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सभी दोस्तों के लिए एक चिट्ठी

13 जुलाई 2016

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आज फ्रेंडशिप डे नहीं पर ना जाने क्यों तुम्हे याद करने का बड़ा मन हो रहा । शायद मैं एक बुरा दोस्त हूँ या फिर स्वार्थी या दोनों जो तुम्हारी खबर नहीं लेता । पर यार तुम किस मिट्टी के बने हो जो मेरी आवाज पर दौड़ पड़ते हो । 
मुझसे जुड़ा हर दिन , समय और जगह तुम्हे आज भी बखूबी याद है और मैं फेसबुक के भरोसे रहता हूँ । देर हो जाने पर बहाने बनाने लगता हूँ । जानता हूँ तुम सब समझ जाते हो पर कभी फील नहीं होने देते । यही तुम्हारी खासियत और बड़प्पन है जो मुझे तुमसे अलग करता है । सच कहूँ तो मैं दूसरा जन्म ले कर भी तुम सा नहीं बन पाऊंगा । मेरे लिए तुम्हारी सख्सियत राम सरीखे है जो अपनी पीड़ा को भूल मित्र की सहायता पहले करता है । मेरे जीवन में तुम्हारी भूमिका जामवन्त की रही है और मैं जानता हूँ कि तुम कर्ण की तरह हमेशा मेरे साथ ही रहोगे । चाहे दुनिया इधर की उधर क्यों न हो जाये । 
यार यकीन करो ये सारी बाते सिर्फ बहलाने भर को नहीं कह रहा । आज सचमुच तुम्हारे गले लगने का जी कर रहा । गले लग बताना चाहता हूँ की रिश्ते सिर्फ खून के नहीं होते और दोस्त सिर्फ नाम मात्र के लिए नहीं बनाये जाते । तुमसे जाने अनजाने बहुत कुछ सीखा है और इतना कुछ पाया है जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था । 
यार तुम मेरा साथ यूँ ही देते रहना क्योकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं ।



© अभिजीत

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विकास साह की किताब दो दिल की भूमिका

27 मई 2016
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भूमिका लिखना किताब लिखने से ज्यादा मुश्किल काम है । उसपर भी कविताओं के लिए, मतलब आपको एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई हैं ।कविता क्या है और इसकी परिभाषा क्या होनी चाहिए इस सवाल को लेकर साहित्यकारों की बिरादरी आजतक एक मत नहीं हो पाई है । तुकांत, अतुकांत, रबड़ छंद और न जाने किन किन प्रकारों में बांटा गया है इस

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कोई मेरी किताब क्यों पढ़े

27 मई 2016
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कल रात जब मैंने एक फेसबुक मित्र से "कुछ तुम्हारेलिए" के बारे में पूछा तो जवाब एक सवाल के रूप में आया....'मैं/कोईतुम्हारी किताब क्यों पढ़े ?इस सवाल ने उन दिनों कीयाद दिला दी जब प्रतियोगी परीक्षाओं के इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था और इंटरव्यूदे भी रहा था । इसी सवाल से मिलता जुलता एक सवाल वहां भी पूछा जा

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लिखना ज़रूरी है

29 मई 2016
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फेसबुक या कम्प्यूटर पर कीबोर्ड की सहायता से लिखना अलग बात है औरअसल जिंदगी में कागज पर कलम चलना अलग । आज तकनीकी तौर पे हम जितना दक्ष होते जा रहे उतना ही पीछे हम व्यवहारिक तौर पे होते जा रहे । आज बरसों बाद जब ख़त लिखने को कागज़ और कलम ले कर बैठा तब एहसास हुआ कि असल जिंदगी में मैंने आख़री ख़त लखनऊ से लिखा

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माय डियर मोटी

7 जुलाई 2016
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(मेरे जान की दुश्मन)हफ़्तों बाद आज सोचता हूँ तुम्हें ख़त भेज ही दूँ पर उसके लिए जरूरी है पहले उसे लिख डालूँ । जानता हूँ नाराज़ हो । होना भी चाहिए पर अब अगर हर ख़त का जवाब ख़त मिलते ही लिख दूँ तो फिर वो बात नहीं होगी जो अभी है । हमारे लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में जरूरी है कि तुम लगातार लिखती जाओ और मैंने

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सभी दोस्तों के लिए एक चिट्ठी

13 जुलाई 2016
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आज फ्रेंडशिप डे नहीं पर ना जाने क्यों तुम्हे याद करने का बड़ा मन हो रहा । शायद मैं एक बुरा दोस्त हूँ या फिर स्वार्थी या दोनों जो तुम्हारी खबर नहीं लेता । पर यार तुम किस मिट्टी के बने हो जो मेरी आवाज पर दौड़ पड़ते हो । मुझसे जुड़ा हर दिन , समय और जगह तुम्हे आज भी बखूबी याद है और मैं फेसबुक के भरोसे रहता

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कुछ तुम्हारे लिए : प्रेम रंग में डूबी हुई कविताएँ । जयेन्द्र कुमार वर्मा की समीक्षा

26 जुलाई 2016
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प्रेम जीवन का आधार है। प्रेम के अभाव में जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है। प्रेम ही व्यक्ति में जीवन के प्रति मोह उत्पन्न करता है। प्रेम ही व्यक्ति में सपने जगाता है। रंग-विरंगे सपने। और उन सपनों में डूबकर मन अनायास ही गाने लगता है, गुनगुनाने लगता है, मचलने लगता है, चहचहाने लगता है, फुदकने लगता है। और यह

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