशाही को भी बेहद सजगता से देखरेख प्रक्रिया की निगरानी करनी होगी! जहाँ तक इस कार्यक्रम की बात है तो, मुख्यमंत्री अखिलेश ने यादव कानपुर देहात के रसूलाबाद से इस अभियान की शुरुआत की, जबकि मुलायम सिंह यादव लखनऊ के कुकरैल में पौधे लगाकर इस अभियान का हिस्सा बने. पौधे लगाये जाने को लेकर वन विभाग के प्रमुख सचिव वन संजीव सरन ने बताया कि यह अभियान 11 जुलाई को सुबह 10 बजे से शुरू हुआ, और इस अभियान के तहत 24 घंटों में 6161 जगहों पर पांच करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था. 


इसे भी पढ़ें: बसपा और भाजपा से काफी आगे हैं अखिलेश!


article-image

Environment Friendly Projects, Akhilesh Yadav, Hindi Article, UP Government, World Records

इस पूरे अभियान की निगरानी द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट दिल्ली (टेरी) और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के ऑडिटर की ओर से की जा रही थी, मतलब किसी भी तरह की हीलाहवाली की गुंजाइश नहीं बची थी. इस अभियान में कई किस्म के पौधे लगे और इन पौधों को तीन से 12 फुट नीचे तक रोपा गया. सीएम अखिलेश के इस इनिशिएटिव से न केवल पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य पूरा हुआ, बल्कि इसके लिए दो लाख से अधिक मजदूरों को लगाया गया, जिन्हें तात्कालिक रोजगार भी हासिल हुआ. इस कड़ी में, पौधे लगाने से पहले और बाद में इसकी मानिटरिंग की भी व्यवस्था की गयी है. न केवल इस बार, बल्कि पहले से ही उत्तर प्रदेश सरकार की ऐसी कोशिशों का ही परिणाम है कि प्रदेश में 'फारेस्ट-कवर' लगातार बढ़ रहा है. यदि आंकड़ों की बात करें तो, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में यूपी में फॉरेस्ट कवर 112 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है, वहीं 261 वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर भी बढ़ा है. जाहिर है, अखिलेश यादव आने वाले विधानसभा चुनावों में इसे एक प्रमुख उपलब्धि के तौर पर गिना सकते हैं. इसके लिए केवल इस बार प्रयास नहीं हुआ है, बल्कि पिछली बार 7 नवंबर, 2015 को जब पौधरोपण हुआ था, तब 10 लाख 53 हजार पौधे लगाए गए थे. 


इसे भी पढ़ेंआतंक पर 'इस्लाम' के अनुयायी चुप क्यों? 


article-image

Tree Plantation by Akhilesh

इसकी सफलता से उत्साहित होकर इस बार 5 करोड़ पौधे लगाने का अभियान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की व्यक्तिगत रुचि और भविष्य की सोच को स्पष्ट रूप में सामने रखता है. वह चाहते तो इसी पैसे के सहारे दूसरी पार्टियों की तरह 'अपनी मूर्तियां' लगवा देते या 'प्रचार' पर खर्च कर देते, किन्तु इस बात के लिए उनकी तारीफ़ होनी ही चाहिए कि उन्होंने पर्यावरण की सजगता के सम्बन्ध में न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि समस्त भारत भर के राज्यों को प्रेरणा प्रदान की है. एक अन्य आंकड़े के अनुसार, यूपी में पिछले चार वर्षों के दौरान तकरीबन 21 करोड़ पौधे (Environment Friendly Projects) लगाए गए हैं, जिसमें 950 नर्सरी की मदद ली गयी है. थोड़ी और डिटेल में जाएँ तो इस अभियान के तहत मुख्यतः शीशम, सागौन, नीम, कंजी, अर्जुन, इमली, गूलर, महुआ, जामुन जैसी प्रजातियों के साथ-साथ बेल, बहेड़ा, हरड़, पीपल, पाकड़ आदि परम्परागत प्रजातियों के पौधे भी लगाए जा रहे हैं. लगाए जा रहे 5 करोड़ पौधों द्वारा भविष्य में किए जाने वाले कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन का आंकलन भी टेरी के माध्यम से कराया जा रहा है. इस बात के लिए भी उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना होनी चाहिए कि इस कार्यक्रम को सिर्फ 'सरकारी कार्यक्रम' बनाकर नहीं छोड़ दिया गया, बल्कि कार्यक्रम में जनसहभागिता सुनिश्चित करने के लिए हर रोपण स्थल को एक शिक्षण संस्थान या स्वयंसेवी संस्थान से जोड़ गया है ताकि पौधों का विकास और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. जाहिर है, 'राज और समाज' के गठजोड़ से ही किसी समाज की उन्नति संभव है. 


इसे भी पढ़ें: 'विश्व जनसंख्या दिवस' मनाना जरूरी क्यों?


article-image

Environment Friendly Projects, Akhilesh Yadav, Hindi Article, UP Government

इसके अतिरिक्त पूरे प्रदेश में आम नागरिकों, सैन्य व अर्ध सैन्य बलों और एनसीसी कैडेटों, एनएसएस स्वयंसेवकों, ग्रामीणों तथा अन्य लोगों को भी इस अभियान का अंग बनाया गया है, जिससे इस कार्यक्रम के सम्बन्ध में अखिलेश यादव के होमवर्क का अंदाजा सहज ही लग जाता है. गौरतलब है कि इसी क्रम में 4 जुलाई को प्रदेश के समस्त विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पर्यावरण संरक्षण के संबंध में शपथ भी दिलाई गई थी. वैसे भी, ग्रीन यूपी - क्लीन यूपी अभियान के तहत अखिलेश सरकार इससे पहले भी कई उल्लेखनीय कार्य कर चुकी है. प्रदेश के प्रत्येक जनपद में हरित पट्टियों का विकास, ईको पर्यटन-नीति लागू करना, कई शहरों में साइकिल-ट्रैक का निर्माण पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में अहम कदम साबित हुए हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देशन में राज्य सरकार के कार्यक्रमों का ही नतीजा है कि राज्य पक्षी सारस और राष्ट्रीय जलीय जीव डाल्फिन की संख्या में बढोतरी हो रही है. ऐसे ही प्रयासों के तहत, जीव- जंतुओं के संरक्षण की दिशा में भी अखिलेश सरकार की ओर से विशेष प्रयास हुए हैं. 


इसे भी पढ़ें: 'अखिलेश' को जरूर मिले डेवलपमेंट की क्रेडिट!


article-image

Tree Plantation by Mulayam, Akhilesh

20 मार्च 2016 को पूरे उत्तर प्रदेश में विश्व गौरैया संरक्षण दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर गौरैया को लुप्त होने से बचाने की दिशा में अहम प्रयास किए गए, वहीं यूपी में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर के बर्ड-फेस्टिवल का आयोजन किया गया। बर्ड-फेस्टिवल के अवसर पर हर जनपद में आयोजित बर्ड वाचिंग में सर्वाधिक व्यक्तियों द्वारा पक्षियों को देखने पर इस अभियान को भी लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान दिया गया है. पर्यावरण पर अपनी सजगता दिखलाकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह साबित किया है कि उनकी सरकार न केवल प्रदेश के विकास और औद्योगीकरण पर ध्यान दे रही है, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी उतनी ही सचेत है. वह भी बिना किसी प्रचार के...

अखिलेश ने एक परिपक्व राजनेता की छवि हासिल कर ली है और वह समझ चुके हैं कि अगर आप 'अच्छे कार्यों का प्रसार' करते हैं तो 'प्रचार' तो झक मारकर आपके पीछे आएगा!

मिथिलेश कुमार सिंह की अन्य किताबें

1

पोर्न पर राष्ट्रीय चर्चा का मतलब

7 अगस्त 2015
0
3
1

.... एक आंकड़े के अनुसार, भारत में आज भी 20 करोड़ लोग भूखे सोने को मजबूर हैं. क्या पोर्नोग्राफी जैसे मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बनाना उन भूखे नंगों का मजाक उड़ाना नहीं है. ऐसे विषयों पर दिमाग कुंद हो जाता है तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सांप सूंघ जाता है. सभी आंकड़े उलटे पुल्टे हो जाते हैं और क

2

यही कहती है हिन्दी... Kundaliya on Hindi by Mithilesh - Mithilesh's Pen | My Writing | Social, Political, Technical Articles.

13 सितम्बर 2015
0
2
0

Kundaliya on Hindi by Mithilesh

3

एंड्राइड ऐप का है ज़माना, आसान है बनाना! Free Android apps making guide, hindi tips, mithilesh2020

22 अप्रैल 2016
0
2
0

... सूचना प्रौद्योगिकी के लिए 'पैसे' खर्च करने वाले मित्रों से मैं हमेशा ही कहता हूँ कि इंटरनेट की दुनिया में कुछ नहीं बहुत कुछ मुफ्त है, बस जरूरत है थोड़ी सावधानी से उन्हें ढूँढ़ने और उसके ट्यूटोरियल्स देखने की. चूंकि, कई ट्यूटोरियल इतने आसान होते हैं कि उनके लिए आपको बहुत ज्यादा दिमाग नहीं खपाना होग

4

किन्नर अधिकारों की लड़ाई में सार्थक कदम! Transgender rights and Mahamandleshwar Lakshi in Simhasth, Hindi Article

5 मई 2016
0
2
0

... यदि व्यक्तिगत रूप से कहूं तो यह थोड़ा अजीब तो है, किन्तु जब बात एक बड़े समूह के अधिकारों और उनके जीवन जीने के ऊपर हो तो फिर यह निर्णय बेहद उचित प्रतीत होता है. भारतीय जीवन दर्शन में तो 'जीव-मात्र' के अधिकारों की बात कही गयी है और 'किन्नरों' के सन्दर्भ में इसे भारतीय समाज में पहले से ज्यादा स्वीकृत

5

बसपा और भाजपा से काफी आगे हैं अखिलेश!

14 जून 2016
0
1
2

अपने कई परिचितों से जब उत्तर प्रदेश की चुनावी गणित पर बात करता हूँ तो तमाम किन्तु और परन्तु के बावजूद अखिलेश यादव का पलड़ा भारी नज़र आता है. हालाँकि, कई लोग बसपा की मायावती के सत्ता में आने की सुगबुगाहट भी दिखलाते हैं, जैसा कि पिछले कुछ सर्वेक्षणों में भी दिखाया गया है, लेकिन जब इसके कारणों की पड़ताल क

6

अखिलेश सरकार को बदनाम करने की साजिश!

21 जून 2016
0
0
0

इस लेख की शुरुआत उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य्मंत्री मायावती के उस बयान से करना चाहूंगा, जिसमें उन्होंने कैराना मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए भाजपा की कड़ी निंदा करते हुए खोजी पत्रकारों की तारीफ़ की. हालाँकि, प्रदेश की कानून-व्यवस्था के लिए उन्होंने अखिलेश यादव को भी जरूर घेरा लेकिन भारतीय जनत

7

रूकना चाहिए पशुओं पर अत्याचार! Human civilization and animal, Cruelty, Hindi Article

21 जून 2016
0
2
0

जब से मानव ने सभ्यता सीखनी शुरू की और अपना विकास करना प्रारम्भ किया, लगभग तभी से उसने जानवरों के महत्व को भी समझ लिया था. उसने कुत्तों की वफ़ादारी को देखा और उसे अपना साथी बना लिया, जिससे उसे सुरक्षा मिली तो अपने भोजन और भूख की समस्याओं से निपटने के लिए उसने गाय और भैंस पालने शुरू कर दिए. सामान ढोने

8

बुंदेलखंड की बड़ी समस्या और अखिलेश यादव का मरहम!

26 जून 2016
0
0
0

वैसे तो बुंदेलखंड अपने दुर्भाग्य के लिए हमेशा ही चर्चा में बना रहता है, किन्तु पिछले दिनों पानी से भरी ट्रेन इस क्षेत्र में पहुँचने की खूब चर्चा रही जो अंततः खाली निकली. इस बात को लेकर पहले अफवाह फैलाई गयी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बुंदेलखंड में पानी पहुंचा पाने में असफल रहे हैं, लेकिन जब अखिले

9

इसरो ने रची 'बेमिसाल' कामयाबी - ISRO launches 20 satellites, Hindi Article

26 जून 2016
0
2
0

... बताते चलें कि जो 20 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए हैं उनमें से 3 भारतीय और 17 विदेशी उपग्रह थे. जिसमें काटरेसैट-2 श्रृंखला का एक उपग्रह और दो चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय और पुणे के कॉलेड ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा तैयार उपग्रह था. बाकी के 17 उपग्रह अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया क

10

अपराध के राजनीतिक संरक्षण पर अखिलेश का 'वीटो'! Akhilesh Yadav against criminal, hindi article

3 जुलाई 2016
0
1
0

कल तक जो विश्लेषक यूपी की समाजवादी पार्टी सरकार को अपराधियों की मददगार मानते थे, वही आज अखिलेश यादव की मुक्तकंठ से सराहना कर रहे हैं. पिछले दिनों कई लेख और रिपोर्ट देखी, जिसमें अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के आगे जाने का रोडमैप बेहद सख्ती से लागू किया. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्

11

कोच पद के लिए रवि शास्त्री का अनुचित प्रलाप! Ravi Shastri Sourav Ganguly, controversy, Hindi Article, BCCI, Mithilesh

3 जुलाई 2016
0
3
0

दुनिया के सबसे ताकतवर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में जब अनुराग ठाकुर चयनित हुए, तब उन्होंने भारतीय क्रिकेट में सुधार को लेकर कई सारी प्रतिबद्धताएं व्यक्ति कीं, पर यह उनका दुर्भाग्य ही है कि इंडियन टीम के कोच-चयन को लेकर ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया. हालाँकि, इसमें प्रथम दृष्टया गलती वरिष्ठ ख

12

सामाजिक-समीकरण एवं प्रदर्शन के अनुरूप है 'केंद्रीय मंत्रिमंडल-विस्तार' - Modi cabinet expansion, Irani, Javdekar, Hindi Article

6 जुलाई 2016
0
3
0

... अपने मंत्रिमंडल में विस्तार करते हुए नरेन्द्र मोदी ने 19 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई, जिनमें शामिल हैं फग्गन सिंह कुलस्ते, अनिल माधव दवे, एसएस अहलुवालिया, रमेश चंदप्पा, राजेन गोहेन, रामदास अठावले, जसवंत सिंह भाभोर, अर्जुनराम मेघवाल, पुरुषोतम रुपाला, अजय टम्टा, महेंद्र नाथ पांडेय, कृष्णा राज, मनसुख

13

'वेबसाइट' न चलने की वजह से आत्महत्या ... !!! ??? Website, Blog, Portal Business, Failure, Suicide, Reason, Solution, Hindi Article, Mithilesh

6 जुलाई 2016
0
3
1

... आज केवल पत्रकारिता, लेखन में ही नहीं बल्कि टूरिज्म, मेडिकल, स्कूलिंग हर क्षेत्र में इंटरनेट जड़ तक घुसने के लिए ज़ोर लगा रहा है. चूंकि, मैं खुद इस व्यवसाय से पिछले 8 सालों से (8 Year experience in Digital marketing) सीधा जुड़ा हुआ हूँ और रोज अनेक क्षेत्रों से मेरे पास इंक्वायरी आती है कि मिथिलेश जी

14

प्रचार नहीं, 'अच्छे कार्यों का प्रसार' बना अखिलेश की पहचान!

12 जुलाई 2016
0
0
0

विश्व जनसँख्या दिवस 11 जुलाई को आकर चला गया. कई जगहों पर छिटपुट कार्यक्रम भी हुए, किन्तु इस दिन बड़े स्तर पर पर्यावरण को लेकर जो सरकारी जागरूकता दिखाई देनी चाहिए थी, वह कहीं दिखाई नहीं दी, सिवाय उत्तर प्रदेश के! सवाल है कि आप लोगों को जनसँख्या के प्रति, पर्यावरण के प्रति कैसे जागरूक करेंगे? अगर आप कि

15

चिट्ठी आयी है, आयी है ... Satire on letter writing, Ravish Kumar, Rohit Sardana, Journalism!

13 जुलाई 2016
0
2
0

आजकल चिट्ठियों की बड़ी चर्चा है और हो भी क्यों न आखिर कंप्यूटर, स्मार्टफोन के युग में कोई 'चिट्ठी' लिखे तो यह बात 'एंटीक' सा लगता है और बड़े लोगों को तो वैसे भी 'एंटीक' चीजें पसंद होती हैं. चिट्ठियों का इतिहास हम देखते हैं तो इसे 'प्रेम-पत्र' के रूप में कहीं ज्यादा मान्यता प्राप्त रही है. मसलन कुछ साल

16

यूपी चुनाव में बसपा, सपा, भाजपा और कांग्रेस का दांव! UP Election 2017, Complete Analysis, New Hindi Article, Mithilesh

15 जुलाई 2016
0
1
0

... पर कांग्रेस के लिए ऐसे दबंग और आपराधिक मुस्लिमों से खुलेआम हाथ मिलाना नामुमकिन की हद तक मुश्किल होगा, पर यह राजनीति है और राजनीति में कुछ भी 'नामुमकिन' नहीं होता है. प्रियंका गांधी के बारे में कहा जा रहा है कि वह प्रदेश भर में (UP Election 2017) प्रचार करेंगी और ऐसा होने पर उनकी जनसभाओं में भीड़

17

राम जेठमलानी द्वारा अखिलेश की तारीफ़ के मायने! Ram Jethmalani, Akhilesh Yadav and Politics

23 जुलाई 2016
0
0
0

राम जेठमलानी के बेबाक अंदाज़ को भला कौन नहीं जानता है. देश के मशहूर वकील उन लोगों में गिने जाते हैं, जो किसी भी मुद्दे पर सटीक टिपण्णी करते हैं. वह टिपण्णी करने से पहले यह नहीं सोचते हैं कि उनके सामने कौन खड़ा है और उससे उन्हें क्या फायदा या नुक्सान हो सकता है, बस उन्हें जो सच लगता है कह देते हैं. राज

18

फ़िल्मी दुनिया के 'भगवान' सिर्फ 'रजनी सर' ही क्यों, दूसरा क्यों नहीं? Rajinikanth, God for fans, Kabali Movie, Hero and Actors, Hindi Article, Review,

23 जुलाई 2016
0
3
0

हमारे देश में वैसे भी फिल्मों का प्रभाव किसी भी दुसरे माध्यम से ज्यादा है और बात जब 'रजनीकांत' जैसे सुपर-स्टार की हो तो फिर बाकी सब कुछ उसके सामने 'छोटा' दिखाई देने लगता है. आज 21वीं सदी में क्या आप इस बात की कल्पना भी कर सकते हैं कि किसी फिल्म की रिलीज-डेट पर कई बड़ी कंपनियां 'छुट्टी' की घोषणा कर दे

19

अगला नम्बर 'आपका' है ... !!

3 अगस्त 2016
0
3
0

पीछे की गली में मुशायरा चल रहा था, लेकिन उसका मन आज टीवी पर ख़बर देखकर विक्षिप्त सा हो गया था!यूं तो आये दिन वह रेप, बलात्कार की खबरें (Short story on rape) सुनता रहता था, किन्तु जैसे-जैसे उसकी बेटी बड़ी हो रही थी, ऐसी हर ख़बर उसे अपने ऊपर लगने लगती थी.आज किसी हाईवे पर हुई दरिंदगी की ख़बर सुनकर वह कांपन

20

हाईवे रेप-मामले में अखिलेश-प्रशासन का नाकारापन एवं समाज की चुप्पी! Crime in Uttar Pradesh

9 अगस्त 2016
0
1
0

कई बार एक सीधा प्रश्न मन में उठता है कि अपराध की रोकथाम के लिए गंभीरता से प्रयास हमारे भारत भर में आखिर कौन करता है? आपको इसका जवाब सौ फीसदी नकारात्मक ही मिलेगा. 16 दिसंबर 2012 को पूरे देश को हिला देने वाला 'निर्भया रेप-काण्ड' घटित हुआ और इसके लिए सड़क से संसद तक खूब हो-हल्ला मचा, कानून भी बना, महिला

21

गाय हमारी माता है, पर हमें कुछ नहीं आता है! Gorakshak Dal

9 अगस्त 2016
0
2
0

20वीं सदी में शायद ही कोई ऐसा बच्चा हो, जो स्कूल गया हो और उसने हिंदी या इंग्लिश में गाय पर निबंध न लिखा हो. गाय हमारी माता है, गाय के चार पैर, दो कान, दो सिंग और बला, बला...मुझे याद आता है, उस समय जब कोई विद्यार्थी गाय (Prime Minister Narendra Modi Lesson, Cow Protection) पर कुछ बोल नहीं पाता था, फ

22

अब पीएम के 'कार्यों और बयानों' का आंकलन होना ही चाहिए!

21 अगस्त 2016
0
1
0

2014 के लोकसभा चुनाव में भारत की जनता ने भारी बहुमत से गुजरात के मुख्यमंत्री को भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाया. शुरू के कुछ सालों में जनता और कई विश्लेषक पीएम के कार्यों का मिला-जुला आंकलन करते रहे, तो कइयों ने उन्हें 'हनीमून पीरियड' के रूप में 'सख्त विश्लेषण' से छूट भी दी. पर अब लगभग ढ़ाई

23

रक्षाबंधन पर यूपी सीएम का 'सराहनीय' प्रयास! Raksha Bandhan and Akhilesh Yadav

26 अगस्त 2016
0
0
0

रक्षाबंधन के अवसर पर उत्तर प्रदेश की लड़कियों के लिए इससे बेहतर तोहफा और क्या हो सकता है कि उन्हें सीएम अखिलेश यादव ने 30-30 हजार रुपये का चेक सौंपना शुरू किया है. जी हाँ, यूं तो कन्या विद्या धन योजना उत्तर प्रदेश सरकार की पुरानी योजना है, किन्तु इस बार जिस बड़े स्तर पर मुख्यमंत्री ने इसे व्यवहार में

24

रिजर्व बैंक में नयी 'ऊर्जा' और किन्तु-परंतु ... Reserve Bank of India, Governor Urjit Patel, Raghuram Rajan

26 अगस्त 2016
0
1
0

दर्जनों नामों के उछलने और 'लार्जर देन लाइफ' की इमेज बना चुके रघुराम राजन के उत्तराधिकारी की खोज इतनी भी आसान नहीं थी और इसके लिए मोदी सरकार ने माथापच्ची भी खूब की. अब पिटारा खुल गया है और उस पिटारे से जो नाम निकला है, वह 'उर्जित पटेल' का नाम है. अब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व ब

25

भारत के वर्तमान सैन्य विकल्प एवं 'एटॉमिक फियर' से मुक्ति! Uri attack news, Hindi Article

21 सितम्बर 2016
0
2
0

कश्मीर स्थित उरी में आतंकियों के माध्यम से एक बार फिर पाकिस्तान ने हमारे 17 निर्दोष जवानों को मौत के मुंह में धकेल दिया है. सारा देश क्रोध से उबल रहा है, तो सरकार सहित तमाम मीडिया संस्थान घटना का विभिन्न स्तर पर लेखा-जोखा कर रहे हैं. इस हमले के बाद लगातार मैंने भी तमाम भारतीय नागरिकों की तरह विभिन्न

26

राहुल गाँधी की 'खाट' पर भला क्यों बैठेगी यूपी की जनता?

23 सितम्बर 2016
0
1
2

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को अपने लंबे इतिहास में उतने बुरे दिन कभी नहीं देखने पड़े हैं, जितना इस पार्टी ने राहुल गाँधी के सक्रीय राजनीति में आने के बाद देखा. आखिर, कौन कल्पना कर सकता था कि कभी भारत भर में वर्चस्व रखने वाली कांग्रेस पार्टी एक-एक करके न केवल तमाम राज्यों से सिमट जाएगी, बल्कि

27

स्टूडेंट्स के लिए क्यों जरूरी है ब्लॉगिंग: महत्त्व एवं रास्ता

30 सितम्बर 2016
0
0
0

21वीं सदी में लगभग हर वह चीज बदल चुकी है या बदल रही है जो हमारे जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती रही है. इनमें कृषि, मीडिया-क्षेत्र, नौकरियों का प्रारूप इत्यादि शामिल किया जा सकता है, किन्तु दुर्भाग्य से यही बात 'एजुकेशन सिस्टम' के लिए समग्रता से नहीं कही जा सकती है. इसी क्रम में

28

मजबूत होकर वापसी कर सकते हैं अखिलेश!

4 अक्टूबर 2016
0
1
3

कहते हैं जो बाजी हारकर जीत जाए, वही सिकंदर कहलाता है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की सत्ता पर विराजमान समाजवादी पार्टी में जो कलह खुलकर सड़कों पर सामने आयी, उसने इस पार्टी के सामने विपक्ष की चुनौतियों के अतिरिक्त नयी चुनौतियां भी पैदा कर डाला. अगर आप राजनीति के इतिहास को देखें तो इस तरह के आपसी विवाद, ल

29

ताबड़तोड़ मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए अखिलेश यादव को धन्यवाद!

13 अक्टूबर 2016
0
0
0

उत्तर प्रदेश में अगर सबसे बड़े औद्योगिक शहर का नाम लिया जाए तो बिना किसी संदेह के कानपुर का नाम लिया जा सकता है, वह भी आज से नहीं, बल्कि कई दशकों से! वस्तुतः देश भर में कानपुर का विशेष स्थान है, किन्तु दुर्भाग्य से इस शहर की उपेक्षा काफी हद तक हुई थी, जिसे सुधारने का यत्न करते जरूर दिख रहे हैं अखिलेश

30

दिवाली का भारतीय अर्थशास्त्र एवं चीन संग आधुनिक व्यापार!

20 अक्टूबर 2016
0
2
1

दोनों शब्दों का इन दिनों खूब तालमेल नज़र आ रहा है. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया और भारत से लेकर चीन तक इस उहापोह पर कड़ी नज़र भी रखी जा रही है. इस बात में रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए कि वगैर राष्ट्रीय भावना के कोई राष्ट्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता और हमारे त्यौहार निश्चित रूप से लोगों को सामाज

31

हाँ, मोदी या इंदिरा के राजनीतिक उभार से जरूर सीख लें अखिलेश!

28 अक्टूबर 2016
0
1
0

समाजवादी पार्टी के हाई प्रोफाइल ड्रामे के बीच 24 अक्टूबर को हुई पार्टी की महाबैठक में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को सीख देते हुए कहा कि उन्हें पीएम मोदी से सीखना चाहिए, जो प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपनी माँ को नहीं भूले हैं. हालाँकि, सपा सुप्रीमो का सन्दर्भ यह था कि वह शिवपाल यादव, अमर सिंह क

32

खतरनाक प्रोडक्ट्स का पैसे के लिए विज्ञापन करते भारतीय सेलिब्रिटीज और जेम्स बांड!

30 अक्टूबर 2016
0
1
0

हमारे देश में यह नई बात नहीं है कि सिर्फ और सिर्फ पैसे की खातिर तमाम सेलिब्रिटीज उन वस्तुओं को भी प्रमोट करते नज़र आ जाते हैं, जो आम जनता के लिए सीधे तौर पर हानिकारक होता है. अगर घुमा फिरा के बात ना की जाए तो हमें नज़र आ जायेगा कि तमाम टॉप ग्रेड स्टार बॉलीवुड के सितारे हों अथवा क्रिकेट खिलाड़ी हों, उन

33

'अमर सिंह' जैसे तो बदनाम होने के लिए ही बनते हैं, किंतु ...

31 अक्टूबर 2016
0
1
0

समाजवादी पार्टी में हो रही पारिवारिक और राजनैतिक उठापटक से भला कौन परिचित नहीं होगा. जूतमपैजार मची है, एक दूसरे की टांग खींचने की जैसे प्रतियोगिता हो रही है और तो और अब पिता को कोई शाहजहां बता रहा है तो बेटे को कोई औरंगजेब! चाचा-भतीजा, भाई, सौतेली माँ इत्यादि सभी पारिवारिक मसाले इस ड्रामे में दिख रह

34

कश्मीरी आवाम के लिए भस्मासुर बन चुके हैं 'हुर्रियत अलगाववादी'!

2 नवम्बर 2016
0
1
0

जम्मू कश्मीर में पिछले दिनों से चल रही हलचल पर हर भारतीय दुखी हुआ होगा. आखिर कौन चाहता है कि उसके अपने ही भाई, उसके अपने हमकदम भारतीय लगातार कई महीनों तक कर्फ्यू से परेशान रहें, दुखी होते रहें! बड़ा आसान है कह देना कि इन समस्याओं के लिए भारत की सरकार या जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार जिम्मेदार है, मगर

35

ट्रंप की जीत के मायने, 'अमेरिका-भारत-रूस' का त्रिकोण संभव!

13 नवम्बर 2016
0
0
0

दुनिया भर में तमाम बदलाव हो रहे हैं एवं लोगों की मानसिकता भी उसी अनुपात में बदल रही है. कहा गया है कि 'परिवर्तन संसार का नियम है' और इस बात को श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने सविस्तार समझाया है. डोनाल्ड ट्रंप को पिछले 1 साल से हमने, आप ने खूब सुना है. हालांकि यह नाम उससे पहले भी रियल एस्टेट

36

पाकिस्तानी आर्मी के नए जनरल बाजवा एवं ... !!

29 नवम्बर 2016
0
1
0

हमारे पडोसी देश पाकिस्तान की आर्मी के अब तक सैन्य प्रमुख रहे राहिल शरीफ ने बिना किन्तु-परंतु के अपना पद छोड़कर एक अलग उदाहरण पेश करने का साहस किया है, क्योंकि पाकिस्तान में अब तक अधिकांश सैन्य-प्रमुखों ने लोकतंत्र को कालिख ही लगाई है. जनरल मुशर्रफ एवं जिया उल हक़ जैसे सैन्य शासकों ने तो न केवल पाकिस्

37

दिल्ली की बदलती राजनीति में फिट हैं मनोज तिवारी

2 दिसम्बर 2016
0
2
2

नवंबर के आखिरी दिनों में जब लोकप्रिय भोजपुरी गायक मनोज तिवारी की दिल्ली प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष के रूप में घोषणा हुई तो मुझे कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ. बरबस ही बीता विधानसभा चुनाव याद आ गया जिसमें आम आदमी पार्टी ने क्लीन स्वीप करते हुए 70 में से 67 सीटें अपनी झोली में डाल ली थी. इस बात में कोई दो राय

38

क्या आप पेस्ट करने के साथ टेक्स्ट को हिंदी में बदलना चाहते हैं?

10 दिसम्बर 2016
1
0
0

'धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का' नामक यह मुहावरा जब भी बना होगा, निश्चित रुप से इसे बनाने वाले ने नहीं सोचा होगा कि इसका सर्वाधिक प्रयोग राजनीतिक संदर्भ में ही किया जाएगा. हाल-फिलहाल इसका सबसे सटीक उदाहरण पंजाब से आ रहा है. पंजाब चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, नेता और कार्यकर्त्ता भी इधर उधर

39

बाप रे बाप, मुलायम का ऐसा भयानक दांव! Akhilesh Yadav Hindi Article

3 जनवरी 2017
0
12
5

कई बार अपच हो जाने से मेरा पेट खराब हो जाता है तो मैं 'कायम चूर्ण' का सेवन कर लेता हूँ. हाल-फिलहाल, बाबा रामदेव का चूरन भी लाया हूँ. उत्तर प्रदेश में पिछले दो-तीन दिनों से जो हलचल मची है और ऊपर ऊपर जो कहानी दिख रही थी, वह पच ही नहीं रही थी. दोनों चूर्ण खाये मैंने, पर फिर भी यह बात पची नहीं कि अखिलेश

40

बिहार की खुलकर तारीफ सुनना 'आत्मा' को सुकून दे रहा है!

9 जनवरी 2017
0
3
0

Pride of Bihar, Hindi Article, New, Guru Govind Singh, 350 Prakash Utsav, History of Bihar Essay, Nitish Kumar, Laloo Yadavहिंदी भाषी क्षेत्र में बिहार राज्य का प्रमुख स्थान है और यहां की प्राचीन और समृद्ध संस्कृति ने देश को काफी कुछ दिया है. आप चाहे राजनीति की बात करें, कूटनीति या शिक्षा की बात कर

41

जुबां को 'छोटी' ही रखें 'विराट'

10 नवम्बर 2018
2
0
0

अगर तुम 'ऐसे' हो तो देश छोड़ दो अगर तुम वैसे हो तो देश छोड़ दो!अगर तुम 'यह' खाते हो तो देश छोड़ दो अगर तुम 'वह' खाते हो तो देश छोड़ दो!अगर तुम 'अलग' तरह की सोच रखते हो तो देश छोड़ दो और अगर 'किसी खास तरह की सोच से इत्तेफाक नहीं रखते' तो देश छोडकर चले जाओ!सच कहा जाए तो देश छोड़ने की बात आज-कल इतनी कै

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए