प्रकृति त्रिगुणमयी है इसलिए हमारा जीवन इनसे प्रभावित होता है। गुण तीन हैं-तमोगुण, रजोगुण व सतोगुण!
तमोगुण अर्थात् सुस्ती, आलस्य। ये कुछ भी मन से नहीं करते हैं, मजबूरी में करते हैं। ऐसे लोग अच्छा जीवन कदापि नहीं जीते हैं। ये कुछ करने से पहले सुविधा का सोचते हैं! ये अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर ही आने का प्रयास नहीं करते हैं। इनका जीवन निरर्थक ही होता है।
रजोगुण अर्थात् कर्मशील। ये कभी खाली नहीं बैठ सकते इन्हें सदैव कार्य करना है। ये लक्ष्यहीन जीवन जीते हैं और जीवन इच्छाएं पूरी करने के लिए जुटे रहते हैं। रजोगुणी लोगों का जीवन तमोगुणी लोगों से बेहतर होता है। सत्वगुण अर्थात् आर्दशवादी। सत्वगुणी सदैव अच्छा बने रहना चाहते हैं और इनमें थोड़ा अहंकार भी होता है। ये सज्जन होते हैं और इनकी प्रशंसा
भी बहुत होती है। ऐसे लोगो का विकास होता है पर असीमित नहीं होता है। त्रिगुणों से मुक्त होने वाला ही निर्गुणी होता है। निर्गुणी को अपना लक्ष्य ज्ञात होता है। निर्गुणी वही बन पाता है जो तीनों गुणों से मुक्त हो जाता है। ऐसे लोग ही जीवन का लक्ष्य पाते हैं और मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होते हैं।